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लुधियाना का वैक्स म्यूज़ियम देख कर हंसने नहीं सीखने की चीज़ है

इस म्यूज़ियम का सबने मजाक उड़ाया मगर इसके पीछे की कहानी प्रेरणा देने वाली है

FP Staff

लुधियाना शहर में एक वैक्स म्यूज़ियम खुला. प्रभाकर वैक्स म्यूज़ियम नाम के इस म्यूज़ियम में 52 मोम के पुतले रखे गए हैं. इन पुतलों का रंग रूप आकार कुछ ऐसा था कि इंटरनेट पर लोग हंसने लगे. किसी ने माइकल जैक्सन का पुतला देखकर कहा कि चलो मंगल पांडे का स्टैच्यू भी कहीं लगा दिया गया. ऐसा ही कुछ ओबामा, मोदी और कलाम के पुतलों के लिए कहा गया.

लेकिन अब इंटरनेट पर कहानी का दूसरा पक्ष भी आया है. इन पुतलों की शक्ल भले ही पर्फेक्ट न हो, इनको बनाने की कहानी प्रेरणा देने वाली है. ये वैक्स म्यूज़ियम प्रभाकर चंद्रशेखर ने बनाया है. ये सारे 52 पुतले उन्हीं ने बनाए हैं. 71 साल के प्रभाकर ने 2005 में ये काम शुरू किया. प्रभाकर का अपना बिज़नेस था, एक उम्र के बाद जब उनकी जिम्मेदारियां पूरी हो गईं तो उन्होंने शौक के लिए ये सारे पुतले बनाए.


प्रभाकर कहते हैं कि उन्हें पता है कि लोग उनका काम देखकर हंसेंगे. लेकिन उन्होंने कोई प्रोफेश्नल ट्रेनिंग नहीं ली है, वो सिर्फ फोटो देखकर बिना किसी नाप के ये वैक्स स्टैच्यू बनाते हैं. और ये उनका रिटायरमेंट के बाद का शौक है. इसके पीछे का सारा खर्च उन्होंने अपनी जेब से उठाया है. इसकी भरपाई के लिए वो 100 रुपए का टिकट लेते हैं. लुधियाना जैसे शहर में एक कारोबारी अपने जीवन में कुछ नया करने की कोशिश करता है तो वो इतना भी हास्यास्पद नहीं होता.