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क्या दिल्ली की कुर्सी पर अरविंद की जगह सुनीता लेंगी!

आप के रणनीतिकार इस बड़े संकट से उबारने में सुनीता केजरीवाल को आगे लाने में जुटे हुए हैं.

Ravishankar Singh

दिल्ली को क्या एक बार फिर से एक नई महिला मुख्यमंत्री मिलने जा रही है? दिल्ली के राजनीतिक गलियारे में इस बात की चर्चा जोर-शोर से चल रही है कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल को मुख्यमंत्री बनाने की कवायद अंदरखाने में बड़ी तेजी से चल रही है.

जिस तरीके से दिल्ली के पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा ने अरविंद केजरीवाल सहित पूरी आम आदमी पार्टी को राजनीतिक बवंडर में फंसा दिया है, उससे निकलने में आलाकमान से लेकर रणनीतिकार दिन-रात जुटे हैं.


इसी कड़ी में मंगलवार को दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर ईवीएम का लाइव डेमो दिया जा चुका है. बावजूद इसके कपिल मिश्रा का अनशन आम आदमी पार्टी के लिए गले की हड्डी बन चुका है.

ऐसा माना जा रहा है कि आप के रणनीतिकार इस बड़े संकट से उबारने में सुनीता केजरीवाल को आगे लाने में जुटे हुए हैं. पार्टी का एक धड़ा ये मानता है कपिल मिश्रा जिस तरीके से रोज कोई न कोई जवाबी हमला कर विपक्ष को एक मुद्दा दे रहे हैं. ऐसे में अरविंद केजरीवाल का इस्तीफा और उनकी कुर्सी पर पत्नी सुनीता केजरीवाल का आना ही सब संकटों का हल हो सकता है.

नौकरी से वीआरएस

सुनीता केजरीवाल ने जब से अपनी नौकरी से वीआरएस लिया है तब से लगातार राजनीति में सोशल मीडिया के जरिए सक्रिय हैं. जब तक नौकरी में थीं तब तक श्री श्री रविशंकर से जुड़ी अध्यात्मिक ट्वीट को रिट्वीट किया करती थीं. लेकिन, नौकरी छोड़ने के बाद लगातार ट्वीटर के जरिए राजनीति को बड़ी गहराई से समझने में लगी हैं.

सुनीता केजरीवाल ने अब तक ढाई सौ से ज्यादा रीट्वीट-ट्वीट में सिर्फ और सिर्फ आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं और बीजेपी विरोधी ट्वीट को ही रिट्वीट किया है. जब कपिल मिश्रा ने केजरीवाल के साढू़ पर आरोप लगाया तो सुनीता ने अपने बहनोई के बचाव लिखा कि मेरे बहनोई इस दुनिया में नहीं रहे फिर भी ये बेवकूफ आदमी बिना दिमाग लगाए लिखी हुई स्क्रिप्ट बोल रहा है.

सुनीता केजरीवाल के रीट्वीट के सारे ट्वीट को पढ़ने के बाद कोई भी ये समझ सकता है कि वे अपने पति अरविंद केजरीवाल के राजनीतिक कार्यों में हाल के दिनों में सक्रियता से साथ दे रही हैं. साथ ही पार्टी के हर पहलू पर निगरानी भी रख रही हैं.

पार्टी को संकट से उबारने की तैयारी

पार्टी का एक धड़ा का मानना है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में पार्टी को अपेक्षित सफलता नहीं मिलने और दिल्ली नगर निगम के चुनावों में करारी हार के बाद एक बड़े बदलाव की जरूरत है. ताजा घटनाक्रम में कपिल मिश्रा के बागी होने के बाद ये चर्चा और ज्यादा शुरू हो गई है.

अरविंद केजरीवाल की चुप्पी और लगातार कपिल मिश्रा के हमले से पार्टी समझ नहीं पा रही है कि कैसे इस संकट से उबरा जाए.

अपने साढ़ू की लैंड डील पर अरविंद केजरीवाल की चुप्पी के बाद सुनीता केजरीवाल का इमोशनल ट्विट भी इसी कड़ी में देखा जा रहा है. इससे पहले भी केजरीवाल के परिवार पर विदेशी दौरे पर सवाल उठे थे लेकिन तब सुनीता केजरीवाल ने कोई ट्वीट या जवाब नहीं दिया था.

जानकार मानते हैं कि सुनीता केजरीवाल के ट्वीट के बाद आम आदमी पार्टी के प्रवक्ताओं को कपिल मिश्रा को घेरने का एक इमोशनल मुद्दा मिल गया था. लेकिन, कपिल मिश्रा के लगातार एक के बाद एक आरोपों ने पूरी पार्टी में भूचाल ला दिया है.

अरविंद केजरीवाल अब घाघ राजनीतिज्ञ बन गए

राजनीति के जानकार मानते हैं कि अरविंद केजरीवाल एक घाघ राजनीतिज्ञ बन चुके हैं उन्हें पता है कि कब, कैसे और कहां क्या बोलना है. किस मुद्दे को आगे बढ़ाना है.

दिल्ली की राजनीति को करीब 20 सालों से जानने वाले वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेश श्रीवास्तव कहते हैं कि इसमें कोई अचरज की बात नहीं है कि अरविंद केजरीवाल अपनी पत्नी को मुख्यमंत्री की गद्दी सौंप दें. अरविंद केजरीवाल के सामने पार्टी को बचाए रखने और अपनी साख बचाने की दोहरी चुनौती आन पड़ी है.

ज्ञानेश श्रीवास्तव आगे कहते हैं, अरविंद केजरीवाल के लिए कोई भी चीज असंभव नहीं है. वो पार्टी संविधान में संशोधन करवा कर इमोशनल कार्ड के जरिए पूरे देश के कार्यकर्ताओं की पुकार बताकर संयोजक पद भी अपने पास रख सकते हैं. पार्टी के सर्वेसर्वा के तौर पर पूरी पार्टी पर अपना अधिकार उसी तरीके से रख सकते हैं जैसे अब तक रखते आ रहे हैं.

किसी और चेहरे पर अरविंद दांव नहीं लगा सकते

जानकार बताते हैं कि इस वक्त सुनीता केजरीवाल के अलावा आम आदमी पार्टी के पास कोई ऐसा चेहरा नहीं है जिसके जरिए मौजूदा संकट को टाला जा सके. सुनीता केजरीवाल भी एक पढ़ी-लिखी और अरविंद केजरीवाल की तरह अंतरमुखी स्वभाव मगर ठोस निर्णय लेने के लिए जानी जाती रही हैं.

सुनीता केजरीवाल अपने पति के हर कदम का शुरू से साथ देती रही हैं. पार्टी के कई नेता मानते हैं कि इंडिया अगेंस्ट करप्शन के दौर से जब भी अरविंद केजरीवाल के घर पर कोई बैठक होती रही है हमेशा चुप रहकर साथ देने का काम करती रही हैं. उनके पास तब सरकारी नौकरी में होने की बेड़ियां थीं.

अरविंद केजरीवाल को नजदीक से जानने वालों का मानना है कि केजरीवाल के भले ही कोई कितना करीब हो, लेकिन वो किसी पर आंख मूंद कर भरोसा नहीं करते हैं.

मनीष सिसोदिया को नंबर 2 रोल ही पसंद

हालांकि, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया अरविंद केजरीवाल के बहुत करीब माने जाते हैं, लेकिन पार्टी में उनके नाम पर भी एक राय नहीं बन सकती है, साथ ही मनीष सिसोदिया का नंबर टू वाला रोल ही आप कार्यकर्ता और लोगों को ज्यादा पसंद आता है.

मौजूदा संकट में अपनी पत्नी सुनीता केजरीवाल को आगे कर अरविंद केजरीवाल एक तीर से कई निशाने साध सकते हैं. पार्टी में उनकी पकड़ फिर से मजबूत हो सकती है साथ ही विरोधियों को एक महिला मुख्यमंत्री पर निशाना साधने में उतनी सहजता नहीं होगी जितनी अरविंद के साथ होती थी.

सुनीता केजरीवाल के कपिल मिश्रा के जवाबी ट्वीट और उनके ट्वीटर का इतिहास खंगालने के बाद इतना तो स्पष्ट होता है कि आने वाले समय में सुनीता केजरीवाल अरविंद और आम आदमी पार्टी के लिए संकटमोचक का काम कर सकती हैं.

गौरतलब है कि नौकरी में रहते हुए सुनीता केजरीवाल ने सितंबर 2013 में ही ट्वीटर ज्वाइन कर लिया था. पहला रिट्वीट किया था 6 दिसंबर 2015 को. अपने जीजा के बचाव में किए सुनीता केजरीवाल के ट्वीट को करीब 1500 से ज्यादा लोगों ने रिट्वीट और लाइक किया है.

सुनीता केजरीवाल के ट्वीट के बाद ही राजनीतिक हलकों में ये कयास लगने लगा है कि सुनीता केजरीवाल ही अरविंद केजरीवाल का एकमात्र विकल्प हो सकती हैं.