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कानून-व्यवस्था न सुधरी तो योगी को नायक से खलनायक बनते देर न लगेगी

योगी सरकार का हनीमून पीरियड खत्म हो चुका है. अब बीजेपी के चुनावी वादों और हकीकत में जमीन-आसमान का अंतर दिखने लगा है

Rajendra P Misra

कानून और व्यवस्था एक ऐसा संवेदनशील मसला है जो किसी भी सरकार की छवि बनाने और बिगाड़ने की क्षमता रखता है. यह बात योगी आदित्यनाथ की सरकार अच्छी तरह समझती होगी, क्योंकि उनकी पार्टी, बीजेपी ने चुनाव प्रचार के दौरान अखिलेश सरकार के खिलाफ कानून-व्यवस्था को एक बड़ा मुद्दा बनाया था.

कानून-व्यवस्था पर अखिलेश को घेरा था


बीजेपी के नेता अपने हर भाषण में अखिलेश सरकार पर खराब कानून-व्यवस्था को लेकर हमला बोलते थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत बीजेपी के तमाम नेताओं ने प्रदेश के पुलिस थानों को समाजवादी पार्टी का दफ्तर करार दिया था.

जनता कानून-व्यवस्था की खराब हालत से इतनी त्रस्त थी कि वह बीजेपी के नेताओं की बातों को गौर से सुनती थी. कानून-व्यवस्था को लेकर होने वाले हमलों से तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इतने बौखला गए थे कि वह अपने भाषणों में कहा करते थे कि 'किसी के घर में चोरी हो जाए तो मीडिया सीधे मुख्यमंत्री से जवाब मांगने लगता है.'

योगी सरकार का हनीमून पीरियड खत्म

लगता है कि योगी सरकार का हनीमून पीरियड अब खत्म हो चुका है. प्रदेश में नई सरकार के बने दो महीने से ज्यादा वक्त हो गया है. लेकिन प्रदेश में कानून-व्यवस्था की हालत सुधरने की बजाय बिगड़ती ही जा रही है. अब तो बीजेपी के चुनावी वादों और हकीकत में जमीन-आसमान का अंतर दिखने लगा है.

योगी की अग्निपरीक्षा

प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बाद से लगातार अपराधिक वारदातें हुई हैं. लेकिन सहारनपुर कांड ने योगी सरकार के लिए असली चुनौती पेश की है. पिछले तीन हफ्ते से सहारनपुर जल रहा है. सरकार ने कई बड़े अधिकारियों के निलंबन और तबादले किए, लेकिन हालात पर अब तक नियंत्रण नहीं किया जा सका है.

यूपी के गृह सचिव मणि प्रसाद मिश्रा सहारनपुर में अधिकारियों से स्थितियों का जायजा लेते हुए (फोटो: पीटीआई)

योगी सरकार सहारनपुर की जातीय हिंसा से जूझ ही रही थी कि ग्रेटर नोएडा के जेवर इलाके में बदमाशों ने बुधवार की रात एक परिवार के साथ लूटपाट की. विरोध करने पर घर के मुखिया की हत्या कर दी गई. खबर आई कि कार से जा रहे इस परिवार की चार महिलाओं के साथ गैंगरेप भी हुआ. हालांकि बाद में रेप की पुष्टि नहीं हो पाई.

इन दोनों घटनाओं ने विपक्ष को योगी सरकार पर हमला बोलने का मौका दे दिया है.

घटने की बजाय अपराध बढ़े

योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के तुरंत बाद इलाहाबाद में बीएसपी नेता की हत्या कर दी गई थी. इसके एक महीने के अंदर चित्रकूट में चार लोगों की हत्या हुई. मई महीने के शुरू में लखनऊ में दिनदहाड़े दो बहनों की उनके घर में हत्या कर दी गई.

कुछ दिन पहले ही बलिया में समाजवादी पार्टी के एक नेता को गोली मार दी गई. मथुरा में दो सर्राफा व्यापारियों की हत्या और लूटपाट की घटना से भी सरकार की प्रशासनिक क्षमता पर सवाल उठे.

उत्तर प्रदेश की पुलिस के आंकड़े भी कानून-व्यवस्था की खराब तस्वीर पेश करते हैं. इन आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल के मुकाबले इस साल 15 मार्च से 15 अप्रैल के बीच बलात्कार की घटनाओं में चार गुना बढ़ोतरी हुई, जबकि हत्या के मामले दोगुने हो गए. इस अवधि में पिछले साल के बलात्कार के 41 मामलों के मुकाबले इस साल बलात्कार के 179 मामले दर्ज हुए, जबकि हत्या की घटनाएं 101 से बढ़ कर 240 तक पहुंच गईं.

इस हालात में सरकार का परेशान होना लाजिमी है. सरकार ने कानून-व्यवस्था दुरुस्त करने के मकसद से पिछले दो महीने में 200 से ज्यादा प्रशासनिक अधिकारियों के तबादले किए. लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं.

जेवर में महिलाओं को अगवा कर गैंगरेप की वारदात ने पिछले साल बुलंदशहर हाईवे पर महिलाओं से हुई ज्यादती की यादें ताजा कर दी

हिंदुत्व ब्रिगेड भी बढ़ा रहा मुश्किल

योगी आदित्यनाथ के लिए हिंदुत्ववादी संगठन भी मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं. प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनते ही बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के कार्यकर्ताओं ने एक आरोपी को छुड़ाने के लिए आगरा के एक पुलिस थाने में जमकर उत्पात किया था और एक पुलिस अधिकारी को थप्पड़ जड़ दिया था.

पिछले महीने सहारनपुर में बीजेपी सांसद राघव लखनपाल के नेतृत्व में हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने एसएसपी के घर पर हमला किया और उनकी नेम प्लेट तोड़ दी.

प्रदेश में अपनी सरकार होने से हिंदुत्ववादी संगठनों का मनोबल इस कदर बढ़ गया है कि वह पुलिस अधिकारियों पर हाथ छोड़ने से भी नहीं डर रहे हैं. इन सबके अलावा आए दिन गौरक्षा और लव जेहाद को लेकर भी मारपीट की खबरें आती रहती हैं.

योगी सरकार को नहीं भूलना चाहिए कि अखिलेश यादव की सरकार के दौरान समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता इसी तरह खुलेआम गुंडागर्दी करते थे, जिसका उन्हें भारी खामियाजा चुनाव में उठाना पड़ा. इस तरह की घटनाओं पर काबू पाने के लिए योगी आदित्यनाथ को पुलिसिया सख्ती के साथ ही राजनीतिक इच्छाशक्ति का भी परिचय देना होगा.

अखिलेश यादव की सरकार के दौरान प्रदेश की खराब कानून-व्यवस्था की अक्सर आलोचना की जाती थी

राज्य निर्वाचन आयुक्त ने जताई चिंता

विपक्षी दल कानून-व्यवस्था को लेकर सरकार पर निशाना साधते ही रहते हैं. लेकिन संवैधानिक संस्थाएं भी सवाल उठाने लगें तो सरकार को निश्चित तौर पर सचेत हो जाना चाहिए. हाल ही में राज्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि यूपी में कानून व्यवस्था निकाय चुनाव कराने लायक नहीं है. यह सरकार के कामकाज पर एक गंभीर टिप्पणी है.

पिछले शनिवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी प्रदेश में बढ़ते अपराध पर चिंता जताई. कोर्ट ने प्रमुख गृह सचिव और राज्य के डीजीपी को अपराधियों और माफिया तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आदेश दिया.

मीडिया का रुख बदलते वक्त नहीं लगेगा

मीडिया योगी आदित्यनाथ और उग्र छवि वाले दूसरे नेताओं की पहले जमकर लानत-मलानत करता था. लेकिन मुख्यमंत्री बनते ही योगी आदित्यनाथ के प्रति मीडिया का रुख बदल गया और वह खास तौर से टीवी चैनलों पर छा गए. यह चैनल प्रधानमंत्री मोदी की तरह योगी आदित्यनाथ के भाषणों का भी लाइव प्रसारण करने लगे.

योगी आदित्यनाथ के प्रति अचानक पैदा हुए इस अनुराग की वजह जनता में उनकी जबरदस्त लोकप्रियता है, जिसे टीवी चैनल टीआरपी के रूप में कैश करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन खराब कानून-व्यवस्था के चलते जैसे ही प्रदेश की जनता नाराज होगी, मीडिया का योगी आदित्यनाथ के प्रति रुख भी बदल जाएगा.

योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद अपराध की वारदातों में काफी बढ़ोतरी हुई है

कभी अखिलेश भी मीडिया के लाडले थे !

कुछ ऐसा ही अखिलेश यादव के साथ भी हुआ था. मीडिया उन्हें एक 'यंग और डायनेमिक' लीडर बताता था. लेकिन प्रदेश की खराब कानून-व्यवस्था और समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं की गुंडागर्दी के चलते जल्द ही मीडिया का रुख बदल गया था. उम्मीद की जानी चाहिए कि योगी आदित्यनाथ और उनकी सरकार ने इससे जरूर सबक लिया होगा.

बयान बहादुर बनने से काम नहीं चलेगा

अब वक्त आ गया है कि योगी आदित्यनाथ साबित करें कि सरकार बदलने से प्रदेश की सूरत और सीरत भी बदल रही है. उन्हें अपनी पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह का वह बयान भी याद रखना चाहिए कि प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनते ही गुंडों-बदमाशों को उल्टे लटका कर सीधा कर दिया जाएगा.

सिर्फ बयान बहादुर बनकर उत्तर प्रदेश जैसे राजनीतिक रूप से संवेदनशील प्रदेश में लंबे समय तक साख कायम नहीं रखी जा सकती. योगी आदित्यनाथ को बीजेपी के वादों को जल्द ही हकीकत में तब्दील करना होगा.