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जन्मदिन विशेष: एक्टर-डायरेक्टर और पेंटर बनने के सफर में 'बैंक क्लर्क' भी रहे हैं अमोल पालेकर

पालेकर फाइन आर्ट के स्टूडेंट थे और एक पेंटर बनना चाहते थे लेकिन जिंदगी उन्हें एक्टिंग की ओर ले गई

Rituraj Tripathi

किसी शायर ने बहुत खूब कहा है..खुशमिजाजी मशहूर है हमारी, सादगी भी कमाल है..हम शरारती भी इंतेहा के हैं, तन्हा भी बेमिसाल हैं. अपने दौर के मशहूर अभिनेता अमोल पालेकर इन लाइनों में बिल्कुल फिट बैठते हैं.

अक्सर लोग कहते हैं कि एक आदमी में कई आदमी छुपे होते हैं लेकिन अमोल पालेकर को देखकर लगता है कि एक कलाकार में कई कलाकार छुपे होते हैं जिन्हें तराश कर इंसान अपनी जिंदगी के सर्वश्रेष्ठ पर पहुंच सकता है.


अमोल पालेकर ने अपनी जिंदगी के सफर में कई किरदारों को केवल जिया ही नहीं बल्कि निभाया भी है.करियर की शुरुआत में पालेकर बैंक क्लर्क रहे और फिर थियेटर आर्टिस्ट भी, बॉलीवुड के अभिनेता भी रहे और निर्देशक भी. एक पेंटर की आत्मा तो उनमें आज भी धड़कती है.

तमाम किरदारों को जीने वाले अभिनेता अमोल पालेकर का आज जन्मदिन है. वह 74 साल के हो गए लेकिन काम करने की ऊर्जा आज भी वैसी ही है, जैसी करियर की शुरुआत में हुआ करती थी. उनका जन्म 24 नवंबर 1944 को मुंबई के एक लोअर मिडिल क्लास परिवार में हुआ था. पिता पोस्ट ऑफिस में काम करते थे और उनकी मां एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करती थीं.

घर के हालातों को देखते हुए अमोल ने भी जिंदगी से बहुत कुछ नहीं चाहा था. वह खुद भी बैंक ऑफ इंडिया में बतौर क्लर्क काम करते थे. पालेकर ने अपनी पढ़ाई मुंबई के प्रसिद्ध सर जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स से की थी. वह फाइन आर्ट के स्टूडेंट थे और एक पेंटर बनना चाहते थे. बतौर पेंटर उन्होंने कई बड़े ग्रुप की प्रदर्शनियों में भी हिस्सा लिया. लेकिन जिंदगी उन्हें एक्टिंग की ओर ले गई.

थियेटर करने के दौरान सत्यदेव दुबे से हुई मुलाकात, ऐसे बनी एक्टिंग में जाने की बात

सब कुछ बहुत साधारण चल रहा था. ऐसे में अमोल की मुलाकात अपनी छोटी बहन की क्लासमेट चित्रा से हुई. अमोल को चित्रा से प्यार हो गया लेकिन चित्रा थियेटर आर्टिस्ट थीं इसलिए अमोल का भी रुझान थियेटर की ओर होने लगा. अमोल, चित्रा के साथ थियेटर जाने लगे और उन्हीं के साथ रिहर्सल भी करने लगे.

चित्रा के साथ थियेटर जाने के दौरान अमोल की मुलाकात मशहूर डायरेक्टर सत्यदेव दुबे से हुई. दुबे ने पालेकर को एक्टिंग करने के लिए प्रेरित किया. यहां तक कि डायरेक्टर बासु चटर्जी ने उन्हें एक फिल्म का भी ऑफर दिया लेकिन पालेकर ने फिल्म में काम करने से मना कर दिया.

चटर्जी यहीं नहीं रुके, वह एक और फिल्म का ऑफर लेकर पालेकर के पास पहुंचे. इस बार पालेकर ने 'हां' कर दी और उनका एक्टिंग करियर शुरू हो गया. इस मौके को गले लगाकर पालेकर ने अपनी जिंदगी के लिए नए दरवाजे खोल लिए और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने 1971 में सत्यदेव दुबे द्वारा निर्देशित मराठी फिल्म 'शांतता कोर्ट चालू आहे' से अपने करियर की शुरुआत की.

1974 में आई बासु चटर्जी की फिल्म रजनीगंधा ने दर्शकों के दिल में पालेकर के लिए खास जगह बनाई. गोलमाल, नरम-गरम, घरौंदा, बातों-बातों, छोटी सी बात जैसी फिल्में पालेकर की बेहतरीन और सादगी से भरी एक्टिंग का ही नतीजा हैं. गोलमाल फिल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला था.

पालेकर ने केवल एक्टिंग ही नहीं की बल्कि कच्ची धूप, नकाब और पहेली जैसी कई फिल्मों का निर्देशन भी किया. हालांकि अब पालेकर मुंबई की शोर भरी दुनिया से दूर पूना में पेंटिंग को समय दे रहे हैं.