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दिलीप कुमार से शादी के ख्वाब बचपन से देखा करती थीं सायरा

सायरा 12 बरस की उम्र से ही एक कामयाब हीरोइन बनने और दिलीप कुमार की बीवी बनने की ख्वाहिश रखने लगी थीं

Avinash Dwivedi

जब उम्र के डेढ़ दशक भी पूरे नहीं हुए थे और फिल्में देखने, गीत सुनने का शऊर सीखने की शुरुआत भर हुई थी, उन दिनों रंगोली में एक गाना देखा था, 'मैं चली, मैं चली, देखो प्यार की गली... कोई रोके ना मुझे मैं चली, मैं चली...' और बड़े हो जाने का अहसास हुआ था. वो जिंदगी का पहला क्रश थीं. ये बात उस जमाने की है जब चाचा, भैया लोग दीवारों पर हीरो-हीरोइनों के पोस्टर चिपकाया करते थे.

पहली बार मेरा भी मन हुआ था उस हीरोइन का पोस्टर को घर की दीवार पर चिपका हुआ देखने का. पर नियति बड़ी निर्दयी होती है. ख्वाब बुन ही रहा था कि मां ने उस अदाकारा के बारे में बताते हुए कहा, 'अब इनकी उम्र 60 के आस-पास होगी.'


कुछ ही दिन बीते, मैंने रंगोली का रेगुलर दर्शक बनकर कुछ गानों के बोल रट लिए और 'एक चतुर नार...' को अपना पसंदीदा गीत भी बना लिया. तभी केबल टीवी के पैर पसारने के जमाने में एक रोज गाना देखने को मिला. 'भई बत्तूर, भई बत्तूर अभी जाएंगे कितनी दूर...' और सारी सच्चाई जानते हुए भी दिल ने मानने से इनकार कर दिया कि सायरा बानो उम्रदराज हो चुकी हैं.

उस दौर का उनका अंदाज, आज के दौर की भी सारी अदाकाराओं को मात करता है. बाकि उनके दौर की कोई भी अदाकारा रूप, शारीरिक सुंदरता, नृत्य और अंदाज में सभी में उनसे आगे निकलती हो वो भी नामुमकिन है. इसीलिए तो आज भी मेरी तरह कई दिल यही मानते हैं कि 'दिल-विल, प्यार-व्यार मैं क्या जानूं रे...' गाती अदाकारा सायरा के 21 बरस पूरे होने में भी अभी कुछ गुंजाइश होगी.

जीन में थी कलाकारी

सायरा बानो आज से 73 साल पहले 23 अगस्त, 1944 को दुनिया में आईं थीं. उनका जन्म तब के संयुक्त प्रांत में मसूरी की पहाड़ी पर हुआ था. मां की ओर से उनका परिवार कलाकारों का परिवार था और पिता की ओर से प्रतिष्ठित रईसों का. सायरा बानो की मां भी अभिनेत्री थीं. नाम था नसीम बानो और उनके पिता प्रोड्यूसर थे, नाम था मियां एहसान-उल-हक. सायरा बानो की नानी शमशाद बेगम दिल्ली दरबार की गायिका हुआ करती थीं हालांकि वो मूलत: हसनपुर, उत्तर प्रदेश से थीं.

इन शमशाद बेगम को बॉलीवुड की पार्श्व गायिका शमशाद बेगम मत समझ बैठिएगा. ये उनसे अलग थीं. सायरा बानो का अधिकतर बचपन लंदन में बीता था. उनके दादा मुहम्मद सुलेमान अंग्रेजों के जमाने में दिल्ली के चीफ इंजीनियर हुआ करते थे. बाद के दौर में उन्होंने मोहम्मद अली जिन्ना की मजार भी बनाने का भी काम किया. ऐसे में सायरा जो चाहतीं, वो पाने से उन्हें कौन रोकता? सायरा बड़ी होने लगीं तो उन्होंने दो चीजें चाहीं. पहली नामदार अभिनेत्री बनना और दूसरी दिलीप कुमार से ब्याह रचाना.

सायरा बानो ने एक इंटरव्यू में यह माना है कि जब वह 12 साल की थीं, तबसे अल्लाह से इबादत में मांगती थी कि उन्हें अम्मी (नसीम) जैसी हीरोइन बना दें और श्रीमती दिलीप कुमार बनकर उन्हें बेहद खुशी होगी. सायरा का पहला ख्वाब पूरा हुआ और उन्होंने 1959 में बॉलीवुड में प्रवेश किया. नसीम के पुराने दोस्त रहे फिल्मालय के शशिधर और सुबोध मुखर्जी ने फिल्म जंगली में शम्मी कपूर के साथ सायरा को लॉन्च किया.

राजेंद्र कुमार के चलते दूसरी ख्वाहिश पूरी हुई

1960 के दशक में सायरा की कई सुपरहिट फिल्में बॉक्स ऑफिस पर धूम मचाने लगी थी. उन्हीं दिनों उनकी राजेंद्र कुमार से नजदीकियां बढ़ीं. तब तक राजेंद्र कुमार को जुबली कुमार के नाम से पुकारा जाने लगा था. कई लोगों को राजेंद्र के अभिनय में दिलीप कुमार की परछाई समाई दिखती थी. सायरा बानो की मां नसीम को शादीशुदा राजेंद्र कुमार के साथ सायरा का ये रिश्ता फूटी आंख भी नहीं सुहाता था.

नसीम ने इसी दौर में पाली हिल पर दिलीप कुमार के घर के पास अपना घर भी बनवा लिया था. एक दिन सायरा की बर्थडे पार्टी का आयोजन हुआ. कई सितारे उसमें आमंत्रित थे. पार्टी में राजेंद्र कुमार भी अपनी पत्नी शुक्ला के साथ पहुंचे. शुक्ला खुद इस रिश्ते के बारे में उड़ती अफवाहों को लेकर चिंतित थीं. सायरा बीवी के साथ आने से राजेंद्र कुमार से चिढ़ गई थीं. नसीम भी उन्हें समझा पाने में कामयाब नहीं रहीं. ऐसे में उन्होंने पड़ोसी दिलीप कुमार की मदद लेने का फैसला किया. हालांकि दिलीप कुमार इस मसले में फंसने से बचना चाहते थे पर बेमन से उन्होंने नसीम की बात मान ली.

जब दिलीप साहब ने सायरा को समझाया कि राजेंद्र कुमार के साथ शादी का मतलब है, पूरी जिंदगी सौतन बनकर रहना और तकलीफें सहना. तब पलटकर सायरा ने दिलीप साहब से ही सवाल कर दिया कि क्या वो उनसे शादी करेंगे? सवाल से हड़बड़ाए दिलीप उस समय इसका जवाब नहीं दे पाए.

लेकिन फिर 11 अक्टूबर, 1966 के दिन दिलीप कुमार ने उम्र में 22 साल छोटी सायरा से शादी कर ली. वो बॉलीवुड का ही नहीं, हिंदुस्तान के इतिहास का भी एक यादगार क्षण था. दूल्हे दिलीप कुमार की घोड़ी की लगाम पृथ्वीराज कपूर ने थामी थी और दाएं-बाएं राज कपूर और देव आनंद नाच रहे थे. इस तरह तब तक मोस्ट वांटेड कुंवारा माने जाने वाले दिलीप कुमार विवाह बंधन में बंध गए.

उस दौर के जानकार कहते हैं, दिलीप कुमार कामिनी कौशल और मधुबाला के प्रेम में निराश हो चुके थे. इसलिए स्वाभाविक रूप से सायरा बानो से उनकी नजदीकियां बढ़ती गईं और जब सायरा बानो ने चेन्नई में एक फिल्म की शूटिंग के दौरान बीमार पड़ने पर उनकी अथक तीमारदारी की तो दिलीप कुमार का दिल खुद-ब-खुद सायरा की झोली में जा गिरा.

फिर कभी मां नहीं बन पाईं सायरा बानो

पिछले दिनों एक बार फिर जब दिलीप कुमार सेहतमंद होकर वापस घर लौटे तो सायरा बानो को सती-सावित्री की उपमा दी जाने लगी. लोगों ने कहा, जब तक दिलीप कुमार के साथ सायरा बानो हैं तब तक उन्हें कुछ भी नहीं हो सकता. तब सायरा ने भी बयान दिया, 'अगर किसी महिला का पति भारत का 'कोहिनूर' हो तो उसकी पत्नी 'सती-सावित्री' क्यों नहीं होगी. हर पत्नी अपने पति से प्यार करती है. यह कोई बड़ी बात नहीं है. मैं जो कुछ भी कर रही हूं, उसके लिए मैं यह नहीं कहूंगी कि मैं उनकी देखभाल कर रही हूं. यह उनके लिए मेरा प्यार है और मैं उनके लिए यह और 100 बार करने को तैयार हूं.'

सायरा बानो ने जिंदगी की हर मुश्किल में दिलीप कुमार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सफर तय किया है

पर आज के बयान को छोड़ दें तो दोनों की जिंदगी को खंगालने पर पता चलता है कि दोनों के रिश्तों में काफी उतार-चढ़ाव रहे हैं. दिलीप कुमार, सायरा बानो की बहुचर्चित शादी तो हो गई थी पर बहुत भीड़भाड़ वाले दिलीप कुमार के घर में सायरा का मन ना लगा. वो अपनी मां के पास आकर ही रहती थीं. उन्होंने एक्टिंग भी जारी रखी. शादी के नाम पर करियर को सूली पर चढ़ाने का ख्याल उनके जेहन में कभी नहीं था. फिल्म विक्टोरिया 203 की शूटिंग के दौरान सायरा गर्भवती भी हुईं पर उन्होंने शूटिंग जारी रखी. कहते हैं इसी बीच कुछ गड़बड़ी होने से बच्चा मरा हुआ पैदा हुआ. कहा जाता है इस दुर्घटना के बाद दिलीप कुमार फूट-फूटकर रोए थे.

दिलीप कुमार 2014 में आई अपनी आत्मकथा दिलीप कुमार: द सब्स्टांस एंड द शैडो में भी इस घटना का जिक्र करते हैं. जिसके हिसाब से सायरा के गर्भ में एक लड़का था (लिंग का पता मृत बच्चा पैदा होने के बाद चला). सायरा बानो का ब्लड प्रेशर उन दिनों बहुत ज्यादा था, जिसके चलते डॉक्टर बच्चे को ऑपरेशन के जरिए बचा नहीं सके और उसकी मौत हो गई. इसके बाद दंपति ने अल्लाह की मर्जी मानकर कभी बच्चों की चाहत नहीं रखी.

मीडिया ने बना दिया मोस्ट कमिटेड, मोस्ट रोमांटिक कपल

खैर, उस दौर में जब सायरा अपनी फिल्मों में व्यस्त और परिवार में मस्त थीं. विवाह के बाद से दिलीप कुमार की मित्रमंडली भी बिखर गई थी. 1979 में दिलीप-सायरा की जिंदगी में एक तूफान आया, जब दोनों के बीच दूसरी औरत आ गई. हैदराबाद की आसमां से दिलीप कुमार ने 30 मई, 1980 को शादी कर ली. हालांकि उनका आसमां से 22 जून, 1983 को तलाक भी हो गया.

आसमां वापस अपने पूर्व पति के पास चली गईं और रहने लगीं. इस शादी पर इतना हो-हल्ला और बवाल इसिलए हुआ क्योंकि दिलीप कुमार इस शादी को काफी दिनों तक छिपाए रखना चाहते थे. वो इस शादी से जुड़ी हर खबर को कई दिनों तक झूठ बताते रहे, जबकि खबरें सच्ची थीं. कहा जाता है कि इस शादी के पीछे दिलीप कुमार की औलाद पाने की चाह भी जरूर रही होगी.

बाद में जैसे-जैसे वक्त गुजरा और दिलीप कुमार और सायरा बानो की साथ-साथ उम्रदराज होने की तस्वीरें और वीडियो सामने आने शुरू हुए. पेज 3 पर रोमांटिक कपल, सबसे सफल फिल्मी जोड़ी का खिताब उन्हें मिलने लगा. अब तो ये बात बिल्कुल आम है. हाल-फिलहाल भी ऐसा खिताब बांटती किसी पत्र-पत्रिका, वेबसाइट पर आपकी नजर जरूर पड़ी होगी.

खैर, सायरा बानो चाहे 'सावित्री' ही क्यों ना हो गई हों पर सबसे पहले वो सायरा हैं. जिसने जो चाहा, वो मेहनत से हासिल किया. जिसने बॉलीवुड की ऊंचाईंया भी देखीं और एक दौर ऐसा भी जब उनकी आधा दर्जन फिल्में रिलीज ही नहीं हो सकीं. उनका फितूरी और जुनूनी अंदाज ही उनकी खासियत है, जो इस गीत में उभर कर आता है...