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यशवंत सिन्हा ने BJP छोड़ने का किया ऐलान, बोले- खतरे में है देश का लोकतंत्र

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने इशारों-इशारों में नरेंद्र मोदी-अमित शाह की जोड़ी पर निशाना साधते हुए कहा कि आज देश के लोकतंत्र पर खतरा है

FP Staff
15:09 (IST)15:03 (IST)

कर्पूरी ठाकुर जननायक थे. सिन्हा उनके भरोसेमंद थे. फिर भी वे जननेता नहीं बन पाए. सांसद और विधायक होने के बावजूद हमेशा खुद को भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसर ही समझते रहे. विपक्ष का नेता रहने के बावजूद ग्रामीण पृष्ठभूमि के बीजेपी विधायक उनसे संवाद में सहज नहीं रह पाते थे. सिन्हा विदा हुए तो उनकी जगह सुशील कुमार मोदी विपक्ष के नेता बने.

नौ महीने के संक्षिप्त कार्यकाल में विधानसभा के अंदर सिन्हा और तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद के बीच तीखी नोकझोंक होती रहती थी. लालू उन्हें याद दिलाते रहते थे कि ‘आप तो कर्पूरीजी के पीए थे. नेता कब से हो गए.'.... (पूरा लेख पढ़ने के लिए क्लिक करें: जननायक के साथ रहे पर कभी जननेता नहीं बन पाए यशवंत सिन्हा)

15:01 (IST)

सिन्हा चंद्रशेखर की सरकार में वित्त मंत्री थे. पटना से लोकसभा का चुनाव लड़ रहे थे. यह उनका पहला चुनाव था. उन दिनों एक नारा लगता था-चालीस साल बनाम, चार महीना. यह चंद्रशेखर की अल्प अवधि की सरकार की उपलब्धियों के बखान के लिए बना था.

बदमाशी में लोग इसके साथ एक और नारा जोड़ देते थे-कमाई बराबर. हिसाब किस बात का. नारा इस तरह पूरा होता था-चालीस साल बनाम चार महीना, कमाई बराबर, हिसाब किस बात का? इस नारा का असर यह हुआ कि बड़ी संख्या में कार्यकर्ता यशवंत सिन्हा से जुड़ने लगे. सिन्हा समाजवादी जनता पार्टी के उम्मीदवार थे. अभिजात्य जीवन शैली के कारण वे कार्यकर्ताओं को समझ नहीं पाए.

-Rudrapratap Singh

14:51 (IST)

इससे पहले 6 फरवरी को भी यशवंत सिन्हा पार्टी छोड़ने के सवाल पर बोले थे, तब उन्होंने पार्टी नहीं छोड़ने के लिए कहा था. उन्होंने कहा था कि मैं बीजेपी क्यों छोड़ूं, पार्टी को मुझे बाहर फेंकने दीजिए. इस दौरान सिन्हा ने कहा था 'मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने की कोशिश कर रहा हूं और उन्हें पत्र भी भेजे लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं आई, जिसके बाद मैंने राष्ट्र मंच नाम का एक संगठन बनाया.'

14:47 (IST)

(पढ़ने के लिए क्लिक करें: जननायक के साथ रहे पर कभी जननेता नहीं बन पाए यशवंत सिन्हा)

14:37 (IST)

बात 1967 की है. तब यशवंत सिन्हा अविभाजित बिहार में दुमका जिला के प्रशासनिक हेड यानि उपायुक्त हुआ करते थे. उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री महामाया प्रसाद सिन्हा के सामने ही एक ईमानदार मंत्री को छठी का दूध याद दिला दिया था.... पढ़ने के लिए क्लिक करें

14:14 (IST)

यशवंत सिन्हा ने कहा, 'मैं आज के बाद किसी दल के साथ नहीं रहूंगा न ही किसी भी राजनीतिक दल से कोई रिश्ता नहीं रहेगा. आज देश में लोकतंत्र खतरे में है जिन लोगों ने लोकतंत्र को खतरे में डाला उन ताकतों को हम मटियामेट कर देंगे. आज से 4 साल पहले ही मैं सक्रिय राजनीति से संन्यास ले चुका हूं. मैंने चुनावी राजनीति से खुद को अलग कर लिया है.'

14:09 (IST)

यशवंत सिन्हा ने शनिवार को अपने इस्तीफे का ऐलान करते हुए इशारों-इशारों में नरेंद्र मोदी-अमित शाह की जोड़ी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि आज देश के लोकतंत्र पर खतरा है.

14:08 (IST)

यशवंत सिन्हा लंबे समय से बीजेपी की लीडरशिप से नाराज चल रहे हैं. नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों और फैसले का वो खुलकर विरोध करते रहे हैं

14:03 (IST)

यशवंत सिन्हा ने BJP से अपने सभी रिश्ते खत्म करने का ऐलान किया है. शनिवार को पटना में उन्होंने एक कार्यक्रम में इसकी घोषणा की.

काफी समय से बीजेपी से नाराज चल रहे पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री ने बीजेपी छोड़ने का ऐलान किया है. शनिवार को पटना में उन्होंने इशारों-इशारों में नरेंद्र मोदी-अमित शाह की जोड़ी पर निशाना साधते हुए कहा कि आज देश के लोकतंत्र पर खतरा है.

तीन बार के लोकसभा सांसद रहे यशवंत सिन्हा ने कहा, 'मेरा दिल आज भी धड़कता है और यह देश के लिए धड़कता है. मैं चुनावी राजनीति काफी पहले ही छोड़ चुका हूं. बीजेपी छोड़ने के साथ ही मैं अब दलगत राजनीतिक संन्यास ले रहा हूं.'


उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसा करने के पीछे उनका मकसद कोई पार्टी खड़ा नहीं करना है. उन्होंने कहा कि यदि आज जो हो रहा है, उसके खिलाफ हम नहीं खड़े होते हैं तो आने वाली पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेंगी.

यशवंत सिन्हा काफी समय से नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों का विरोध करते रहे हैं. नवंबर 2016 में लागू किए गए नोटबंदी के फैसले और पिछले साल जीएसटी लागू करने के तरीके को लेकर भी उन्होंने सवाल खड़े किए थे.

बता दें कि यशवंत सिन्हा के बेटे जयंत सिन्हा वर्तमान में नरेंद्र मोदी सरकार में राज्य मंत्री हैं.

यशवंत सिन्हा 1998 में पहली बार झारखंड के हजारीबाद सीट से लोकसभा के लिए चुने गए थे. वो अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वित्त मंत्री के रूप में काम कर चुके हैं. साथ ही वो पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की 1990 से 1991 तक चली सरकार में भी वित्त मंत्री रह चुके हैं.