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Teachers Day: अनजाने शहर में घुमंतू को मिला घर का पता

जिंदगी में किताबों का ज्ञान देने वाले तो बहुत टीचर मिले लेकिन इन्होंने जिंदगी जीना सिखाया

Riya Kasana

पिताजी के फौज में रहने की वजह जिंदगी के 19 साल भारत भ्रमण में बिता दिए. पहली से बारहवीं तक की पढ़ाई 5 राज्यों के 6 स्कूलों में की. कभी इतना वक्त ही नहीं मिला कि किसी शिक्षक के साथ बहुत ज्यादा समय बिता सकूं.

फिर पत्रकारिता की पढ़ाई करने के लिए नोएडा आई. नई जगह नया शहर था. लेकिन मन में यह डर नहीं था क्योंकि हर तीन साल में पूरा घर पैक करके नई जगह बस जाने की आदत जो थी. इस बार जो साथ नहीं था वह था परिवार. नई नई आजादी शुरुआत में तो बहुत रास आई लेकिन धीरे धीरे बड़े शहर की भीड़ में दिल एक घर ढ़ूढने लगा. D1 गुलजार. यही पता है जहां आके मेरी खोज खत्म हुई.


कितना खास है यह पता!

यह पता है मुझे जिंदगी जीने की सीख देने वाले शिक्षक का है, यानी अमिय मोहन. स्क्रिप्ट राइटिंग की क्लास में उन्होंने सिर्फ पत्रकरिता के उसूल ही नहीं सिखाया बल्कि जिंदगी जीने का वो फलसफा सिखाया जो शायद जिंदगी भर मेरे साथ रहेगा.

वह मेरे लिए सिर्फ एक शिक्षक नहीं हैं इस अंजान शहर में घर की छत की तरह है. कोई परेशानी हो, किसी पर गुस्सा आए या फिर खुशखबरी हो...आज भी मेरे कदम सबसे पहले उनके घर की तरफ ही मुड़ते हैं. उनसे मिलने के बाद सब कुछ ठीक होने की एक नई उम्मीद मिल जाती है.

उन्होंने कभी मुझे एक स्टूडेंट की तरह नहीं माना, हमेशा अपनी बेटी माना. वैसा ही प्यार दिया. वह हमेशा बिटिया कहते हैं मुझे और यकीन मानिए कभी इस अनजान शहर में पिता की कमी महसूस नहीं होने दी. उनके घर जाती हूं तो मैं मेहमान नहीं होती. वे कहते हैं यह तुम्हारा अपना घर है.

जिंदगी भर का रिश्ता

जिंदगी में किताबों का ज्ञान देने वाले बहुत से शिक्षक मिले. जिनसे रिश्ता क्लास की उस चारदिवारी में गुड मॉर्निंग सर से शुरू होता और बेल बजने पर खत्म. लेकिन अमिय सर वह इंसान हैं जिन्होंने ना सिर्फ मुझे प्यार और अपनापन दिया.

इतना ही नहीं उन्होंने सही को सही और गलत को गलत कहने की हिम्मत भी दी. जिन्होंने सिखाया जिंदगी में जो भी करो, खुद पर भरोसा रखो. उनसे मिलने से पहले शायद 'फेवरेट टीचर' की परिभाषा का अंदाजा नहीं था. लेकिन आज इसके लिए मेरे पास एक ही नाम है. अमिय सर.

आपको शिक्षक दिवक की शुभकामनाएं.