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CA वित्त मंत्री का संतुलन साधने का हर मुमकिन प्रयास

अंतरिम वित्त मंत्री ने एक सच्चे चार्टर्ड एकाउंटेंट की तरह आम जनता और मोदी सरकार की आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए बजट पेश किया और इस तरह से उन्होंने 2019 के चुनावों के लिए पर्याप्त ‘राजनीतिक तोहफे’ दे दिए हैं

Abhishek Aneja

अंतरिम वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को अपना पहला बजट पेश किया, जो इसी साल होने वाले लोकसभा चुनावों से पहले का आखिरी बजट (अंतरिम बजट) है. लोकसभा के चुनाव अप्रैल-मई 2019 में हो सकते हैं. अंतरिम वित्त मंत्री ने एक सच्चे चार्टर्ड एकाउंटेंट की तरह आम जनता और मोदी सरकार की आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए बजट पेश किया और इस तरह से उन्होंने 2019 के चुनावों के लिए पर्याप्त ‘राजनीतिक तोहफे’ दे दिए हैं.

बजट ऐलानों में मुख्य तौर पर पिछले 5 साल में मोदी सरकार की नीतियों और उपलब्धियों की पुनरावृति है. इसके अलावा, साल 2022 तक नया भारत बनाने के लिए नए विजन को भी पेश किया है. गौरतलब है कि 2022 में भारत की आजादी के 75 साल पूरे होंगे. अंतरिम बजट की मजबूरियों के बावजूद वित्त मंत्री ने टैक्स संबंधी रियायते देने के मामले में बिल्कुल भी अवसर नहीं गंवाया. दरअसल, नोटबंदी के बाद लोगों द्वारा बड़े पैमाने पर इस तरह की मांग की जा रही थी. व्यक्तिगत करदाताओं को प्रभावित करने वाले अहम टैक्स प्रस्ताव इस तरह हैं:


करदाताओं को 5 लाख तक की इनकम पर कोई टैक्स नहीं देना होगा. नोटबंदी के बाद लंबे समय से टैक्स छूट की सीमा को बढ़ाकर 5 लाख रुपए तक किए जाने की मांग की जा रही थी और अब 5 लाख रुपए तक इनकम वाले लोगों के लिए आखिरकार छूट का ऐलान कर दिया गया है. चूंकि यह छूट इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 87ए के तहत मुहैया कराई गई है, लिहाजा इसका फायदा सिर्फ उन लोगों को मिल सकेगा, जिनकी टैक्स योग्य इनकम 5 लाख रुपए तक सालाना है.

टैक्स छूट का यह मामला सभी करदाताओं के लिए उपलब्ध नहीं है, क्योंकि टैक्स स्लैब में किसी तरह का बदलाव नहीं हुआ है और 5 लाख रुपए से ऊपर सालाना आमदनी वालों को मौजूदा वित्त वर्ष 2018-19 की तरह ही आगे भी 5 लाख इनकम तक 5 फीसदी की दर से टैक्स का भुगतान करना होगा.

उदाहरण के तौर पर इस प्रस्ताव के लागू होने के बाद व्यक्तिगत आयकरदाता 8,50,000 रुपए सालाना आमदनी तक इनकम टैक्स देने से छूट पा सकते हैं, बशर्ते वह इनकम टैक्स के सेक्शन 24 के तहत अपने कब्जे वाली प्रॉपर्टी से जुड़े होम लोन पर 2 लाख तक ब्याज देते हों और सेक्शन 80सी के तहत उन्होंने 1,50,000 रुपए का जरूरी निवेश/भुगतान किया हो. दरअसल, इस तरह से किसी शख्स की टैक्स योग्य इनकम 5,00,000 रुपए हो जाती है (8,50,000 – 2,00,000 – 1,50,000) और उसे टैक्स नहीं देना होगा.

income tax

स्टैंडर्ड डिडक्शन को 40,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपए किया गया.  इसका फायदा सभी स्तर के वेतनभोगियों को मिलेगा.

ब्याज और रेंट इनकम में TDS कटौती की सीमा में बढ़ोतरी

ब्याज पर TDS कटौती की सीमा 10,000 रुपए से बढ़ाकर 40,000 रुपए कर दी गई है. इसी तरह किराया संबंधी इनकम में TDS कटौती की सीमा को 1,80,000 से बढ़ाकर 2,40,000 रुपये कर दिया गया है. इस तरह की रियायतों से छोटे करदाताओं को राहत मिलेगी. उनके पास खर्च करने के लिए ज्यादा पैसे होंगे और अगर उनकी इनकम इस सिलसिले में तय नई सीमा के दायरे में हैं तो उन्हें इनकम टैक्स रिटर्न भी नहीं भरना पड़ेगा.

एक रिहायशी प्रॉपर्टी बेचने और दो ऐसी प्रॉपर्टी को खरीदने वाले लोगों को सेक्शन 54 के तहत फायदा मिलेगा

इसके तहत प्रॉपर्टी की बिक्री पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के मामले में राहत का ऐलान किया गया है और उन्हें अपनी पारिवारिक जरूरतों के कारण दो रिहायशी प्रॉपर्टी खरीदनी होगी. हालांकि, यह सुविधा बिक्रीकर्ता के जीवन में एक बार ही उपलब्ध होगी.

दूसरे घर के लिए नोशनल रेंट नहीं

फिलहाल, ऐसे लोग जिनके पास दो या इससे ज्यादा रिहायशी घर हैं, उन्हें सिर्फ एक घर को खुद के आवास वाली रिहायशी प्रॉपर्टी मानने का विकल्प दिया जाता है और दूसरी ऐसी प्रॉपर्टी पर अनुमानित रेंटल वैल्यू के हिसाब से टैक्स देना पड़ता है. ऐसा मुख्य तौर पर वैसे लोगों के मामले में होता है, जिन्हें नौकरी या कारोबारी जरूरतो के कारण अपने घर से दूर रहना पड़ता है. अब दो रिहायशी प्रॉपर्टी रखने वाले ऐसे लोगों को फायदा मिलेगा और यह उनके इनकम टैक्स दायित्वों को कम करेगा.

सेक्शन 80 के तहत छूट का विस्तार-मंजूर रियल एस्टेट परियोजनाओं के लिए आईबीए-यह सस्ते घर वाले सेगमेंट में रियल एस्टेट इंडस्ट्री को आगे बढ़ाएगा और मोदी सरकार द्वारा '2022 तक सबके लिए घर' के वादे के अनुरूप है.

वित्त मंत्री ने टैक्स प्रशासन में सुधार का भी ऐलान किया है, जिसके कार्यान्वयन की प्रक्रिया कुछ इस तरह हैः

A.  टैक्स रिटर्न 24 घंटों के भीतर प्रोसेस हो जाएगा और इससे रिफंड का मामला तेज होगा

B. दो साल के भीतर इनकम टैक्स अधिकारियों द्वारा 'फेसलेस टैक्स एसेसमेंट' पर केंद्रीकृत तरीके से अमल किया जाएगा, जहां करदाता और टैक्स अधिकारी के बीच किसी तरह का आमने-सामने का संपर्क नहीं होगा. इससे करदाताओं द्वारा सामना की जाने वाली परेशानियां कम हो सकेंगी और स्क्रूटनी एसेसमेंट की गुणवत्ता में भी बढ़ोतरी हो सकेगी. इसके अलावा, इस कदम से टैक्स प्रशासन में काफी हद तक पारदर्शिता बढ़ेगी.

ऊपर जिक्र किए गए टैक्स प्रस्तावों के अलावा बजट ऐलानों में किसानों, असंगठित क्षेत्र, फिल्म इंडस्ट्री, रियल एस्टेट सेक्टर, महिला, एमएसएमई, इंफ्रास्ट्रक्चर, रक्षा, जलवायु परिवर्तन आदि पर जोर दिया गया है और इस तरह से 2019 के चुनावों के लिए विजन डॉक्युमेंट या घोषणापत्र की राह बनाई गई है. कुल मिलाकर कहा जाए तो राजनीतिक रूप से संतुलन बजट होने के नाते यह 2019 के लिए मोदी सरकार के चुनाव अभियान को बढ़ावा दे सकता है. साथ ही, यह बीजेपी के मतदाताओं के लिए नई उम्मीद भी मुहैया कराता है.

(लेखक चार्टर्ड एकाउंटेंट है. यहां व्यक्त विचार उनकी निजी राय हैं)