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अखिलेश यादव के हाथ से यूपी के बाद यादव वोटर निकल रहे हैं !

सबका निशाना एसपी में ब्राह्मण और ठाकुर नेताओं को ज्यादा तरजीह दिए जाने के कारण था

Faisal Fareed

समाजवादी पार्टी के विधान सभा चुनाव हारने के बाद अब पार्टी के भीतर यादवों और गैर यादवों के बीच एक बहस छिड़ गई क्या यादव समाज भी अब एसपी से दूर हो रहा है?

मार्च में एसपी के सत्ता से बेदखल होने के बाद से एकदम से सोशल मीडिया खासकर फेसबुक पर एसपी समर्थकों में बहस शुरू हो गई. ज्यादातर लोग एसपी में ब्राह्मण और ठाकुर नेताओं को ज्यादा तरजीह दिए जाने के कारण बिफरे हुए थे.


फेसबुक और हारे पछाड़े हुए यादव नेताओं का बंद कमरों से निकल कर अब एक नए संगठन 'यादव सेना' का भी गठन हो गया. इसके अधिकतर कार्यकर्ता एसपी से जुड़े रहे हैं.

यादव सेना के निशाने पर अखिलेश के नवरत्न 

इस संगठन के निशाने पर अखिलेश यादव के करीबी जिनको नवरत्न कह कर संबोधित किया जाता है वो थे. इन्ही में से हैं एसपी की टीवी डिबेट की पैनेलिस्ट पंखुरी पाठक और जूही सिंह. एक ब्राह्मण और दूसरी ठाकुर.

एसपी के एक नेता का कहना है कि ये सेना बीजेपी के लोगों द्वारा प्रायोजित है. इन दोनों नेताओं को सोशल मीडिया पर गुस्से और भद्दी टिप्पणियों का सामना करना पड़ा था.

मनोज यादव जो यादव सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं उन्होंने इसे सिरे से नकार दिया. उनका कहना है, 'देखिए जिन्होंने भी अभद्र टिप्पणी की उनको हमने अपने संगठन से निकाल दिया. हमारा एसपी से कोई लेना देना नहीं हैं.'

यादव आगे कहते हैं, 'हो सकता हैं कि हमारे कार्यकर्ता एसपी समर्थक हो लेकिन वो इस बात के लिए स्वतंत्र हैं. हम किसी को राजनीतिक रूप से रोक नहीं सकते.'

यादव सेना का दावा

समाजवादी पार्टी या इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव बीएसएफ के जवान तेजबहादुर यादव की बर्खास्तगी पर कुछ करते उसके पहले यादव सेना सक्रिय हो गई.

अब यादव सेना बाकायदा अपना मांगपत्र जारी कर रही हैं. प्रमुख मांगो में अहीर रेजिमेंट की स्थापना और जातिगत गणना प्रमुख हैं.

समाजवादी पार्टी सरकार के दौरान एक बहुत बड़े पद पर रहे एक यादव नेता ने नाम ना बताने की शर्त पर इस संगठन के बनने पर खुशी दिखाई. उन्होंने कहा, 'ये संगठन कम से कम एसपी के राज में ऐश करने वाले नेताओं की खबर तो ले रहा है.'

यादव सेना का कोई नेता खुलकर अभी सामने नहीं आ रहा

ऐसा नहीं कि अखिलेश यादव का खेमा इनको नजरंदाज कर रहा है. एसपी कार्यालय में भी यादव सेना के सोशल मीडिया अकाउंट पर नजर रखी जा रही हैं.

पार्टी से जुड़े यादवों में ज्यादातर मानते हैं कि अखिलेश सरकार के दौर में गैर यादव नेताओं ने जम कर सत्ता सुख उठाया पर ये लोग अपनी जातियों का वोट दिलाने में असफल रहे.

समाजवादी पार्टी के गैर यादव नेता जैसे पंखुडी पाठक कहती हैं कि ये सब बीजेपी के लोगों की शह पर हो रहा हैं.

पंखुडी ने बताया, 'वो सभी लोग जो पार्टी में दूसरी जाति के हैं जैसे माता प्रसाद पांडेय, जूही सिंह सभी को निशाना बनाया जा रहा है कि वो लोग पार्टी से दूर हो जाए. खासकर भैय्या (अखिलेश) की टीम पर ज्यादा अटैक हो रहा हैं.'

पंखुड़ी ने आगे कहा, 'मैंने कोई सरकारी पद नहीं लिया, कोई फायदा नहीं लिया, सात साल से भैय्या के साथ पार्टी में हूं.'

यानी कुल मिला कर साफ संकेत हैं कि समाजवादी पार्टी में शुरू हुआ यादव गैर यादव का झगड़ा बढ़ा तो अखिलेश यादव इसकी बड़ी कीमत चुकानी होगी.