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योगी की हिंदू वाहिनी और पीएम का विकास एजेंडा, 'कितना दूर-कितना पास'

क्या यूपी आखिरकार, योगी आदित्यनाथ की अगुआई में विकास की उम्मीद कर सकता है?

Debobrat Ghose

योगी आदित्यनाथ की हिंदू युवा वाहिनी वैचारिक रूप से नरेंद्र मोदी के विकास के एजेंडे से मेल खाती है

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर भगवा कपड़ों में योगी आदित्यनाथ का बैठना जिनकी छवि हिंदू कट्टरपंथी की है, बीजेपी की कोई राजनीतिक गड़बड़ी नहीं है.


बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजनीतिक और आर्थिक एजेंडे को ध्यान में रखते हुए एक अच्छे किस्म का रणनीतिक फैसला है. वैसे, कई लोग इसे बीजेपी की रणनीतिक भूल बता चुके हैं.

योगी गोरखपुर से पांच बार सांसद उत्तर-प्रदेश में जमीनी स्तर पर बड़ी पैठ रखने वाले और बीजेपी के एक स्टार प्रचारक गोरखनाथ मठ के प्रमुख (महंत) हैं.

लेकिन, उनकी हिंदू युवा वाहिनी जो एक आक्रामक हिंदू युवा ब्रिगेड है, 44 वर्षीय आदित्यनाथ को न केवल पूर्वी यूपी में बल्कि लगभग पूरे राज्य में हिंदुओं के बीच एक मजबूत और लोकप्रिय शख्सियत बना देती है.

लेकिन मुख्यमंत्री के तौर पर आदित्यनाथ से हिन्दू युवा वाहिनी का क्या लेना देना है?

अधिक जानने के लिए आइये हम हिन्दू युवा वाहिनी की वेबसाइट पर एक नज़र डालें, जिस पर एक टिपण्णी देखी जा सकती है: हिंदु युवा वाहिनी में आप का स्वागत है. (यू आर वेलकम इन दी हिंदू यूवा वाहिनी)

इस वेबसाइट, जिसके मुख्य संरक्षक आदित्यनाथ हैं पर एक नजर डालने से संगठन के विभिन्न पहलुओं, जैसे- कार्यक्रम, संविधान, दर्शन, विचारधारा, आंदोलन, उपलब्धियों और सरकारी नीतियों के बारे में जानकारी मिलती है.

आसानी से समझा जा सकता है कि किस तरह सालों से आदित्यनाथ अपने सामाजिक-राजनीतिक विचारों को मोदी के साथ मिला कर चलते चले आ रहे हैं.

मौजूदा आर्थिक मुद्दों जैसे काले धन, नकली मुद्रा, भ्रष्टाचार आदि को लेकर ये कट्टरपंथी अपनी आवाज उठाएंगे. ऐसी उम्मीद किसी को नहीं है, लेकिन वेबसाइट पर इन मुद्दों से जुड़े लेख और वीडियो तो देखे ही जा सकते हैं.

योगी आदित्यनाथ की हिंदू वाहिनी के नाम से सेना है

भ्रष्टाचार पर नकेल

उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण करने के फौरन बाद आदित्यनाथ ने अपने प्रेस सम्मेलन में नौजवानों के लिए नौकरी के अवसरों का निर्माण, सुशासन, बेहतर परिवहन व्यवस्था और गरीबों और पिछड़े वर्ग के कल्याण पर जोर देते हुए मोदी के कथन 'सबका साथ, सबका विकास' को दोहराया.

'भ्रष्टाचार नहीं' की बात पर जोर देकर नए मुख्यमंत्री ने अपने कैबिनेट के सहयोगियों से भी पंद्रह दिन के भीतर अपनी संपत्ति का हिसाब पेश करने के लिए कहा है.

ये साफतौर पर मोदी की तर्ज पर लिया गया एक्शन नजर आता है, जिन्होंने प्रधानमंत्री पद संभालने के तुरंत बाद कहा था, 'न खाउंगा और न खाने दूंगा' (न तो मैं रिश्वत लूँगा और न ही किसी को लेने दूंगा).

इस वेबसाइट में गरीब, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जाति, पिछड़ी जातियों, बेरोजगार युवाओं आदि को सामने रख कर बनी केंद्र सरकार की योजनाओं के बारे में भी चर्चा है जो कि मोदी के गरीब-समर्थक विचारों से जुड़ी हुई सी लगती है.

इन गरीब-समर्थक विचारों ने राष्ट्र की उम्मीदों को अपनी तरफ जोरदार तरीके से खींचा और फिर ये बीजेपी के लिए तुरुप का पत्ता साबित हुआ और पार्टी एक के बाद एक चुनाव जीतती चली गई.

प्रधानमंत्री के बड़े राष्ट्रीय लक्ष्य के साथ मेल खाना सिर्फ वेबसाइट तक ही सीमित नहीं है. आदित्यनाथ के चुनाव क्षेत्र के लोगों का कहना है कि जहां तक बात स्थानीय विकास और समस्याएं हल करने की है, उस समय के गोरखनाथ मठ के महंत अवैद्यनाथ का यह शिष्य जमीनी तौर पर सक्रिय रहा है.

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गोरखपुर की निवासी स्नेहलता कहती हैं,   'ये मीडिया ही है जिसने योगी आदित्यनाथ की नकारात्मक छवि पेश की है. इसके विपरीत उन्होंने इस चुनाव क्षेत्र में विकास कार्य किया है. अपनी फायरब्रांड हिंदुत्व छवि की वजह से ही वे उन्हें समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के शासन में भी अपने मतदाताओं के लिए काम करने में मदद मिली.'

वे आगे कहती हैं, 'जब बात अपने मतदाताओं की सेवा की आती है तो उनके लिए सब बराबर हैं- चाहे कोई किसी भी जाति या धर्म का क्यों न हो. अखिलेश यादव के उलट वास्तव में योगी का काम बोलता है. (हिज वर्क स्पीक्स)

योगी आदित्यनाथ नाथ परंपरा को मानने वाले हैं

गौ-प्रेमी योगी

हिंदुस्तान टाइम्स के एक लेख में कहा गया है कि, योगी अपने मुस्लिम सहयोगियों के लिए बिलकुल कट्टरपंथी नहीं हैं, क्योंकि उन्होंने गोरखनाथ मठ में अपनी गोशाला में गायों की देखभाल की जिम्मेदारी एक मुस्लिम को सौंपी हुई है.

'योगी हर जरूरतमंद व्यक्ति के लिए खड़ा है चाहे उसका धर्म कोई भी हो,' ऐसा इस लेख में लिखा गया है.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और बीजेपी की राजनीतिक सोच की दिशा में आदित्यनाथ की युवा वाहिनी कांग्रेस, ईसाईयत में धर्मांतरण और गोहत्या के खिलाफ आवाज उठाती है.

'इतिहास से' और 'षड्यंत्र' नामक वर्गों में - कांग्रेस के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के नकारात्मक पक्ष दिखाने और नेताजी सुभाष चंद्र बोस किस तरह कांग्रेस की साजिश के शिकार हुए थे बताने की कोशिश हुई.

कुछ बातों को सिद्ध करने की कोशिश वाले कुछ लेख, जैसे 'नेताजी सुभाष चंद्र बोस का रहस्य', 'देखिये जवाहरलाल नेहरू का सच' और 'इंदिरा गांधी-राजनीतिक आतंकवाद', भी यहीं देखने को मिल जायेंगे.

मोदी की 'आतंकवाद के प्रति असहिष्णुता' की नीति की तर्ज पर आदित्यनाथ ने नक्सलवाद और इस्लामी आतंकवाद पर लेखों और वीडियोज के माध्यम से अपने विचार दृढ़ता से व्यक्त किए हैं.

राज्य में कानून और व्यवस्था की घिनौनी हालत और आतंकवाद के हमेशा के खतरे को ध्यान में रख कर ये बिलकुल सही समय था कि जब उत्तरप्रदेश को एक मजबूत मुख्यमंत्री मिले.

उम्मीद है कि योगी आदित्यनाथ की छवि ऐसे तत्वों को दूर रखने में मदद करेगी और विकास में रुचि रखने वाले उनके साथ और मोदी जी के विकास एजेंडे के साथ चलने में सक्षम हो जायेंगे.

लखनऊ के एक बीजेपी नेता का ये मानना है कि, 'हिन्दू युवा वाहिनी वेबसाइट घोषित करती है कि वह भारत की प्रगति और विकास में सहयोगी बनना चाहती है.'

क्या यूपी आखिरकार, योगी आदित्यनाथ की अगुआई में विकास की उम्मीद कर सकता है?