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यजीदी: इनके धर्म का नाम ही इनका दुश्मन बन गया है

यजीदी मोर के उपासक होते हैं जबकि इस्लामिक स्टेट के आतंकवादी इन्हें शैतान को मानने वाला समझते हैं

Animesh Mukharjee

इस्लामिक स्टेट के बढ़ते आतंक की खबरों के साथ दुनिया ने एक अनजान से धर्म के बारे में सुना. यजीदी नाम के इस धर्म को मानने वाले आईएसआईएस के आतंकियों के सीधे निशाने पर रहते हैं. समय-समय पर यजीदी महिला लड़ाकुओं की तस्वीरें मीडिया की खबरों का हिस्सा बनती हैं. यजीदी भी दुनिया की उन नस्लों में से हैं जो सिर्फ अपनी धार्मिक पहचान के चलते मारे जा रहे हैं.

नाम के चलते इस्लामिक आतंकियों के निशाने पर


यजीदी कुर्दों का एक हिस्सा है जिसका अपना अलग धर्म है. यजीदियों के धर्म में इस्लाम, ईसाई और पारसी जैसे कई धर्मों से मिलती जुलती मान्यताएं हैं. पश्चिमी ईराक, दक्षिणी कॉकस, तुर्की और अर्मेनिया में पाए जाने वाले यजीदियों के नरसंहार का सबसे बड़ा कारण उनके धर्म का नाम है.

दरअसल इब्न मुआविया यजीद इस्लाम के सबसे बड़े खलनायकों में से एक है. यजीद ही वो आदमी है जिसने मोहम्मद साहब के नाती हुसैन के साथ कर्बला में जंग लड़ी. हुसैन की इसी शहादत की याद में हर साल मुहर्रम का मातम किया जाता है.

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ऐसे में लोग अक्सर मान लेते हैं कि यजीदी उसी यजीद को मानने वाले हैं, जोकि पूरी तरह से गलत है. यजीदियों को उनका ये नाम फारसी शब्द इजीद से मिला है जिसका मतलब फरिश्ता होता है.

तोड़ दिए गए यजीदी श्राइन का पुनर्निमाण- फोटो रॉयटर्स

यजीदी इस्लामिक और ईसाई दोनों मान्यताओं को मानते हैं. इसके साथ ही वो सूर्य की उपासना करते हैं. सूर्य की आराधना के चलते उन्हें कर्ई बार पारसियों से भी जोड़ दिया जाता है. मगर यजीदियों का पारसियों से भी कोई संबंध नहीं है.

हर धर्म से मिलती हैं मान्यताएं

एक ओर यजीदी जहां खतना और कुर्बानी करते हैं वहीं दूसरी तरफ उनकी शादियां ईसाई तौर तरीकों से होती हैं. जबकि पारसियों की ही तरह उनके धर्म में सिर्फ पैदा होकर ही शामिल हुआ जा सकता है.

अगर इसी तरह से देखा जाए तो यजीदी पुनर्जन्म में विश्वास रखते हैं. जलाभिषेक और व्रत करते हैं तो उनको हिंदू धर्म से जोड़ा जा सकता है. जबकि वास्तविक्ता इससे कोसों दूर है.

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मोर है यजीदियों का देवता

यजीदियों का मानना है कि ईश्वर इतना पवित्र है कि उसकी सीधे आराधना भी नहीं की जा सकती. उसने दुनिया के सात रखवाले बनाए हैं जिनमें से एक मलिके ताउस यानी मोर है. इसलिए यजीदी मोर को अपना आराध्य मानते हैं. मोर को वो शायतन भी कहते हैं जिसे अक्सर शैतान भी कह दिया जाता है.

आईएसआईएस से युद्ध करतीं यजीदी महिलाएं- फोटो रॉयटर्स

खत्म होते जा रहे हैं यजीदी

लंबे समय से इस्लामिक चरमपंथियों का शिकार यजीदी तेजी से खत्म हो रहे हैं. एक अनुमान के मुताबिक उनकी गिनती एक लाख के आसपास हो सकती है. 2014 में ही ईराक के सिंजर शहर में एक साथ दस हजार यजीदी बच्चों और पुरुषों को मार डाला गया था.

ऐसी तमाम महिलाओं की कहानियां पिछले कुछ समय में सुनने में आई हैं, जहां आईएसआईएस ने उनके आसपास के पुरुषों की हत्या कर दी और महिलाओं को सेक्स स्लेव की तरह से इस्तेमाल किया.

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