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जन्मदिन विशेष: पिछले एक साल में कितने बदले हैं अरविंद केजरीवाल

पिछला एक साल केजरीवाल के लिए कुछ गम लेकर आया तो कुछ खुशी के मौके भी दिए. अब देखते हैं आगे आने वाला कैसा होगा.

Puneet Saini

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आज 49 साल के हो गए हैं. राजनीति में आम आदमी पार्टी का गिरता ग्राफ केजरीवाल के जन्मदिन पर कितना प्रभाव डालेगा यह एक बड़ा सवाल है. पिछले एक साल की बात करें तो दिल्ली समेत अन्य राज्यों के चुनाव परिणाम ने केजरीवाल के सपनों पर पानी फेर दिया है.

पिछले एक साल में हुए चुनावों में केजरीवाल को लगातार हार का सामना करना पड़ा और भ्रष्टाचार के आरोपों से गुजरना पड़ा. केजरीवाल पिछले एक साल से इन आरोपों से पीछा छुड़ाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन जनता के बीच लगातार अपना विश्वास खो रहे केजरीवाल इस कोशिश में नाकाम साबित हुए.


कुछ ही महीने पहले केजरीवाल लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला कर रहे थे. लेकिन अब वह एक विनम्र राजनेता की छवि बनाने में जुटे हैं. अब केजरीवाल प्रतिक्रिया देने में काफी सावधानी बरत रहे हैं. इतना कहा जा सकता है कि केजरीवाल अब अपने अतीत से पीछा छुड़ाने की कोशिश कर रहे हैं. फिलहाल उनका शूट-एंड-स्कूट ब्रैंड जैसा कोई बयान सामने नहीं आया है. केजरीवाल के बड़बोलेपन ने उनकी छवि को भारी नुकसान पहुंचाया है. अब वह एनडीए सरकार पर अप्रत्यक्ष रूप से हमला कर रहे हैं.

पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केजरीवाल को जन्मदिन की बधाई दी थी और लंबी उम्र की कामना की थी. लेकिन इस साल दोनों सरकारों के बीच मतभेद ट्वीटर पर भी दिखाई दिया. नतीजतन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा ट्विटर पर केजरीवाल के लिए बधाई संदेश भी नहीं आया.

वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केजरीवाल को जन्मदिन की बधाई दी है.

पिछले एक साल में हुए चुनावों में केजरीवाल को एक के बाद एक चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. जिस दिल्ली में केजरीवाल को 70 में से 67 सीटें मिली थीं. उसी दिल्ली के नगर निगम चुनाव और राजौरी गार्डन सीट के उपचुनाव में आप औंधे मुंह गिरी. वहीं केजरीवाल को पंजाब और गोवा में होने वाले चुनावों से बहुत उम्मीद थी. जबकि पंजाब में आप दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. तो गोवा में पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई. जो कि केजरीवाल को झटका देने के लिए बहुत था.

इन सभी परिणामों के बाद केजरीवाल अपना कोर वोटर बचाने में जुट गए हैं. इसका असर उनकी स्वतंत्रता दिवस की स्पीच में दिखाई दिया. केजरीवाल ने प्राइवेट ठेकेदारों के जल्द से जल्द प्राइवेट करने का वादा किया है. उन्होंने कहा कि वर्कर्स को न्यूनतम मजदूरी भी नहीं मिल रही है. इस पर केजरीवाल ने कांग्रेस, बीजेपी और उपराज्यपाल अनिल बैजल को भी आड़े हाथ लिया. उन्होंने इस पर राजनीति से बचने की सलाह दी. केजरीवाल ने कहा ‘कॉन्ट्रैक्टर कर्मियों को पूरे पैसे नहीं दे रहे हैं. जो दिए भी जा रहे हैं वो बहुत लेट दिए जा रहे हैं.’

इस साल के अंत में गुजरात विधानसभा चुनाव पर भी अरविंद केजरीवाल नजर जमाए हुए हैं. कुल मिलाकर बात करें तो पिछला एक साल केजरीवाल के लिए कुछ गम लेकर आया तो कुछ खुशी के मौके भी दिए. अब देखते हैं केजरीवाल के राजनीतिक भविष्य में आगे आने वाला साल कैसा होगा.