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द जोकर: वो महान विलेन, जिसकी बातों में दर्शन छिपा है

जोकर की खासियत है कि वो शब्दों के अर्थ बिलकुल बदल देता है, जब जोकर 'वाय सो सीरियस' कहता है तो वो डरावना होता है

Animesh Mukharjee

द जोकर, यानी हीथ लेजर की 22 जनवरी को मौत हो गई. उनकी फिल्म डार्क नाइट लेजर की मौत के बाद रिलीज़ हुई. क्रिस्टोफर नोलन की बैटमैन ट्रिलॉजी की तीसरी फिल्म ने हीथ लेजर को अमर कर दिया.


 

जोकर एक विलेन भर नहीं है. उसके किरदार और बातों में एक अलग तरह का दर्शन छिपा है. नोलान ने 1988 के ग्राफिक नॉवेल 'द जोक' और 1996 की 'द लॉन्ग हैलोवीन' को मिलाकर 'द डार्क नाइट' की कहानी लिखी. हीथ लेजर ने इसमें जोकर के किरदार के जरिए एक नया बेंचमार्क सेट कर दिया.

जोकर किसी चीज़ से निजी रूप से जुड़ा नहीं है. उसका काम अराजकता फैलाना है. अपने आप को हर चीज़ से परे रखकर सिर्फ अराजकता फैलाने या लोगों के अंदर का सच सामने लाने की जोकर की ये खासियत उसे सबसे बड़ा विलेन बना देती है.

जोकर की खासियत है कि वो शब्दों के अर्थ बदल देता है. बैटमैन से मुठभेड़ में जोकर उसकी प्रेमिका को छत से लटका देता है. बैटमैन के 'उसे छोड़ दो' कहने पर वो उसे छत से छोड़ देता है और कहता है 'poor choice of words.'

इसी तरह जोकर दावा करता है कि वो लोगों के अंदर के सच को सामने लाता है. एक सीन में अपराधी और सभ्य लोगों के पास एक दूसरे को बम से उड़ाने का ऑप्शन होता है. अपना आखिरी समय देखकर सभ्य लोग हत्याएं करने पर राजी हो जाते हैं और अपराधी शहर को बचाने के लिए अपनी जान देने को तैयार.

हीथ ने इस किरदार के लिए अपने आप को कमरे में बंद रखा. अपने अंदर जोकर के किरदार वाली अराजकता लेकर आए. 28 साल की उम्र में लेजर ड्रग्स कॉम्बिनेशन के चलते इस दुनिया से चले गए. मौत के पहले उन्होंने कई बड़े किरदार निभाए. मगर जोकर ने उन्हें दुनिया भर में अमर कर दिया.