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शैलेंद्र सिंह: एक अफवाह ने किया फिल्म इंडस्ट्री से बाहर

राज कपूर ने पूछा कि कैसे गाने पसंद करते हो? लड़के ने कहा गजलें पसंद है लेकिन आप जो बताएं वो गाउंगा

Arun Tiwari

बॉलीवुड के सबसे रोमांटिक अदाकारों में शुमार किए जाने वाले ऋषि कपूर की पहली फिल्म बॉबी बन रही थी. राज कपूर अपने बेटे को नई आवाज के साथ लॉन्च करना चाहते थे. उनकी इच्छा थी कि बॉबी में ऋषि कपूर के लिए कोई नया सिंगर लिया जाए. वो इंडस्ट्री में मौजूद पुराने गायकों को रिपीट नहीं करना चाहते थे.

उस समय में एक स्क्रिप्ट राइटर हुआ करते थे वीपी साठे. साठे और के अब्बास 50 के दशक में राज कपूर की फिल्में भी लिखते थे. साठे ने राज कपूर से एक नए लड़के की आवाज का टेस्ट लेने के लिए कहा. राज कपूर झट राजी हो गए. उन्होंने कहा, बुलाओ.


कुछ रोज बाद उनके बाद एफटीआईआई में एक्टिंग का कोर्स सीख रहा एक लड़का पहुंचा. उसका नाम था शैलेंद्र सिंह. ये वही लड़का था जिसका जिक्र वीपी साठे ने राज कपूर से किया था. उस लड़के से राज कपूर ने पूछा कि कैसे गाने पसंद करते हो? लड़के ने कहा गजलें पसंद है लेकिन आप जो बताएं वो गाऊंगा.

फिर उसने गाया. राज कपूर को आवाज बेहद पसंद आई. वो उसे लेकर लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के पास गए. लक्ष्मी-प्यारे के टेस्ट में पास होने के बाद भारतीय फिल्म इंडस्ट्री को मिला अपनी तरह का अलहदा गायक जो किसी भी पूर्ववर्ती बड़े गायक की कॉपी नहीं करता था. नई मतलब बिल्कुल नई आवाज और आया वो गाना जो भी जब बजता है तो लोग थम से जाते हैं.

इस गाने के लिए शैलेंद्र सिंह को साल 1974 का फिल्म फेयर पुरस्कार मिला. बॉबी फिल्म के सारे गाने सुपरहिट हुए. झूठ बोले कौवा काटे जैसे गाने खूब चले. वो पहले ही गाने से इंडस्ट्री पर छा चुके थे. बॉबी फिल्म के बाद जैसे ऋषि कपूर लोगों के दिलों पर छाए हुए थे. ठीक वैसे ही उनकी आवाज बन चुके शैलेंद्र भी. इसके बाद शैलेंद्र ने ऋषि कपूर के लिए एक से बढ़कर एक गाने गाए.

प्रशिक्षित अभिनेता थे शैलेंद्र

शैलेंद्र ने एक बार एक इंटरव्यू में कहा था सबसे बुरा रोग होता है आईना. मुझे भी यह रोग लग गया था. मुझे लगा मैं हीरो बन सकता हूं.

वो ग्रेजुएशन लास्ट ईयर में थे जब उन्होंने फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट पुणे में एप्लिकेशन दिया था. वो सेलेक्ट हो गए. बाकायदा एक्टिंग का प्रशिक्षण लिया. राजेंद्र कुमार और राज कपूर के साथ फिल्म भी की. फिल्म का नाम था दो जासूस. इसके अलावा भी कुछ फिल्में कीं लेकिन प्रसिद्धि तो गायकी में लिखी थी तो वहीं मिली.

1973 में आई बॉबी के बाद अगले कई सालों तक शैलेंद्र छाए रहे. लोग उनके गानों को खूब पसंद करते थे. लेकिन धीरे-धीरे संगीत का ट्रेंड बदला और शैलेंद्र को काम मिलना कम हो गया.

बेहद टैलेंटेड गायक होने के बावजूद भी शैलेंद्र ऋषि कपूर की आवाज ही बन कर रह गए. उन्होंने और भी दूसरे कलाकारों के लिए आवाजी दी लेकिन याद वो एक ही रूप में रहे. ऋषि कपूर की आवाज.

काम कम मिलने के पीछे भी शैलेंद्र ने एक बेहद दिलचस्प किस्सा सुनाया था. एक बार वो शुगर बढ़ने के लिए करीब एक हफ्ते तक अस्पताल में भर्ती रहे. इसके बाद वो भले-चंगे होकर घर लौट आए लेकिन फिल्म इंडस्ट्री में उनके बारे में यह बात फैला दी गई कि उनकी ओपन हार्ट सर्जरी हुई और इस वजह से गाने के बिल्कुल काबिल नहीं रह गए. शैलेंद्र इस अफवाह को भी एक बड़ी वजह मानते हैं काम न मिलने के पीछे.

जब मुकेश ने शैलेंद्र के लिए बजाया था हारमोनियम

बॉबी फिल्म हिट होने के बाद शैलेंद्र एक प्रोग्राम में गए हुए थे. वहां बहुत सारे लोगों ने उनसे गाने की फरमाइश की तो उन्होंने कहा यहा कोई इंस्ट्रूमेंट नहीं है आखिर मैं कैसे गा सकता हूं. इसी प्रोग्राम में गायक मुकेश भी मौजूद थे. मुकेश ने ये बात सुनी तो कहा बेटा मेरी कार में हारमोनियम है. उन्होंने अपना हारमोनियम मंगाया. इसके बाद मुकेश ने हारमोनियम बजाया और शैलेंद्र ने गाना गाया. किसी नए गायक के लिए बेहद नसीब की ही बात हो सकती है कि उसके लिए उस समय के स्थापित गायक मुकेश ने खुद हारमोनियम बजाया.

आज शैलेंद्र का 65वां जन्मदिन है. बॉबी को आए तकरीबन 45 साल बीत चुके हैं. युवा पीढ़ी के बहुत से लोग शायद शैलेंद्र को पहचान भी न पाएं लेकिन उनके गाए गाने आज भी उसी चाव से सुनते हैं जितना कि कोई 50 या साठ साल का आदमी.

शैलेंद्र भले ही आज भले ही लाइम लाइट में न हों लेकिन उनके गाने हमेशा ये पूछने पर मजबूर करते रहेंगे- यार ये गाना किसने गाया है, जरा गूगल करना.