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वॉट्सऐप ने जारी की गाइडलाइन, फेक न्यूज से बचाएंगी ये टिप्स

वॉट्सऐप ने यूजरों के लिए कुछ टिप्स जारी किए हैं, जिनसे फेक न्यूज को रोकने में सहायता मिल सकती है

FP Staff

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वॉट्सऐप ने फेक न्यूज और गलत जानकारियों को फैलने से रोकने के लिए जरूरी गाइडेंस जारी किया है. भारतीय सरकार की ओर से प्लेटफॉर्म को मिले फेक न्यूज को फैलने से रोकने के निर्देश के बाद वॉट्सऐप ने यूजरों के लिए कुछ टिप्स जारी किए हैं, जिनसे फेक न्यूज को रोकने में सहायता मिल सकती है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वॉट्सऐप के नए सस्पीशस लिंक डिटेक्शन फीचर में कई ऐसी विशेषताएं होंगी जो, यूजरों को फेक न्यूज को पहचानने में मदद करेंगी. इनमें फॉरवर्ड मैसेजों को भी पहचानने के लिए लेबल लगे होंगे. अगर कोई संदेहजनक लिंक फॉरवर्ड हो रहा होगा, तो उसमें रेड अलर्ट का लेबल होगा.


इसके अलावा वॉट्सऐप ने ये कुछ टिप्स जारी किए हैं, जिनका यूजर अगर ध्यान रखें तो फेक न्यूज और गलत इन्फॉर्मेशन की वजह से हो रही हिंसा से बचा जा सकता है-

- फॉरवर्ड किए गए मैसेज से सावधान रहें: वॉट्सऐप एक नया फीचर लाने वाला है, जिससे ये पता लगाया जा सकेगा कि कौन सा मैसेज फॉरवर्ड होकर आया है और उसमें मौजूद तथ्य सच हैं या नहीं.

- जिन खबरों पर यकीन न हो, उनकी जांच करें: जिन जानकारियों पर यकीन न हो, उनके बारे में अन्य स्रोतों से भी पता करें कि वो सच हैं या नहीं.

- परेशान करने वाली जानकारियों की जांच करें: अकसर जिन खबरों और जानकारियों को पढ़कर आपको गुस्सा आता हो, जरूरी नहीं कि वो सच हों. ये गुस्सा और हिंसा फैलाने के लिए फॉरवर्ड की गई खबरें भी हो सकती हैं.

- थोड़ा अलग दिखने वाले मैसेज से भी सावधान रहें: अकसर जो खबरें झूठी होती हैं, उनमें वर्तनी और मात्राओं में काफी गलतियां होती हैं. साथ वाक्य रचना भी काफी टेढ़ी-मेढ़ी होती है. ऐसे खबरों पर जल्दी भरोसा न करें.

- फोटो को ध्यान से देखें: अगर आपके पास किसी जानकारी या न्यूज के साथ कोई फोटो आई है, तो उसे शेयर करने से पहले फोटो को ध्यान से देखें. अपने विवेका का इस्तेमाल करते हुए सोचें कि क्या फोटो जानकारी से मैच करती है. फोटो के बैकग्राउंड को ध्यान से देखें, हो सकता है कि उसमें कुछ ऐसा मिल जाए जो आपको इशारा दे कि ये फोटो फेक है. हिंसा फैलाने के लिए अकसर ही फोटो और वीडियो के साथ छेड़छाड़ की जाती है और उसे किसी गुस्सा भड़काने वाली स्टोरी के साथ फॉरवर्ड किया जाता है.

- लिंक की भी जांच करें: इन जानकारियों के साथ आए लिंक भी अकसर फेक होते हैं. कभी-कभी ये जाने-पहचाने से लगते हैं लेकिन इन्हें ध्यान से देखें तो फर्क साफ दिख जाएगा. जानी-मानी वेबसाइटों के नाम से बनाए जाने वाले इन लिंक्स में बहुत थोड़ा सा फर्क होता है, ताकि लोग इन वेबसाइटों के नाम पर फेक न्यूज पर भरोसा कर लें. इसलिए इन लिंक्स से सावधान रहें.

- अन्य स्रोतों से भी पता लगाएं: किसी जानकारी की सच्चाई पता लगाने के लिए उसे दूसरे स्रोतों यानी अखबारों और वेबसाइटों पर भी उन खबरों को ढूंढें. अगर ये सच होगी, तो आपको दूसरी जगहों पर भी जानकारी मिल जाएगी.

शेयर का मतलब ये नहीं कि जानकारी सही है: अगर कोई एक जानकारी आपको कई लोगों से मिली है, इसका मतलब ये नहीं कि वो सही है. वैसे भी झूठी खबरें जल्दी फैलती हैं.

- फॉरवर्ड करने से पहले सोचें: आपका एक फॉरवर्ड एक हिंसात्मक घटना को अंजाम दे सकता है. इसलिए कुछ भी शेयर करने से पहले सोचें कि जो भी आप शेयर कर रहे हैं, उसमें कितनी सच्चाई है.

- तय कर लीजिए कि आप क्या देखना चाहते हैं: आप किस तरह की जानकारियां चाहते हैं और कैसे लोगों के कॉन्टैक्ट में रहना चाहते हैं, ये आपकी पसंद पर निर्भर करता है इसलिए उन्हीं लोगों के कॉन्टैक्ट में रहें, जो अंधाधुंध मैसेज फॉरवर्ड नहीं करते और सोशल मीडिया पर अपनी जिम्मेदारी समझते हैं. वर्ना आपके पास ब्लॉक का ऑप्शन है ही. आप किन ग्रुप्स में रहना चाहते हैं, ये भी आपको ही तय करना है. इसलिए जरूरी है कि आप अपनी जिम्मेदारी निभाएं और फेक न्यूज और गलत जानकारी फैलने से रोकें क्योंकि पिछले एक साल में नौ राज्यों में बस फेक न्यूज के चलते 27 लोगों की हत्या कर दी गई है.