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ये कैसी 'भूख', जिसे शांत करना समाज के लिए बन रहा है खतरा?

अगर अब आप के पास पैसा है तो आप इन दमित इच्छाओं को खुल कर एंजॉय कर सकते हैं

Nidhi

'भगवान के लिए मुझे छोड़ दो'

हिंदी सिनेमा का यह बेहद घिसा पिटा डायलॉग है. जाने माने लेखक चेतन भगत के उपन्यास 'हाफ गर्लफ्रेंड' में अपनी नायिका से कहता है, 'देती है तो दे वर्ना कट ले...'


ये और ऐसी कई बातों को ज्यादातर लोग मजाक में लेते हैं और हंस कर आगे बढ़ जाते हैं. ऐसी बातों के पीछे जो यौन कुंठा झलकती है, लोग उसकी अनदेखी कर देते हैं.

अमूमन लोग अपनी कुंठा, वासना या हवस को समाज और कानून के डर से छिपाकर रखते हैं. लेकिन जब भी इन लोगों को मौका मिलता है उनका सनकपन खुलकर सामने आ जाता है.

ये कैसा कारोबार?

हालांकि कुछ कारोबारी ऐसी इच्छाओं को भुनाने में भी पीछे नहीं हैं. ऐसी ही सनक और शौक पूरा करने के लिए दुनिया भर में तमाम जगहों पर सेक्स डॉल उपलब्ध रहती हैं.

सेक्स डॉल, एक ऐसा खिलौना है जिसके साथ आप अपनी यौन इच्छाएं पूरी कर सकते हैं. आप को अच्छा लगे या न लगे लेकिन दुनिया के बाजार में इनके खरीददारों की लंबी तादाद है.

क्या डॉल से मिलेगी सेफ्टी? 

कुछ लोगों का मानना है कि एक हद तक इन डॉल्स का होना अच्छा भी है. उनकी दलील है कि इनके होने से औरतों को अनचाही जोर-जबरदस्ती और संभावित खतरों से थोड़ी राहत मिल सकती है.

औरतों पर शारीरिक जोर-जबरदस्ती करके संतुष्टी पाने की चाहत रखने वाले लोगों के लिए अब एक नई तरह की सेक्स डॉल मार्केट में आई है. यह है 'फ्रिजिड फैरा.' यह डॉल न सिर्फ पुरुषों की शारीरिक भूख मिटाती है बल्कि सामान्य सेक्स से इतर उनके सनकपन की भूख को भी शांत करती है.

क्या है 'फ्रिजिड फैरा' के मायने?

फ्रिजेड का मतलब ही है जो शांत हो ठंडा हो. लाखों रुपए की कीमत वाली इन प्लास्टिक के सेक्स डॉल में एक फ्रिजेड मोड का बटन होता है. इसको दबाने के बाद वो गुड़िया ऐसी प्रतिक्रियाएं देती हैं जिनसे लगता है कि उसका रेप हो रहा हो. उसे छूने पर वो चीखेगी, चिल्लाएगी. ठीक वैसे ही रिएक्ट करेगी जैसा बिना मर्जी के छूने पर कोई लड़की करती.

तमाम लोग एक तय कीमत अदा करते हुए बलात्कार जैसे अपराध का ‘मजा’ ले पाएंगे. वो भी बिना कानून की गिरफ्त में आए. क्योंकि कानून प्लास्टिक के डॉल पर लागू नहीं होता.

समाज के लिए खतरनाक है सेक्स डॉल्स

आम तौर पर रेप के पीछे तीन वजहें मानी जाती हैं. पहला कारण सांस्कृतिक विरोधाभास है. अपने समाज में महिलाओं को हमेशा पर्दे में, पूरे कपड़ों में देखने वाले पुरुष जब किसी दूसरे परिवेश में महिलाओं को खुले स्वच्छंद माहौल में देखते हैं तो अक्सर अपनी इच्छाओं पर काबू खो देते हैं.

इसके अलावा बलात्कार की दूसरी वजह कुंठा है. ये कुंठा कई तरह की हो सकती है. समाज में ठुकराए जाने की, शोषण की या नशे से उपजी कुंठा भी. इन दोनों के अलावा रेप की तीसरी बड़ी वजह प्रेम संबंधो का ठुकराया जाना या उनका टूटना हो सकती है.

सवाल कई हैं, जिनके जवाब शायद पैसों की चमक में दिख नहीं रहे हैं. याद रखिए बलात्कार हमेशा शारीरिक संबंधों से ज्यादा पावर इस्टैब्लिशमेंट का हथियार होता है.

पहले से ही समाज में ऐसी घटनाओं की कमी कहां है? चाइल्ड एब्यूज के ज्यादातर मामलों में कोई न कोई परिचित ही जिम्मेवार होता है. और यहीं तक नहीं अब कई ऐसे मामले भी सामने आ रहे जिसमें कोई व्यक्ति अपनी कुंठा को अब सबके सामने में जाहिर करने से नहीं चूक रहा.

जारी है ऐसे हादसों की कहानी

हाल में आई एक मुंबई लोकल की खबर जहां 22 साल की एक लड़की पूजा नैयर ने मुंबई लोकल में खुद के सामने होती एक घटना की पोस्ट डाली. लोकल ट्रेन के लड़की के साथ लेडीज कम्पार्टमेंट में एक युवक ने छेड़छाड़ ही नहीं किया बल्कि वहां मास्टरबेट करते हुए लड़की को गलियां दे रहा था. हद तो तब हो गई जब लड़की ने हेल्पलाइन नंबर पर शिकायत की तो संबंधित अधिकारी शिकायत पर कार्रवाई करने के बजाए लड़की पर ही हंसने लगा.

पुरुष का 'ऑब्सेसिव सेक्सुअल बिहेवियर'

इस मामले में साइकोलॉजिस्ट डॉ. प्रतिभा यादव बताती हैं, ‘ये जो लोग इस तरह छेड़छाड़ करते हैं, इनमें कई बार हम देखते हैं कि वे लोग भीड़ देखकर किसी शरीर के पार्ट को टच करने की कोशिश करते हैं. कुछ कमेंट करना, अपने प्राइवेट पार्ट को शो करना, ये उनका एक तरह का ऑब्सेसिव सेक्सुअल बिहेवियर है.

ये ज्यादातर उनलोगों में दिखता है जो फ्री हैं, जिनके पास काम नहीं होता. उनके पास इतना पैसा भी नहीं होता की वो अपनी सेक्सुअल डिजायर को कहीं जा कर रिलीज कर सकें. उनकी सेक्स को लेकर, इतनी जानकारी भी नहीं है. इसलिए वो इस तरह की हरकत करते हैं.

पब्लिक के सामने इस तरह मास्टरबेट करने जैसी हरकत वो है जब वो खुद के दिमाग पर अपना कंट्रोल खो चुके होते हैं. हम ऐसे लोगों को मानसिक रूप से बीमार लोगों की कैटेगरी में ही रखेंगे. जब इनके लिए भूख लगे तो खाना, प्यास लगे तो पानी और सेक्स डिजायर में फर्क ही नहीं रह जाता.

ऐसे लोगों पर माहौल का बहुत बड़ा प्रभाव होता है. बचपन से उन्होंने कैसा समाज देखा है. शिक्षा का अभाव, लड़कियों और समाज के प्रति उनकी भूमिका का नहीं समझना. ये सारी बातें ऐसी घटनाओं के लिए मुख्य रूप से जिम्मेवार होती हैं. कुछ लोगों को जन्म से सिर्फ काम करके पैसे कमाना और पेट भरना सिखाया गया, इसलिए वे पानी सेक्सुअल डिजायर को नहीं समझ पाते. बाहर घूमती हुईं लड़कियों को देख भी उन्हें कई तरह के भ्रम होते हैं, क्योंकि उन्होंने उस दुनिया को करीब से नहीं देखा. उन्हें छोटे कपड़ों में लड़कियों को दिखना न्यौता ही लगता है.

तो डॉक्टर के अनुसार ऐसे लोगों को मानसिक रूप से बीमार समझना चाहिए. लेकिन वहीं जिनके पास अब पैसे हैं वो अपनी इस घिनौनी इच्छा को पूरा कर सकते हैं.

सेक्स डॉल्स के मालिकों की डरा देने वाली मानसिकता

द सन में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, ऐसी डॉल्स को रिपेयर करने वाले शख्स स्लेड फ़ियरो ने जब अपने अनुभव साझा किए, तो सेक्स डॉल्स के मालिकों की मानसिकता का ऐसा नमूना सामने आया जिस पर शायद कोई भी विश्‍वास नहीं करेगा. जो बेहद हैरान करने वाला है.

ब्रिटेन के 'द सन' अखबार को दिए इंटरव्‍यू में उन्होंने बताया- 'मेरे पास एक व्यक्ति आया था जो यौन हिंसक था, जिसने अपनी डॉल का बुरा हाल किया हुआ था. उसके साथ इतनी बुरी तरह से संबंध बनाए गए थे कि डॉल का बायां पैर बुरी तरह से टूटा हुआ था. वो मेरे पास दो बार उस डॉल को लेकर आया, दूसरी बार के बाद मैंने उसे मना कर दिया कि कभी मेरे पास वापस मत आना.

स्लेड बताते हैं, उनके पास डॉल की रिपेयर कराने आया वो शख्स महिलाओं के बारे में जिस तरह की बातें कर रहा था इससे यही पता चलता है कि वो आदमी पागल था, विकृत मानसिकता का लगता था.

शारीरिक संबंध से अलग किस्म के एडवेंचर की इच्छा

यदि आप पिछले कुछ सालों की घटनाओं पर गौर करें तो देखेगे कि बलात्कार के पीछे अब एक नया कारण भी होता है. यहां ये एक किस्म का एडवेंचर होता है. इसी का परिणाम है कि अब गैंग रेप की घटनाएं ज़्यादा सुनाई देती हैं. लड़कों के झुंड बनाकर मोटर सायकिल पर रात में निकलने और बीयर की बोतल के सुरूर में कानून तोड़ने में ही एक नया पहलू जुड़ता दिखता है. सामुहिक रूप से किसी लड़की का रेप करना. ये रेप डॉल इसी मानसिकता को एक नए स्तर पर लेकर जाती है. जहां आप रेप करने का एडवेंचर कर सकते हैं.

सेक्स की इच्छा और उसके लिए सेक्स डॉल खरीदना गलत नहीं लेकिन आखिर ऐसी ही लड़की की इच्छा क्यों जो इनकार करे. यूं जबरन शारीरिक संबध बनाने की इस इच्छा से किस मानसिकता को ओर्गेज्म मिल रहा है?

इसके पीछे कई लोगों का तर्क यह भी है कि किसी महिला के साथ रेप जैसी बार्दात को अंजाम देने से बेहतर है वे अपनी भड़ास डॉल के साथ निकालें.

हम इस विकृत मानसिकता को स्वीकार रहे हैं?

तो मतलब यह कि हमारा समाज धीरे-धीरे पुरुष के इस विकृत चेहरे को स्वीकारने के लिए तैयार है? इस मानसिक कुंठा को कम करने पर विचार करना चाहिए या इसके साथ सहमति जताते हुए उनके अनुसार चीजें उपलब्ध करानी चाहिए?

कुंठाओं का ये खेल कहां पर जाकर रुकेगा ये पता नहीं है. संभव है कि आने वाले समय में लोग अपनी पसंद के चेहरों वाली, या उस लड़की के चेहरे जैसा जिस तक उनकी पहुंच नहीं हो पाती ऐसी डॉल्स की मांग करने लगें. तब क्या होगा? अगर कल को कोई व्यक्ति अपने पड़ोस की किसी लड़की के चेहरे वाली गुड़िया के साथ ये हरकत करे तो क्या लड़की रेप की शिकायत कर पाएगी?