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1927 की इस तस्वीर में जेंडर गैप को ही नहीं मैरी क्यूरी को भी देखिए

इस दुर्लभ तस्वीर में नोबल अवॉर्ड हासिल करने वाली पहली महिला, फिजिसिस्ट मैरी क्यूरी अल्बर्ट आइंस्टीन, एम प्लैंक, एम बोर, डब्ल्यू आईजनबर्ग जैसे उस दौर के बड़े-बड़े वैज्ञानिकों के साथ एक ही फ्रेम में हैं

FP Staff

जेंडर इक्वलिटी का मु्द्दा वक्त-वक्त पर उठता रहता है. अभी 8 मार्च को ही इंटरनेशनल वुमंस डे मनाया गया है. और फिर महिला सशक्तिकरण को लेकर कई मुद्दों पर बात की गई लेकिन ये सारी बातें अलग रखिए, सिक्के के दूसरे पहलू की तरफ देखिए. औरतें काफी पहले से इस गैप को खत्म करने की कोशिश कर रही थीं और सफल भी रही थीं. मर्दों की दुनिया में सिर उठाकर अपनी पैठ जमाने वाली औरतों में एक खास बात दशकों पहले से रही है.

ये बातें इसलिए क्योंकि अभी कुछ दिनों पहले ही एक ऐसी तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर हुई है, जिसने एक तरफ गर्व करने का मौका भी दिया है, वहीं जेंडर गैप की बहस को भी तेज किया है.


इस दुर्लभ तस्वीर में नोबल अवॉर्ड हासिल करने वाली पहली महिला, फिजिसिस्ट मैरी क्यूरी अल्बर्ट आइंस्टीन, एम प्लैंक, एम बोर, डब्ल्यू आईजनबर्ग जैसे उस दौर के बड़े-बड़े वैज्ञानिकों के साथ एक ही फ्रेम में हैं. यूं तो ये तस्वीर इसलिए भी खास है कि इस एक तस्वीर में 29 बड़े-बड़े जीनियस शख्सियतों को एक साथ देखा जा सकता है लेकिन इसके अलावा ये तस्वीर मैरी क्यूरी की वजह से और भी खास हो जाती है.

1927 में ये ऐतिहासिक तस्वीर 5 अक्टूबर को सॉल्वे कॉन्फ्रेंस में ली गई थी. कॉन्फ्रेंस में उस वक्त के जाने-माने भौतिकविज्ञानी नई क्वांटम थ्योरी पर बहस करने के लिए इकट्ठा हुए थे. इस तस्वीर को 'द मोस्ट इंटेलीजेंट फोटो ऑफ ऑल टाइम' कहा जाता है. इस फ्रेम में मैरी क्यूरी अगली कतार में तीसरे नंबर पर बैठी हुई हैं.

मैरी क्यूरी को दो बार नोबल पुरस्कार से नवाजा गया था. वो नोबल पाने वाली पहली महिला और विज्ञान के दो अलग-अलग क्षेत्रों में दो नोबल पाने वाले 2 विजेताओं में से एक हैं. उन्हें पहला नोबल 1903 में फिजिक्स के क्षेत्र में रेडियोएक्टिव तत्वों का पता लगाने और दूसरा नोबल 1911 में केमेस्ट्री के क्षेत्र में रेडियम और पोलोनियम की खोज करने के लिए दिया गया था.

मैरी क्यूरी को अगर विज्ञान की पहली महान महिला कहा जाए, तो गलत नहीं होगा. यहां तक कि उन्हें विज्ञान की दुनिया की सबसे महान महिला का दर्जा बहुत पहले दिया जा चुका है. यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम के ट्विटर हैंडल से बताया गया कि 1913 में यूनिवर्सिटी ने मैरी क्यूरी को ऑनरेरी डॉक्टरेट से सम्मानित किया था. उस दौरान यूनिवर्सिटी के प्रिंसिपल सर ऑलिवर लॉज ने उन्हें ये दर्जा दिया था.