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क्या राष्ट्रगान के लिए 52 सेकेंड खड़े होना इतना मुश्किल है?: गौतम गंभीर

गौतम गंभीर ने फिर इस मुद्दे पर अपना स्टैंड सबके सामने रखा है और इस एक ट्वीट ने फिर सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी है

FP Staff

देश में इस वक्त राष्ट्रगान का मुद्दा फिर चर्चा में आ गया है. सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा था कि राष्ट्रगान ही देशभक्ति दिखाने का जरिया नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने सिनेमाहॉल में राष्ट्रगान बजाने के फैसले पर कहा कि अगर कोई सिनेमाघरों में राष्ट्रगान के वक्त खड़ा नहीं होता, तो इसका मतलब ये नहीं कि उसे अपने देश से प्यार नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद भी देश में राष्ट्रगान की बहस खत्म नहीं हुई है. भारतीय क्रिकेटर गौतम गंभीर अक्सर इन मुद्दों पर मुखर रहते हैं. अब उन्होंने फिर इस मुद्दे पर अपना स्टैंड सबके सामने रखा है. और इस एक ट्वीट ने फिर सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी है.


गंभीर ने ट्वीट करके सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाने का विरोध करने वालों पर सवाल खड़ा किया है. उन्होंने ट्वीट किया, 'आप क्लब के बाहर 20 मिनट के लिए खड़े होकर इंतजार करते हैं. फेवरेट रेस्टोरेंट के बाहर 30 मिनट खड़े होकर इंतजार करते हैं. राष्ट्रगान के लिए 52 सेकेंड खड़ा होना है. बहुत मुश्किल है क्या?'

इसके बाद लोगों ने अपना पक्ष रखना शुरू किया. कुछ लोग गंभीर की बात से सहमत थे तो कुछ के विचार उनसे अलग थे.

एक यूजर ने उन्हीं के अंदाज में जवाब देते हुए कहा, 'क्लब के सामने खड़े होने को आपसे किसी ने नहीं कहा, रेस्टोरेंट के बाहर खड़े होने को आपसे किसी ने नहीं कहा लेकिन राष्ट्रगान बजाना और खड़े होने का नियम थोपा जा रहा है.'

एक दूसरे यूजर ने लिखा कि मैं आपकी बात से सहमत हूं लेकिन देशभक्ति थोपी नहीं जानी चाहिए.

एक यूजर ने लिखा, 'मैं सहमत हूं कि लोगों को राष्ट्रगान पर खड़े होना चाहिए. लेकिन इसके लिए जबरदस्ती करना ठीक नहीं. मैं हमेशा राष्ट्रगान के वक्त खड़ी होउंगी लेकिन मैं किसी और को फोर्स नहीं कर सकती.'

गंभीर के समर्थन में आने वाले लोगों का कहना था कि क्या राष्ट्रगान के लिए खड़े होने का आदेश जबरदस्ती थोपा जा रहा है? क्या इसके लिए खड़े होने का आदेश आपको जबरदस्ती लग रही है?

एक यूजर ने लिखा, 'तो क्या आपसे जबरदस्ती की जा रही है? क्या आपके अंदर इसके लिए सम्मान की भावना नहीं आती है? आप अपनी सुविधा के लिए खड़े हो सकते हैं, लेकिन राष्ट्रगान के लिए 52 सेकेंड तक नहीं खड़े हो सकते?'

एक यूजर ने ट्वीट किया कि जिनकी राष्ट्रीयता कमजोर होगी, उन्हें सिनेमाहॉलों में खड़े होकर इसे दिखाने की जरूरत है. तो इसके जवाब में दूसरे यूजर ने लिखा, 'राष्ट्रीयता कभी कमजोर नहीं होती. आप यहां खड़े हैं क्योंकि आपकी सुरक्षा के लिए बॉर्डर पर कोई खड़ा है. राष्ट्रगान के लिए खड़े होना हमारी ड्यूटी है.'

तर्क चाहे जितने भी हो, राष्ट्रगान का मसला अभी तो थमता नहीं दिखाई देता.