योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है. मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य है, विचार, संयम और पूर्ति प्रदान करने वाला है. ये स्वास्थ्य और भलाई के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को भी प्रदान करने वाला है. यह व्यायाम के बारे में नहीं है, लेकिन अपने भीतर एकता की भावना, दुनिया और प्रकृति की खोज के विषय में है. हमारी बदलती जीवन- शैली में यह चेतना बनकर, हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद कर सकता है. तो आएं एक अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को गोद लेने की दिशा में काम करते हैं.
27 सितंबर 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र की महासभा में अपने भाषण के दौरान इन शब्दों के साथ सबसे पहले योग दिवस की पहल की थी. इसके बाद 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र के 177 से ज्यादा सदस्य की तरफ से 21 जून को अतंराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई और 21 जून अंतराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित कर दिया गया. पीएम मोदी की पहल के बाद संयुक्त राष्ट्र में 90 दिनों के भीतर इस प्रस्ताव को पूर्णबहुमत से पारित कर दिया गया था, जो किसी दिवस प्रस्ताव के लिए सबसे कम समय था.
शायद ऐसा पहली बार हुआ होगा जब किसी दिवस प्रस्ताव को पारित कराने के लिए लगभग पूरी दुनिया एकजुट हो गई हो. पीएम मोदी की इस पहल को दुनिया के कई देशों ने अपना समर्थन दिया था. सबसे पहले समर्थन में आए नेपाल के तत्कालीन प्रधानमंत्री सुशील कोइराला. इसके बाद अमेरिका के साथ-साथ कनाडा, चीन, इजिप्ट जैसे कई देश पीएम मोदी के समर्थन में आए. और अंत में 21 जून को अंतराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने की मंजूरी मिल गई.
इसके एक साल बाद यानी 2015 में जब दिल्ली के राजपथ पर पहला अंतराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया तो उसके लिए भी खास तैयारियां की गई थीं. इस दिन को यादगार बनाने के लिए और योग के महत्व को समझाने के लिए पीएम मोदी के साथ बाबा रामदेव भी आगे आए. इस दिन करीब 36,000 लोगों ने एक साथ योग किया. इन सभी लोगों ने 35 मिनट में 21 योग आसन करके दिखाए. इसमें करीब चौरासी देशों के लोगों ने एक साथ भाग लिया और गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बना डाला.
जेल से लेकर जल तक हर जगह योग
इस दिन को इतने बड़े लेवल पर मनाने का अहम मकसद था. और वो था लोगों के बीच योग को लेकर जागरूकता फैलाना. लोगों को ये बताना कि योग दुनिया के लिए वो खजाना है जिसको पाकर नकारात्मक से नकारात्मक व्यक्ति पर भी सकारातमक प्रभाव पड़ने लगता है. दरअसल योग इनसान को शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक शांति भी प्रदान करता है. शायद यही कारण है कि लोग अब योग के महत्व को समझने लगे हैं और अपनी भागदौड़ भरी जिंदगी में भी योग के लिए समय निकाल ही लेते हैं.
ऐसा नहीं है कि इससे पहले लोग योग नहीं करते थे या योग के महत्व को समझते नहीं थे. लेकिन योग को एक खास दिन मिल जाने के बाद लोगों में इसे लेकर जागरूकता और फैल गई और तब ये निरंतर बढ़ती ही जा रही है. जेल से लेकर जल तक और मंदिर से लेकर स्कूल तक हर जगह योग की लोकप्रियता फैल चुकी है. योग के महत्तव को समझाने के लिए जगह-जगह योग शिविर लगाए जा रहे हैं जिसमें बड़ें बूढ़े तो क्या, बच्चे भी बढ़-चढ़ कर भाग लेते हुए नजर आते हैं. इतना ही नहीं देश के कई जेलों में भी अच्छे स्वास्थ्य और सकारात्मक मानसिकता के लिए कैदियों को योग का प्रशिक्षण दिया जाता है.
योग को लेकर जारी है विवाद
हालांकि इस दौरान योग को लेकर लोगों में कुछ नकारात्मक बातें भी सामने आईं मगर फिर भी दुनियाभर में इसके विकास पर कोई खास असर नहीं पड़ा. दरअसल मुस्लिम और इसाई धर्म के लोग योग को हिंदु और बौद्ध धर्म से जुड़ी एक प्राचीन साधना के रूप में मानते हैं. कई इस्लामिक लोगों का मानना है कि योग करना इस्लाम के खिलाफ है. विदेशों के कुछ पादरी तो योग को 'शैतानी' करार दे चुके हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें सूर्य नमस्कार और श्लोक तप को भी आसन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. और देखा जाए जो हिंदु देवताओं की अराधनाओं के लिए इन दोनों चीजों का इस्तेमाल होता है.
ऐसे में ये विवाद उठना लाजिमी है. मगर योग से जुड़ने की चाह रखने वालों के लिए ये सब बस एक सोच या नजरिए पर निर्भर करता है. बीबीसी में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक ‘योग लंदन' की सह संस्थापक रेबेका फ्रेंच बताती हैं कि ‘ये थोड़ा धार्मिक है, लेकिन ये आपके नज़रिए पर निर्भर करता है. अगर मैं चाहूं तो घुटने टेकने का मतलब प्रार्थना करना भी है और मैं ये भी सोच सकती हूं कि मैं तो सिर्फ झुक रही हूं.’ हालांकि अन्य धर्मों द्वारा इसे अपनाया जाना चाहिए या नहीं ये एक बहस का विषय का है.
यही कारण है कि देश में जब पहला अतंराष्ट्रीय दिवस मनाया गया तो उसमें सूर्य नमस्कार और श्लोक जप को आधिकारिक कार्यक्रम से हटा दिया गया ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग बिना किसी धर्म या जाति के भेदभाव के योग से जुड़ सकें और इसके महत्व को समझ सकें. खैर योग से जुड़े इन तमाम विवादों के बावजूद इस तथ्य को भी नहीं नकारा जा सकता कि खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से ठीक रखने के लिए दुनिया भर के लोग अब योग से जुड़ने लगे हैं. योग आज पूरी दुनिया का एक मदत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है जिससे दुनिया के लगभग 190 से ज्यादा देश जुड़ चुके हैं.
इस साल भी हुई खास तैयारियां
योग के महत्व को बरकरार रखते हुए इस साल भी देश में अंतराष्ट्रीय योग दिवस के लिए खास तैयारियां की गई हैं. चौथे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर गुरुवार को देशभर में बड़ी संख्या में योगाभ्यास कार्यक्रम आयोजित किए गए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देहरादून में योग कार्यक्रम में करीब 55 हजार लोगों के साथ बैठकर आसन किया. इसके अलावा, गृह मंत्री राजनाथ सिंह लखनऊ में, नितिन गडकरी नागपुर में, सुरेश प्रभु चेन्नई, सदानंद गौड़ा गोवा, उमा भारती रुद्रप्रयाग, रामविलास पासवान हाजीपुर, अनंतकुमार बैंगलोर, रविशंकर प्रसाद पटना, जे.पी नड्डा शिमला में योग किया. इतना ही नहीं इस योग दिवस पर सीआरपीएफ, बीएसएफ और सीआईएस जैसे शसस्त्र पुलिस बलों सुरक्षा कर्मी भी आगे आए और करीब 50 हजार लोगों के साथ दिल्ली के लाल किले पर आयोजित योग समारोह में हिस्सा लिया.
लोगों में योग को लेकर बढ़ती लोकप्रियता से एक बात तो साफ है कि योग केवल ईश्वर की अराधना के लिए सिमट कर नहीं रह गया है, बल्कि ये अपना दायरा बढ़ा चुका है और धर्म से कई ज्यादा ऊपर उठ चुका है. कहीं न कहीं लोगों को भी ये बात अब समझ में आने लगी है.