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लिव इन में रहने वाली महिला भी गुजारा भत्ता की हकदार- सुप्रीम कोर्ट

तीन जजों की बेंच ने एक फैसले में कहा कि महिला को आर्थिक रुप से तंगी में रखना भी घरेलु हिंसा के अंतर्गत आएगा. बेंच ने कहा कि घरेलु हिंसा कानून 2005 में महिलाओं की सुरक्षा के पर्याप्त उपाय किए गए हैं

FP Staff

लिव इन में रहने वाली महिलाओं के लिए सुप्रीम कोर्ट ने गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि लिव इन में रहने वाली लड़कियां, महिला घरेलू हिंसा कानून, 2005 के तहत पार्टनर से गुजारा भत्ता ले सकती है.

चीफ जस्टिस के नेतृत्व वाली तीन जजों की पीठ ने गुरुवार को ये आदेश दिया. मामला सुप्रीम कोर्ट में तब आया जब झारखंड हाईकोर्ट ने ये आदेश दिया था कि सीआरपीसी की धारा 125 के तहत् महिला को गुजारा भत्ता तब ही दिया जा सकता है जब वो उस पुरुष के साथ कानूनी रुप से विवाहित हो. गैर विवाहित महिला को इस धारा के तहत किसी भी तरह का गुजारा भत्ता नहीं दिया जा सकता.


इस मामले में महिला ने ये माना था कि वो दोनों लिव इन में रह रहे थे. इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस टीएस कुरियन जोसेफ के पास आया. उन्होंने इसे बड़ी बेंच के पास रेफर कर दिया.

बेंच ने कुछ सवाल भी पूछे:

हिंदुस्तान अखबार के मुताबिक हालांकि बेंच ने कुछ बातों पर स्पष्टीकरण मांगा है-

- लंबे समय से साथ रह रहे जोड़े को क्या पति पत्नी नहीं माना जा सकता है?

- रीति रिवाजों या पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रावधानों के बिना की गई शादी में महिला को धारा 125 के तहत गुजारा भत्ता नहीं दिया जा सकता?

इसके साथ ही तीन जजों की बेंच ने एक फैसले में कहा कि महिला को आर्थिक रुप से तंगी में रखना भी घरेलु हिंसा के अंतर्गत आएगा. बेंच ने कहा कि घरेलु हिंसा कानून 2005 में महिलाओं की सुरक्षा के पर्याप्त उपाय किए गए हैं.

यह कानून महिला को घर में साझेदारी की इजाजत देता है. जबकि धारा 125 में सिर्फ गुजारे के लिए पैसा ही दिया जाता है.