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10 महीने में योगी सरकार को मिले मानवाधिकार के 9 नोटिस

बच्चों की मौत से लेकर फेक इनकाउंटर तक कई मामले में सरकार से पूछताछ की गई है

FP Staff

योगी आदित्यनाथ सरकार को 10 महीने पूरे हो गए हैं. इन 10 महीनों में सरकार को मानवाधिकार आयोग से 9 नोटिस मिल चुके हैं. इन नोटिस में ज्यादातर योगी सरकार के चीफ सेक्रेटी के नाम से है. ये नोटिस गोरखपुर में बच्चों की मौत, फेक इनकाउंटर, छेड़छाड़ जैसे मामलों पर मिले हैं.

यूपी चाइल्ड राइट्स प्रोटेक्शन की चेयरमैन और समाजवादी पार्टी की प्रवक्ता जुही सिंह ने इसपर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार को इन मुद्दों को इग्नोर करना बंद कर देना चाहिए. ज्यादातर केस में किसी निचले अफसर को सस्पेंड कर इतिश्री कर ली जाती है.


जबकि बीजेपी के प्रवक्ता शलभमणि त्रिपाठी का कहना है कि सरकार इन मुद्दों पर ध्यान दे रही है. सरकार मानवाधिकार आयोग का सम्मान करती है, मगर मानवाधिकार आयोग को भी मारे गए पुलिस वालों का ध्यान रखना चाहिए.

सरकार को इन मामलों में नोटिस मिला है-

10 अप्रैल, 2017

ग्रेटर नोएडा में पुलिस एसपी और डीएम पर आरोप है कि पुलिस ने अफ्रीकी नागरिकों को पूछताछ के नाम पर प्रताड़ित किया.

14 अगस्त, 2017

गोरखपुर के बाबा राघवदास हॉस्पिटल में 63 बच्चों की मौत के बाद ये नोटिस जारी हुआ.

26 सितंबर, 2017

बीएचयू में लड़कियों से छेड़छाड़ के मामले में सरकार को नोटिस दिया गया.

2 नवंबर, 2017

एनटीपीसी में ब्रॉयलर फटने से 34 लोगों की मौत हो गई थी. इस मामले में भी मानवाधिकार ने सरकार को नोटिस भेजा है.

5 अक्टूबर, 2017

गाजियाबाद में गैंगस्टर सुमित गुर्जर का पुलिस ने इनकाउंटर किया था. आरोप है कि ये फर्जी इनकाउंटर था.

22 नवंबर, 2017

योगी आदित्यनाथ ने मीडिया को दिए बयानों में इनकाउंटर को बढ़ावा देने वाली कुछ बातें कही थीं. इसके बाद मानवाधिकार आयोग ने इसपर नोटिस जारी किया है.

14 दिसंबर, 2017

नोएडा के बाल सुधार गृह में बच्चों के मोलेस्टेशन के आरोपों की जांच के लिए सरकार को नोटिस भेजा है.