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महादेवी वर्मा: आधुनिक मीरा की याद में बना खूबसूरत गूगल डूडल

इस डूडल को कलाकार सोनाली ज़ोहरा ने बनाया है. इस डूडल में प्रकृति की छांव में कलम और पेन लेकर बैठी हुई महादेवी वर्मा को दिखाया गया है

FP Staff

गूगल ने आज यानी 27 अप्रैल को हिंदी साहित्य जगत की जानी-मानी कवियित्री महादेवी वर्मा को एक खूबसूरत डूडल समर्पित किया है. गूगल ने उनकी कृतियों के सम्मान में Celebrating Mahadevi Varma शीर्षक से डूडल बनाया है.

इस डूडल को कलाकार सोनाली ज़ोहरा ने बनाया है. इस डूडल में प्रकृति की छांव में कलम और पेन लेकर बैठी हुई महादेवी वर्मा को दिखाया गया है.


हिंदी कविता जगत के बड़े नामों में शामिल महादेवी वर्मा को कौन नहीं जानता. छायावादी कविता युग के चार स्तंभों (जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, सुमित्रानंदन पंत और महादेवी वर्मा) में उनका नाम भी शामिल रहा है.

उत्तरप्रदेश के फर्रूखाबाद में 26 मार्च, 1907 को जन्मी इस कवियित्री महादेवी इसलिए रखा गया था क्योंकि उनके परिवार में कई पीढ़ियों के बाद लड़की का जन्म हुआ था इसलिए ये नाम उन्हें बड़े चाव से दिया गया.

महादेवी वर्मा की पढ़ाई इंदौर के मिशन स्कूल से हुई थी. उन्होंने बाद की पढ़ाई इलाहाबाद के क्रास्थवेट कॉलेज से की. उन्होंने 7 साल की उम्र से लिखना शुरू कर दिया था और 1925 तक स्कूल खत्म होते-होते उनका नाम साहित्यिक जगत में जाना जाने लगा था. उन्होंने 1921 में आठवीं क्लास में पूरे उत्तर प्रदेश में टॉप किया था. उनकी शादी 9 साल की उम्र में ही हो गई थी लेकिन अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए वो इलाहाबाद में हॉस्टल में रहीं, अपने पति से अलग. उनके माता-पिता ने पढ़ाई पूरी करने में उनका पूरा साथ दिया.

उनकी पहली कविता कुछ ऐसे थी-

ठंडे पानी से नहलाते,

उनका भोग खुद खा जाते,

फिर भी कुछ नहीं बोले हैं,

मां! ठाकुर जी भोले हैं.’

महादेवी वर्मा को आधुनिक मीरा कहा जाता है क्योंकि उन्होंने प्रेम और वियोग में लिखा है. लेकिन मीरा और महादेवी में फर्क इतना है कि महादेवी प्रेम में रहकर भी विरक्त रहती हैं. महादेवी प्रकृति के बेहद करीब रहीं और इनकी कविताओं में इसकी झलक साफ दिखती है. उनकी कविताओं में करुणा दिखती है और इसकी छाप उनके गद्य में भी दिखती है. साथ ही महादेवी अपनी रचनाओं में स्त्री मुक्ति की भी बात करती हैं. स्कूल के दौरान ही उन्होंने Sketches from My Past नाम से कहानियां लिखीं, जिसमें उन सहेलियों और उनकी तकलीफों का जिक्र था, जिनसे वे पढ़ाई के दौरान मिलीं.

महादेवी वर्मा की 18 काव्य और गद्य कृतियां प्रकाशित हुई हैं. स्मृति की रेखाएं, अतीत के चलचित्र, मेरा परिवार, श्रृंखला की कड़ियां प्रमुख हैं. साहित्य में योगदान के लिए 80 के दशक में इस छायावादी कवियित्री को ज्ञानपीठ मिला. उन्हें और भी कई साहित्यिक पुरस्कार मिले. 11 सितंबर 1987 को अपनी कर्मभूमि इलाहाबाद में ही उनका देहांत हो गया.