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Rose Day 2018: कैसे प्रेम का प्रतीक बना गुलाब का फूल?

दुनिया में गुलाब 3.5 करोड़ सालों से है, 5000 साल से इसे उगाया जा रहा है

Animesh Mukharjee

आज की दुनिया में गुलाब को प्रेम का प्रतीक मान लिया गया है. वैलेंटाइन वीक की शुरुआत रोज़ डे से होती है. शायरी में भी गुलाब और मोहब्बत की खूब बात हुई है. मीर कहते हैं, नाज़ुकी उनके लब की क्या कहिए, पंखुड़ी एक गुलाब की सी है.

कब से गुलाब बना सिंबल ऑफ लव


गुलाब का प्रेम से संबंध बहुत पुराना है. ग्रीक और रोमन सभ्यता में गुलाब को प्रेम की देवी एफ्रोडिटी और वीनस से जोड़ा गया है. कहानी है कि देवताओं का भोजन अमृत था. प्रेम के देवता क्यूपिड जब अपनी मां देवी वीनस के लिए अमृत लेकर आए तो कुछ बूंद छलक गईं. इसी जगह पर पहला गुलाब उगा.

गुलाब ईसाई मान्यता में वर्जिन मेरी के साथ रखा गया. गुलाब उन तीन फूलों में से एक है जिसका जिक्र बाइबल में मिलता है. हिंदू धर्म में गुलाब और कमल दो फूल हैं जिन्हें काफी मान्यता दी गई है. गुलाब को संस्कृत में पाटलम् कहा गया है. खास तौर पर भगवान कृष्ण की पूजा में गुलाब का प्रयोग होता है.

बहुत पुराना है गुलाब का इतिहास

गुलाब का फॉसिल 3.5 करोड़ साल पुराना है

गुलाब को प्रेम से भले ही आज से ढाई हजार साल पहले जोड़ दिया गया हो. गुलाब धरती पर बहुत पहले से है. गुलाब का धरती पर अस्तित्व लगभग 3.5 करोड़ सालों से है. हालांकि गुलाब को बगीचे तरह से लगाने का चलन 5000 साल पहले शुरू हुआ. इसके पहला इस्तेमाल शायद चीन में आया.

कल्पना से ज्यादा तरह के हैं गुलाब

गुलाब की सौ से ज्यादा अलग-अलग किस्में हैं. भले वो लाल गुलाब हो जो बहुत जल्दी मृरझा जाता है या सफेद गुलाब जिसे कई जगह दुख का प्रतीक भी माना जाता है. इसी तरह सबसे बड़ा गुलाब का फूल (निकिता के रुहोकसोफस्की) लगभग 33 इंच यानी तीन फीट बड़ा था. इसी तरह सबसे छोटा गुलाब चावल के एक दाने की तरह होता है. इसी तरह कुछ किस्मों के गुलाब के पौधे किसी बड़े पेड़ की तरह 20-25 फीट तक के हो जाते हैं. दुनिया में सबसे पुराना गुलाब का पौधा 1,000 साल से ज्यादा पहले से है. जर्मनी के हिल्देशेम में मौजूद इस पौधे से मान्यता जुड़ी है कि जब तक ये गुलाब रहेगा हिल्देशेम शहर बसा रहेगा.

काला नहीं होता गुलाब

कई लोग मानते हैं कि काला गुलाब नफरत का प्रतीक है. ऐसा नहीं है. गुलाब काला नहीं होता है. जिसे हम आप काला गुलाब मानते हैं वो गहरा लाल गुलाब होता है. इतना गहरा कि आंखों को काला लगे. 2009 में जापान ने पहला प्राकृतिक नीला गुलाब बनाया. इससे पहले नीला गुलाब नहीं होता था.

आंखों के अलावा पेट के लिए भी

गुलाब को फूल के साथ-साथ खाने की तरह से भी इस्तेमाल किया जाता है. भारत में गुलाब से गुलकंद बनाने का रिवाज़ है. इसी तरह यूरोप में गुलाब से वाइन बनाने का चलन है. गुलाब में विटामिन सी होता है. इसे कुछ जगहों पर जैम, अचार और दूसरे तरीकों में इस्तेमाल किया जाता है.

नूरजहां और गुलाब

गुलाब से बनी वाइन

जहांगीर की बेग़म नूरजहां ने भारत के खान-पान में एक अहम चीज़ जोड़ी, गुलाब का शर्बत. कहते हैं कि नूरजहां एक शाम गुलाबों के बाग में टहल रही थीं. उन्हें शाम के सुहाने मौसम में फारस के बने फालूदा वाले शर्बत की याद आ गई. वो शर्बत तो नहीं मिल सकता था. नूरजहां को लगा कि क्यों न गुलाब से शर्बत बनवाया जाए. ये भारत में फूल से शर्बत बनाने की शुरुआत थी. इससे पहले हमारे यहां फलों और शहद के रस से पेय बनाए जाते थे.

वैसे लाल गुलाब को चाहने वाले खूब हैं. मगर इससे दूरी बनाने वाले भी कुछ लोग हैं. सूर्य कांत त्रिपाठी निराला अपनी कविता में बड़े तल्ख अंदाज में कहते हैं, सुन बे गुलाब.