view all

गूगल डूडल: कौन थे जॉर्ज लेमैत्रे जिनकी थ्योरी की तारीफ आइंस्टीन ने भी की थी

गूगल ने लेमैत्रे को श्रद्धांजलि देते हुए एक बेहद खूबसूरत डूडल बनाया है. इस डूडल में लेमैत्रे की तस्वीर दिखाई गई है और उनके पीछे विस्तार करता ब्रह्मांड दिखाया गया है

FP Staff

बेल्जियम के कैथलिक पुजारी, एस्ट्रोनॉमर और फिजिक्स के प्रोफेसर जॉर्ज लेमैत्रे के 124वें जन्मदिन पर गूगल ने डूडल बनाकर उन्हें याद किया है. लेमैत्रे पहले ऐसे प्रोफेसर थे जिन्होंने बताया था कि ब्रह्मांड लगातार बढ़ रहा है. इसी सिद्धांत को आज हम बिग बैंग थ्योरी के नाम से जानते हैं. जॉर्ज लेमैत्रे को सबसे ज्यादा उनकी बिग बैंग थ्योरी के लिए ही याद किया जाता है.

गूगल ने लेमैत्रे को श्रद्धांजलि देते हुए एक बेहद खूबसूरत डूडल बनाया है. इस डूडल में लेमैत्रे की तस्वीर दिखाई गई है और उनके पीछे विस्तार करता ब्रह्मांड दिखाया गया है.


कौन थे जॉर्ज लेमैत्रे

लेमैत्रे का जन्म 17 जुलाई 1894 को बेल्जियम में हुआ था. उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई सिविल इंजीनियरिंग से की थी. लेकिन इस दौरान प्रथम विश्व युद्ध के समय वे आर्टिलरी ऑफिसर के तौर पर बेल्जियम आर्मी में शामिल हो गए, जिससे उनकी पढ़ाई वहीं पर रुक गई.

युद्ध खत्म होने के बाद उन्होंने फिजिक्स और मैथ्स से अपनी पढ़ाई फिर शुरू की. अध्यात्म की तरफ झुकाव होने की वजह से वे पुजारी भी बन गए. 1923 में वो कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट हुए. इसके बाद वे आगे की पढ़ाई के लिए हार्वड और मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में भी गए.

1927 में लेमैत्रे ने कैथलिक यूनिवर्सिटी ऑफ लियूवेन में एस्ट्रोफिजिक्स के प्रोफेसर के तौर पर काम किया. यह वही साल था जब उन्होंने बिग बैंग थ्योरी का सिद्धांत दुनिया के सामने रखा.

अल्बर्ट आइंस्टीन ने की थी तारीफ

साल 1933 में अल्बर्ट आइंस्टीन ने भी उनकी इस थ्योरी की तारीफ की थी. दरअसल कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में दुनिया के कुछ महान वैज्ञानिक एक सेमिनार में शामिल होने पहुंचे थे. इसी सेमिनार में लेमैत्रे ने अपनी थ्योरी के बारे में लेक्चर दिया. उनके लेक्चर के बाद आइंस्टीन ने कहा था कि ब्रह्मांड के निर्माण को लेकर मैंने अब तक जितनी भी थ्योरी सुनी है, ये उनमें से सबसे ज्यादा संतुष्टि देने वाली है.

इसके बाद उन्होंने कॉस्मिक माइक्रोवेव बैकग्राउंड रेडिएशन की खोज भी की, जिन्होंने उनकी बिग बैंग थ्योरी को और मजबूत बना दिया. इसके कुछ समय बाद 1966 में उनकी मृत्यु हो गई.