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थाने की नाक के नीचे दिन-दहाड़े ‘सुपारी-किलर’ का वो ‘एनकाउंटर’ जो 'ढेर' होने से बच गया!

नोएडा में हुई यूपी-हरियाणा एसटीएफ और शार्प शूटर की मुठभेड़. दिन-दहाड़े हुए उस दिल-दहला देने वाले खूनी एनकाउंटर में साढ़े तीन लाख के इनाम का बोझ कई साल से सिर पर ढो रहे ‘सुपारी-किलर’ बलराज भाटी को यूपी एसटीएफ ने निपटा लिया

Sanjeev Kumar Singh Chauhan

पुलिस कितना भी खूंखार अपराधी क्यों न ढेर कर ले! हर मुठभेड़ (एनकाउंटर) पर सवालिया निशान लगना आम बात है. कुछ एनकाउंटर और उनमें शामिल पुलिसकर्मी बिरले ही होते हैं, जिस/जिन पर समाज के कुछ कथित ठेकेदार कभी कोई हो-हल्ला न मचाते हों. भारत की पुलिस में सबसे पहले यूपी में जन्मी तेज-तर्रार स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने अब बेवजह की इस फजीहत से बचने का नायाब ‘फॉर्मूला’ खोज लिया है.

फॉर्मूले के मुताबिक, जब अपराधी से दो-दो हाथ आमने-सामने जंगल, खेत-खलिहान या किसी नदी किनारे जाकर ही करने हैं. तो यह काम थोड़ा और जोखिम लेकर इंसानों की बस्ती में ही बचते-बचाते कर लिया जाए. ताकि दिन-रात की कमर-तोड़ मशक्कत के बाद कम से कम ‘असली-मुठभेड़’ में शामिल पुलिस के बहादुरों को मुंह भर-भर कर ‘फर्जी-मुठभेड़ों’ के बाद की सी जलालत भरी तोहमतें तो आने वाली पीढ़ियों के सामने न ढोनी पड़ें. शायद इसी फॉर्मूले को अमल में लाने का नतीजा था, बीते दिनों दिल्ली से सटे हाईटेक शहर नोएडा में हुई यूपी-हरियाणा एसटीएफ और शार्प शूटर की मुठभेड़. दिन-दहाड़े हुए उस दिल-दहला देने वाले खूनी एनकाउंटर में साढ़े तीन लाख के इनाम का बोझ कई साल से सिर पर ढो रहे ‘सुपारी-किलर’ बलराज भाटी को यूपी एसटीएफ ने निपटा लिया.


आबादी वाले सेक्टर (इंसानों की बस्ती) की गलियों में छतों पर दौड़ा-दौड़ाकर दिन के उजाले में. फिल्मी स्टाइल में नोएडा के उसी सेक्टर 49 और सेक्टर 39-थानों की नाक के नीचे (मुठभेड़ का मामला लेकिन सेक्टर 39 नोएडा थाने में दर्ज हुआ), जिन दोनों थाना पुलिस की जिम्मेदारी थी, एसटीएफ से पहले ‘सुराग’ जुटाकर उस खूंखार ‘सुपारी-किलर’ से हिसाब बराबर कर लेने की. आबादी के बीच हुई मुठभेड़ का नुकसान यह रहा कि, दो पुलिसकर्मियों सहित बस्ती के निवासी दो बेकसूर गोलियों से ज़ख्मी हो गए. नफा देखा जाए तो, बलराज भाटी के ‘निपटने’ के बाद एनकाउंटर पब्लिक की तोहमतों से दूर रहकर ‘ढेर’ होने से बच गया.

एक बलराज भाटी के पीछे दो राज्यों की एसटीएफ

23 अप्रैल 2018 को सुबह करीब ग्यारह बजे हाईटेक शहर नोएडा (जिला गौतमबुद्धनगर) सेक्टर 49 और सेक्टर 39 थानों के बीच स्थित एक निजी अस्पताल, एक मशहूर मिष्ठान भंडार और पास स्थित आगाहपुर गांव के आसपास कई चमचमाती कारों की संख्या अचानक बढ़ने लगी. तभी आसपास से गुजर रहे स्थानीय निवासियों ने देखा कि, एक सफेद रंग की स्विफ्ट कार ने बाइक और दिल्ली नंबर की एक कार को जबरदस्त टक्कर मार दी. लोग समझे एक्सीडेंट हो गया है. टक्कर मारने वाली कार में से तीन युवक पीछे की कारों में आ रहे कुछ लोगों पर स्वचालित हथियारों से गोलियों की धुंआधार बौछार करते हुए स्विफ्ट कार से उतर कर आबादी की ओर भागने लगे.

पब्लिक समझी गैंगवार, निकला खूनी एनकाउंटर

दो पक्षों में दिन-दहाड़े आमने-सामने गोलियां चलती देखकर मौके पर मौजूद स्थानीय निवासी समझे कि, दो गैंग के बीच गोलियां चल रही हैं. इसी बीच आगे-आगे भाग रहे तीन में से दो लड़के अचानक गायब हो गए. उनमें से बचा एक आदमी छत पर जाकर चढ़ गया और उसने मुंबईआ फिल्म के किसी हीरो की तरह छत के ऊपर से नीचे मौजूद हथियारबंद लोगों पर गोलियों की अकेले ही बौछार शुरु कर दी.

जिसे कमांडोसमझे वो सुपारी-किलरनिकला

अब तक आसपास मौजूद तमाशबीन भीड़ को नीचे खड़े हथियारबंद लोग चीख-चीख कर बता चुके थे कि, छत पर से गोलियां झोंक रहा ‘हीरो’ नहीं शार्प शूटर बलराज भाटी है. नीचे गली में गोलियों के बीच में बुरी तरह से फंसे लोग किसी गैंग के गुंडे नहीं. उत्तर प्रदेश पुलिस और हरियाणा (गुड़गांव/गुरुग्राम) पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के जवान हैं. जैसे ही पब्लिक और दुकानदारों को गैंगवार की जगह ‘लाइव’ चल रहे ‘असली पुलिस एनकाउंटर’ की बात पता चली, तो मौके से लोकल लोगों की भीड़ रफूचक्कर हो गई. तमाम दुकानों के शटर गिरने लगे.

गोलियों की बौछारों में जब जिंदगी फंसी दिखी

अब तक चार लोगों को गोलियां लग चुकीं थी. गोलियों से घायल होने वालों में एक बच्चा, एक राहगीर और हरियाणा स्पेशल टास्क फोर्स के दो सिपाही राजकुमार और भूपेंद्र थे. यूपी पुलिस एसटीएफ के महानिरीक्षक एनकाउंटर स्पेशलिस्ट आईपीएस अमिताभ यश के शब्दों में, ‘जब बलराज भाटी छत पर चढ़कर गोलियां बरसाने लगा, और एसटीएफ टीम गलियों में फंस गई तो, एक बार को हमारे जवान भी खुद को बुरी तरह फंस चुका महसूस करने लगे. उसी समय मौके पर हरियाणा और यूपी एसटीएफ दोनों की टीम को लीड कर रहे उत्तर प्रदेश राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी और यूपी एसटीएफ के डिप्टी-एसपी आर.के. मिश्रा (राज कुमार मिश्रा) ने अपने जवानों को सामने के बजाए साइडों से बलराज को घेरने की रणनीति अमल में लाने की सलाह दी.’

बुजदिल गुर्गों के भाग जाने से बौखला गया था बलराज

बलराज भाटी को नेस्तनाबूद करने वाली टीम के प्रभारी यूपी एसटीएफ के डिप्टी एसपी (नोएडा में तैनात) राज कुमार मिश्रा के शब्दों में, ‘हम बलराज को उसे बाकी दोनो साथियों के साथ जिंदा पकड़ने की कोशिश में थे. उसके दो साथी जब कार एक्सीडेंट होते ही भाग निकले, तो बलराज भाटी पुलिस पार्टी पर और ज्यादा खतरनाक होकर गोलियां बरसाने लगा. क्योंकि वो अकेला पड़ गया था. बलराज हर कीमत पर एसटीएफ का ज्यादा से ज्यादा नुकसान करके भाग जाने की उम्मीद में था. बलराज जब छत पर जा पहुंचा और एसटीएफ के जवान गलियों में नीचे रहे गए, तो हमें एक बार तो मौत सामने नजर आई. क्योंकि बलराज की गोलियां हम पर सीधे आ रही थीं.

डिप्टी एसपी यूपी एसटीएफ (नोएडा) राज कुमार मिश्रा...मौत हमारी तरफ आ रही थी मगर रास्ता बदल गई

जिधर उसे जिंदगी दिखी, उधर ही मौत खड़ी मिली

ऊंचाई पर होने के कारण बदमाश बलराज भाटी खुद को पुलिस की गोलियों से साफ बचा जा रहा था. हम उसे बार-बार सरेंडर करने की सलाह दे रहे थे. जो कि सब बेअसर साबित हुईं. उसी वक्त मैंने एनकाउंटर टीम में शामिल एसटीएफ इंस्पेक्टर सचिन कुमार को साइड से बलराज को घेरने का इशारा किया. जबकि सब-इंस्पेक्टर सौरभ विक्रम सिंह और सर्वेश पाल सिंह को सामने से फायरिंग करके इंस्पेक्टर सचिन कुमार को ‘कवर-फायर’ देकर शार्प शूटर को अपने में उलझाए रखने को कहा. ताकि गुस्से में तिलमिलाए हुए बदमाश का ध्यान इंस्पेक्टर सचिन की तरफ न जाए. वही हुआ बौखलाहट में बलराज भाटी सब इंस्पेक्टर सर्वेश पाल सिंह, सौरभ विक्रम सिंह और मुझ पर (डिप्टी एसपी यूपी एसटीएफ राज कुमार मिश्रा) फायर झोंकता रहा.

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तब तक इंस्पेक्टर सचिन कुमार ने बलराज को पूरी तरह से अपनी फायरिंग रेंज में लेकर छलनी कर दिया.’ कई साल बाद, भले ही कुछ मिनट चले मगर उस दिल-दहला देने वाले भीड़ के बीच ‘लाइव-एनकाउंटर’ का जिक्र करते हुए बताते हैं यूपी एसटीएफ चीफ अमिताभ यश, ‘दरअसल अपने दो बदमाश साथियों के अचानक भाग जाने से बलराज बुरी तरह फंस चुका था. गुस्से में बौखलाया हुआ था. इसीलिए जब तक उसके पास गोलियां रहीं वो अंधाधुंध गोलियां पिस्टल से एसटीएफ के ऊपर झोंकता रहा. यह उसकी (बदमाश बलराज भाटी) बदकिस्मती और हमारी (यूपी हरियाणा स्पेशल टास्क फोर्स) किस्मत थी, कि पिस्टल में गोलियां खत्म होते देख बलराज भाटी को पास स्थित जिस गली में जिंदगी खड़ी नजर आ रही थी, वहां दरअसल उसकी मौत खड़ी थी. वजह, वो गली आगे से बंद थी. साथ ही बलराज एक छत से दूसरी छत पर कूदकर पहुंच पाने में भी नाकाम रहा था.’

जिंदगीलेना ही जिसकी जिंदगी का मकसद था

एनकाउंटर की आंखों देखी बयान करते हुए बताते हैं यूपी एसटीएफ के नोएडा में तैनात उपाधीक्षक आर.के. मिश्रा, ‘हमारी लखनऊ की टीम (आईजी एसटीएफ अमिताभ यश) करीब 10-11 महीने से बलराज भाटी के पीछे लगी हुई थी. बलराज भाटी तीन राज्यों का इतना बड़ा सुपारी किलर शार्प शूटर बन चुका था कि, दौलत के बदले कभी भी वो किसी की भी जान ले लेने पर आमादा था. यूपी, हरियाणा और दिल्ली पुलिस का उस पर करीब साढ़े तीन लाख का इनाम था. जैसे ही गुड़गांव एसटीएफ टीम ने हमें बताया, हमारी टीमें साथ लग गयीं और सफलता मिली.’

अपना कोई गैंग नहीं मगर मैनेजरतमाम गैंग का

अमूमन बादशाहत को लेकर गैंग्स और उनके लीडरों के बीच हमेशा खून-खराबे वाली दुश्मनी जिंदा रहती है. उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्ट फोर्स प्रमुख अमिताभ यश के अल्फाजों में, ‘बलराज के पास अपने शार्प शूटर्स थे. वो खुद में भी खतरनाक ‘किलर’ था. गवाह को गोली से उड़ाना उसका शगल था. उसकी एक जो सबसे बड़ी खासियत थी, वह यह कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुख्यात बदमाश सुंदर भाटी के लिए काम करने के बाद भी बलराज भाटी ने कई गैंग लीडर और उनके गुर्गे काबू किए हुए थे.’ बकौल नोएडा एसटीएफ डिप्टी एसपी आर.के. मिश्रा, ‘आलम यह था कि, हर गैंग लीडर जरायम की दुनिया में बलराज को दिन-रात सलाम ठोंकता था. अब तक की पड़ताल में पता चला कि, बलराज जुबान का पक्का था. अगर किसी को मारने या मरवाने की सुपारी (ठेका) उठा ली, तो उसका काम तमाम करके ही सांस लेता था.’

बलराज भाटी की लाश के करीब मिला पिस्टल...न मालूम इस पर किस किस की लाशों के नाम गुदे होंगे

पुलिस वाला ही पाल रहा था पुलिस के दुश्मन को!

डिप्टी एसपी एसटीएफ नोएडा आर.के. मिश्रा के मुताबिक, ‘गांव में बनी दुश्मनी की पगडंडियों पर चलकर जेल के सींखचों में पहुंचे बलराज ने ‘भाटी’ सिर्फ अपराध की दुनिया में सिक्का जमाने के लिए जोड़ लिया था. वरना वो संबंध किसी और कास्ट से रखता था. जेल में सुंदर भाटी सा कुख्यात गुरु मिला, तो बलराज ने जरायम की दुनिया को ही ‘जिंदगी’ बना लिया.’ एनकाउंटर से पहले हुई ‘पड़ताल’ में एसटीएफ को पता लग चुका था कि, जो बलराज भाटी को यूपी पुलिस का ही एक सिपाही गोद में बैठाकर पाल-पोस रहा है. यह सिपाही इस समय गाजियाबाद जिले के कस्बाई इलाके के एक मशहूर थाने में पोस्टिड है. एसटीएफ ने खाकी वर्दी में मौजूद उस खतरनाक सिपाही की जन्मकुंडली मंगा ली है. बात चूंकि महकमे (यूपी पुलिस) की थू-थू की है, लिहाजा इस मुद्दे पर बात करके कोई भी आला पुलिस अफसर न बोलने में ही खुद की और यूपी पुलिस की भलाई समझ रहा है.

कंगाल से करोड़पतिबनकर भी लावारिसों सी मौत

बकौल आईपीएस अमिताभ यश, ‘पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के शिकारपुर थाना क्षेत्र में स्थित डूंसरी गांव का रहने वाला था बलराज सिंह. पिता गजराज सिंह किसान हैं. बड़ा भाई जम्मू कश्मीर में भारतीय सेना में कार्यरत है. ठेके पर किसी भी चलते-फिरते इंसान को ‘लाश’ में तब्दील करने का घिनौना धंदा करके कंगाल से करोड़पति बने बलराज भाटी की लावारिसों की सी मौत को, उसके नाम के आगे लगा ‘भाटी’ भी नहीं बचा सका. जबकि उसकी कौम का ‘भाटी’ से कोई वास्ता नहीं था. सिर्फ ‘शिकार’ को डराने के लिए उसने ‘भाटी’ का टाइटल बलराज ने चुरा लिया था.’

आईजी यूपी एसटीएफ आईपीएस अमिताभ यश...एक बलराज भाटी में कई गैंग बैठे थे

गवाहों का सनकी सिरियल किलर था शार्प शूटर

पुलिस पड़ताल में सामने आए तथ्यों के मुताबिक, बलराज जिसकी भी हत्या करता था, उस मामले के गवाहों को एक-एक कर जरूर मार डालता था. 19 नवबंर 2012 को बुलंदशहर जिले में बलराज ने गांव के ही जितेंद्र जीतू के साथ मिलकर पप्पू कटार और उनकी पत्नी की गोली मारकर हत्या कर दी थी. दोनो को बलराज ने 140 गोलियां मारी थीं. इस मामले के गवाह गुलाब सिंह को पुलिस सुरक्षा मिली थी. शिकारपुर रोड पर 17 फरवरी 2014 को बलराज ने गुलाब सिंह को पुलिस सुरक्षा में ही गोलियों से भून दिया. पप्पू कटार और उसकी पत्नी की हत्या के मामले के गवाह पप्पू के चचेरे भाई विपिन उर्फ लाला की हत्या बलराज ने 18 अप्रैल 2014 को बुलंदशहर की यमुनापुरम् कालोनी में कर दी थी. एसटीएफ के मुताबिक जेल में कैद सुंदर भाटी के इशारे पर कुछ साल पहले यूपी के बिजनौर में बलराज ने नंदूराम की पुलिस अभिरक्षा में गोली मारकर हत्या कर दी थी. उस हमले में पुलिसकर्मी की भी मौत हुई थी.

बदमाश बलराज सी बुद्धिकिसी और शूटर में कहां

एसटीएफ की पड़ताल के मुताबिक, बलराज भाटी मुजफ्फरनगर के कुख्यात बदमाश सुशील मूँछ और उसके भांजे कपिल कटारिया का भी अपराध कारोबार संभाल रहा था. सुंदर भाटी और सुशील मूंछ गैंग के बीच कई साल से चली आ रही खूनी रंजिश को दोस्ती में बदलवाने का श्रेय भी बलराज को ही जाता था. फरीदाबाद (हरियाणा) में मनोज मांगर और रवि मझेड़ी गैंग का दूसरे राज्यों में अपराध कारोबार का दारोमदार काफी समय से बलराज के ही कंधों पर था. माँगर-मझेड़ी गैंग के साथ मिलकर बलराज ने तीन हत्याओं को भी अंजाम दिया था. गुड़गांव के कुख्यात रोहित चौधरी और कौशल गैंग के साथ चल रही फरीदाबाद के माँगर-मझेड़ी गैंग की दुश्मनी को दोस्ती में बदलवाने का माद्दा भी बलराज भाटी का ही था.

सीए साहब बच गए, फिर क्यों दुखी है दिल्ली पुलिस!

‘पड़ताली’ टीम के एक सूत्र के मुताबिक बलराज भाटी के निपटने से दो राज्य (यूपी हरियाणा) और उसके चंगुल में बचने वाले तमाम लोग खुश हैं. बचने को तो दिल्ली के एक चार्टर्ड एकाउंटेंट (सीए), जोकि बिल्डर का भी मोटा धंधा करते हैं. सीए से बलराज 5 करोड़ रुपए रंगदारी मांग रहा था, वरना ‘निपटाने’ की धमकी दे चुका था. इस बात की सूचना 25 सितंबर 2017 को दिल्ली पुलिस को भी दे दी गई. सीए को सेफ करने का इंतजाम दिल्ली पुलिस (क्राइम ब्रांच) कर पाती, उससे पहले ही हरियाणा और यूपी एसटीएफ ने बलराज को ‘मिल-बांटकर’ ‘ठिकाने’ लगा लिया. जबसे बलराज यूपी और हरियाणा का एसटीएफ का शिकार बना, दिल्ली पुलिस का परेशान होना लाजिमी है. वजह दिल्ली पुलिस ने बलराज के सिर पर पहले 50 हजार फिर बढ़ाकर 1 लाख जैसी मोटी इनामी रकम लगा रखी थी.

वे बोले जान बची तो लाखों पाए...

बलराज भाटी के ढेर होने पर पुलिस ने चैन की सांस ली सो ली. स्पेशल टास्क फोर्स से ज्यादा खुश वे हैं, बलराज भाटी जिन्हें ‘निपटाने’ के लिए इन दिनों ‘सूंघ’ रहा था. बलराज के ढेर होने की खबर मिलते ही दादरी (ग्रेटर नोएडा) में भाजपा नेता विजय पंडित जिनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी की, पत्नी नगरपालिका चेयरमैन भी बलराज के ठिकाने लगने से काफी हद तलक शांति में हैं.

जान बचाने को गवाह अपराध करके जेल चला गया

यूपी एसटीएफ के सूत्रों के मुताबिक पप्पू कटार और उनकी पत्नी की हत्या के इकलौते गवाह उनके बेटे सोनू (22) को बलराज दिन-रात एक करके खोज रहा था. ताकि उसकी भी हत्या की जा सके. घर में खाने को अनाज तक नहीं बचा था. कई बार सोनू थाने-चौकी भी गया कि, उसे किसी छोटे मोटे मामले में बंद करके जेल भेज दिया जाये, जिससे जान बच जाएगी. पुलिस ने जब कुछ नहीं किया, तो दो जून की रोटी के जुगाड़ और बलराज की गोलियों से बचने के लिए सोनू ने जान-बूझकर एक छोटा सा अपराध कर लिया और खुद ही जेल चला गया. बलराज ने जेल में ही उसे ‘निपटा’ देने की खबर भेज दी. मरता क्या न करता. सो बलराज की धमकी से हड़बड़ाया सोनू चुपचाप जमानत कराकर जेल से भी निकल आया. अब जब एसटीएफ ने बलराज और उसके आतंक को ‘अंजाम’ तक पहुंचा दिया है, तो सोनू की जान में जान आई है. इसी तरह ग्रेटर नोएडा के दादूपुर गांव निवासी हरेंद्र प्रधान की 2016 में हुई हत्या में गवाह उसके भाई पर भी बलराज भाटी ने एके-47 से गांव में घुसकर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाईं थी. बलराज की गोलियां निशाना चूक गईं.

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बलराज के ठंडाहोने के बाद भी एसटीएफ गरम’?

दिन-दहाड़े भीड़ के बीच में हुए एतिहासिक ‘लाइव-एनकाउंटर’ में सिरदर्द बने बलराज भाटी को एसटीएफ ने ‘ठंडा’ कर दिया. इसके बाद भी यूपी एसटीएफ की टीमें अभी ‘गरम’ही हैं. सूत्रों के मुताबिक एसटीएफ की चिंता जितनी बलराज को काबू करने की थी, उतनी ही चिंता उसके पास मौजूद एके-47 राइफल काबू करने की भी थी. इतने बड़े एनकाउंटर के बाद भी एके-47 नहीं मिली है. एसटीएफ की टीम को आशंका है कि, बलराज के ढेर होने से बौखलाए उसके साथी बदमाश कहीं एके-47 से किसी बड़ी वारदात को अंजाम देकर, जैसे तैसे ‘ढेर’ होने से बचे एनकाउंटर को ही ‘छोटा’ न कर डालें.