view all

शशिकला पर SC का फैसला: इस तरह राज्यपाल राव पर उठे सवाल खत्म हुए

सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने न सिर्फ शशिकला को मुख्यमंत्री बनने के लायक नहीं समझा है

Sreemoy Talukdar

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने एआईएडीएमके की महासचिव वीके शशिकला को 19 साल पहले की आय से अधिक संपत्ति मामले में दोषी करार देते हुए उन्हें 4 साल कैद की सजा सुनाई.

कोर्ट के इस फैसले के साथ ही शशिकला का तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनने का सपना टूट गया है.  इसके साथ ये भी साफ हो गया है कि पिछले कुछ दिनों से चल रही इस लड़ाई में आखिरी जीत राज्यपाल विद्यासागर राव के नाम हुई है.


इस राजनीतिक उठापटक के बीच, तमिलनाडु के राज्यपाल पर इस बात का आरोप लगाया जा रहा था कि वे जानबूझकर इस मसले पर देरी कर रहे हैं.

उनकी इस मंशा को साबित करने के लिए कई तरह की कहानियां गढ़ी गईं और अनेक लोगों ने टीवी माइक के सामने आकर बताने की कोशिश की, ऐसा करके के राज्यपाल का क्या हित सधने वाला है.

ये भी पढ़ें: पन्नीरसेलवम के लिए विधायकों को साथ लाना आसान नहीं

ऐसी स्थिति में जब सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही ये बता दिया था कि वो अगले एक हफ्ते के भीतर इस केस पर अपना फैसला सुनाने जा रहा है, तब विद्यासागर राव के लिए ये बेमतलब होता कि वे शशिकला को सरकार बनाने का निमंत्रण देते.

क्योंकि, अगर वे ऐसा करते और उसके बाद कोर्ट का फैसला शशिकला के खिलाफ आ जाता तो राज्य में एक संवैधानिक संकट पैदा हो जाता. (जो अब सच साबित हो रहा है).

राज्यपाल को विधायकों की लिस्ट देते हुए शशिकला

जानकारों की राय

राज्यपाल के व्यवहार पर कानून के जानकारों का कहना था कि राज्यपाल ने इस मसले पर जल्दबाजी में कोई फैसला न लेकर बिल्कुल सही कदम उठाया है. इतना नहीं भारत के पूर्व अटार्नी जनरल सोली सोराबजी ने भी विद्यासागर राव के फैसले का समर्थन किया है.

भारत जैसे देश में राजनीति एक 24 घंटे चलने वाला शो बन गया है, जिसकी कमान टीवी को मिलने वाली रेटिंग पर निर्भर रहता है.

हमारे देश की अतिउत्साही मीडिया और मीडिया के पंडितों को ऐसा लगता रहा है कि राज्यपाल विद्यासागर राव के इस फैसले के पीछे किसी बड़ी ताकत का हाथ है, जिसके इशारे पर वे देरी कर रहे हैं.

हालांकि, ऐसी अटकलबाजी के लिए किसी तरह की कोई सबूत किसी के हाथ नहीं लगी है, लेकिन सवाल ये उठता है कि अगर सबकुछ अंदाजे के हिसाब से कहा जा सकता है तो फिर सबूतों के आधार पर पत्रकारिता करने का मतलब क्या है?

कांग्रेस पार्टी हमेशा की तरह, इस मौके को किसी तरह से चूकना नहीं चाहती, उसने तुरंत राज्यपाल पर केंद्र के इशारे पर काम करने और राज्य सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाया.

ओ पन्नीरसेलवम और शशिकला

कांग्रेस का आरोप

संसद से निकलते हुए कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने बड़ी ही गंभीर मुद्रा में केंद्र और बीजेपी को एक साथ सलाह देते हुए कहा कि वे तमिलनाडु की अस्थिर राजनीतिक उठापटक का असंवैधानिक तरीके से फायदा उठाने की कोशिश न करें.

हालांकि, वे ये बताने में असफल रहे कि तमिलनाडु के राज्यपाल के फैसले से प्रधानमंत्री मोदी को किस तरह से फायदा होने वाला है.

उन्होंने ये भी नहीं बताया कि तमिलनाडु के राज्यपाल विद्यासागर राव और केंद्र, संविधान में चिन्हित किस नियम का उल्लंघन कर रहे थे.

8 फरवरी को पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘मैं ये जरूर कहना चाहूंगा कि ये सरासर गलत है, पूरी तरह से असंवैधानिक और बीजेपी व केंद्र की तरफ से पूरी तरह से गैरकानूनी कि वे तमिलनाडु के अस्थिर राजनीतिक माहौल का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं. उन्हें किसी ने ये हक नहीं दिया है कि वे तमिलनाडु के राज्यपाल को वहां जाने से रोके,’

उन्होंने ये भी कहा कि विद्यासागर राव एक मिनट के लिए भी शशिकला के शपथग्रहण में देरी नहीं कर सकते हैं.

समाचार एजेंसी एएनआई ने राज्य कांग्रेस अध्यक्ष एस. थिरुनवुक्करासर के हवाले से लिखा: ‘केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार एक गंदा खेल खेल रही है. वे राजनैतिक दलों के लिए मुसीबत खड़ी कर उससे फायदा उठाना चाहते हैं, क्योंकि तमिलनाडु में बीजेपी का कोई आधार नहीं है. वे इन हालातों का फायदा उठाना चाहते हैं.’

उनकी पार्टी के ही एक अन्य नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट करके कहा, ‘मोदी सरकार एक चुनी हुई सरकार को गिराना चाहती है.’

ये सुनना थोड़ा अजीब सा लगता है कि कांग्रेस पार्टी जो अपने अतुल्यनीय इतिहास की डीगें हांकती रहती है और दूसरी पार्टियों पर चुनी हुई सरकारें गिराने का दावा करती है, ये सब कुछ उसकी अपनी दिशाहीन राजनीति का परिचय देती है.

एक कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी के साथ विद्यासागर राव

राज्यपाल पर दबाव

कांग्रेस पार्टी राज्यपाल विद्यासागर राव पर दबाव बना रही थी कि या तो वे ओ.पन्नीरसेलवम जिनके पास पर्याप्त विधायक नहीं हैं उनसे शपथ दिलवाए या फिर शशिकला को मुख्यमंत्री पद दे दें, जिनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने वाला था.

कांग्रेस पार्टी खुद जिस तरह से खुद अनिश्चितता की स्थिती में है, वो मोदी सरकार पर आरोप लगाने के दौरान इस या उस कारणों से अप्रासंगिक हो गई थी.

राज्यपाल विद्यासागर राव पर जिस तरह से लगातार दबाव बनाया जा रहा था, उन्होंने उन हालातों में जिस तरह से संयम बरता और सही लोगों से सलाह-मशविरा करके जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लिया...उससे भविष्य में राज्य को एक और संवैधानिक संकट से बचाया जा सका है.

ये भी पढ़ें: शशिकला को सजा, ट्विटर को मजा

अब जबकि, सुप्रीम कोर्ट ने शशिकला को चार साल के लिए जेल भेज दिया है और उनपर 10 करोड़ रुपये का जुर्माना ठोंका है, ये साबित करता है कि विद्यासागर राव का निर्णय न सिर्फ सही था बल्कि उनके खिलाफ लगाए जा रहे आरोप भी गलत थे.

ये कहना कि विद्यासागर राव अपने राज्यपाल होने के अधिकारों का गलत इस्तेमाल कर, राज्य का अहित कर रहे थे और उसे उसका मुख्यमंत्री चुनने नहीं दे रहे थे- वो भी पूरी तरह से गलत निकला.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने न सिर्फ शशिकला को मुख्यमंत्री बनने के लायक नहीं समझा है बल्कि उन्हें अगले 10 सालों तक सक्रिय राजनीति से भी दूर कर दिया है.