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औरंगजेब ने नहीं, राजा बाज बहादुर ने जीता था मानसरोवर का इलाका

हुनियाओं की बढ़ते आतंक को खत्म करने के लिए बाज बहादुर ने तिब्बत पर हमला करने की योजना बनाई

Afsar Ahmed

बेशक चीन अपनी ताकत पर इतराए लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब एक भारतीय राजा ने तिब्बत (उस वक्त चीन का अधिपत्य नहीं था) पर चढ़ाई कर कैलाश मानसरोवर झील और टकलाकोट दुर्ग को अपने कब्जे में ले लिया था.

बीते दिनों नेट पर ये खबर वायरल हो रही है कि कैलाश मानसरोवर का इलाका कभी औरंगजेब ने जीत लिया था. ये आधा अधूरा सच है. हकीकत कुछ और है.


दरअसल उस वक्त कुमाऊं (उत्तराखंड) में चांद वंश के राजा बाज बहादुर का शासन (1638-1678) था. बाज बहादुर के बादशाह शाहजहां और औरंगजेब से काफी अच्छे संबंध थे.

बाज बहादुर को शाही सेना का मजबूत समर्थन हासिल था. शाही दस्तावेजों में बाज बहादुर को जमींदार बताया गया है.

शाहजहां के दरबार में हाजिरी

चांद वंश में बाज बहादुर से सत्ता हासिल करने से पहले लक्ष्मी चांद के जमाने में पारिवारिक घात-प्रतिघात चरम पर था. इस वजह से राज्य की सीमा के तराई इलाके को लेकर कोई ठोस पहल नहीं हो सकी.

ये बेशकीमती इलाका था. इस इलाके से उस जमाने में करीब 9 लाख रुपए की आय होती थी. इसलिए इसे नौलखा कहा जाता था. उस वक्त के कतेहर शासकों ने इसका पूरा लाभ उठाया और धीरे-धीरे कब्जा करना शुरू कर दिया.

इसे रोकने की कोशिश कामयाब न होते देख बाज बहादुर ने मुगलों की सहायता पाने की योजना बनाई. बाज बहादुर बादशाह शाहजहां के दरबार में पेश हुए. उन्होंने बादशाह को कई बेशकीमती चीजें तोहफे में दीं. साथ ही कतेहार के अतिक्रमण को लेकर शिकायत भी की.

देहरादून पर कब्जा

प्रतीकात्मक तस्वीर

बादशाह शाहजहां ने 1654-55 में मुगल सेना के जनरल खलीलउल्लाह की अगुआई में गढ़वाल साम्राज्य पर चढ़ाई करने के लिए भेजा. बाज बहादुर भी मुगल सेना से जुड़ गए. शाही सेना ने आगे बढ़ते हुए दून समेत पूरे तराई इलाके पर कब्जा कर लिया लेकिन बाद में भारी बारिश के चलते आगे बढ़ना रोक दिया.

इस जीत से बाज बहादुर का साम्राज्य करनाली नदी (घाघरा नदी) तक फैल गया. युद्ध में बाज बहादुर की बहादुरी को देखते हुए बादशाह ने उन्हें बहादुर की उपाधि दी. साथ में उन्हें शाही ड्रम (नगाड़ा) दिया गया. बाज बहादुर की ताकत यकायक काफी बढ़ गई लेकिन कुमायूं और गढ़वाल के बीच दूरियां भी काफी बढ़ गईं.

औरंगजेब का गद्दी संभालना (1658)

इसी बीच मुगल सम्राज्य में गद्दी को लेकर घमासान शुरू हो गया. औरंगजेब अपने भाइयों का कत्ल करवाकर गद्दी पर बैठ गया. औरंगजेब ने फरार चल रहे अपने भतीजे सुलेमान शिकोह को पकड़ने के लिए शाही सेना को तराई के इलाके में भेजा इसी बीच सुलेमान शिकोह को गढ़वाल के इलाके से पकड़ लिया गया. इस तरह एक लड़ाई की आशंका टल गई. बाज बहादुर ने नए बादशाह का विश्वास जीतने के लिए औरंगजेब के दरबार में हाजिरी दी.

मान सरोवर इलाके के हुनियास

गौरतलब है कि पश्चिमी तिब्बित में मानसरोवर झील तक तीर्थ यात्रा का पुराना रास्ता कुमायूं से होकर जाता था. लेकिन हुन (हूण) वंश से जुड़े हुनियास तीर्थ यात्रियों और भोटिया व्यापारियों को रास्ते में परेशान करते थे. गौरतलब है कि भोटिया व्यापारी सदियों से भारत और तिब्बत के बीच व्यापार करते रहे हैं.

मानसरोवर इलाके पर कब्जा- (1670)

हुनियाओं की बढ़ते आतंक को खत्म करने के लिए बाज बहादुर ने तिब्बत पर हमला करने की योजना बनाई. बाज बहादुर जुहार पास के रास्ते अपनी सेना के साथ तिब्बत की ओर बढ़ा. बाज बहादुर ने हुनियाओं के मजबूत गढ़ टकलाकोट पर कब्जा कर लिया. इतिहास में यह पहली बार था कि किसी भारतीय राजा ने तिब्बत के इस गढ़ पर कब्जा किया हो.

इसके बाद 1841 में जम्मू की डोगरा सेना ने इस पर कब्जा किया. बाज बहादुर के कार्रवाई से बुरी तरह दबाव में आए हुनियाओं ने सुरिक्षत रास्ता देने व भोटिया व्यापारियों को तंग न करने का आश्वासन दिया. मानसरोवर इलाके को कुमायूं सम्राज्य में मिला लिया गया.

संदर्भ

हिस्ट्री ऑफ उत्तरांचल, ओ सी हांडा

द ट्रेजेडी ऑफ तिब्बत- मन मोहन शर्मा