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नर्मदा: वायदों, बयानों और शोषण में डूबती एक नदी

सदियों से सदानीरा रहने के कारण नर्मदा को 'न मृता तेन नर्मदा' कहा गया है

Dinesh Gupta

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान महीनों से नर्मदा यात्रा कर रहे हैं. जिन्होंने नर्मदा कभी नहीं देखी होगी उन्होंने भी विज्ञापन जरूर देख लिए होंगे.

पर नर्मदा की इस यात्रा और प्रचार के बीच अगर नर्मदा का शोषण उसी तरह से चलता रहा जिस तरह से चल रहा है तो शायद विज्ञापन तो ढूंढने से मिल भी जाएंगे नर्मदा नहीं मिलेगी.


मध्य प्रदेश और गुजरात के करोड़ों लोग नर्मदा के भरोसे हैं. मध्य प्रदेश की विधानसभा ने एक संकल्प पारित कर नर्मदा को जीवित नदी का दर्जा दिए जाने पर बहुमत से मंजूरी दे दी है.

तकनीकी रूप से इस कानून के बाद नर्मदा किसी भी जीवित मनुष्य की तरह अपने शोषण के खिलाफ मामला दर्ज करा सकेगी. लेकिन अभी तक ये सब बयानबाजी महज कागजी है.

नर्मदा से सबसे ज्यादा रेत उत्खनन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्वाचन क्षेत्र बुधनी में हो रहा है. एक दिन में डेढ़ हजार से अधिक ट्रकों और डंपरों से यहां क्षमता से अधिक रेत का परिवहन किया जा रहा है.

एक अनुमान के मुताबिक हर रोज करीब 75 लाख रुपए की रेत ओवर लोड कर अवैध तरीके से निकाली जा रही है. दिलचस्प बात तो यह है कि 10 से 11 घन मीटर की क्षमता वाले ट्रक में 13 से 15 और 24 घन मीटर वाले डंपरों में 27 से 30 घन मीटर रेत भरकर परिवहन किया जा रहा है.

जहां से गुजरती है नर्मदा वहीं हो रहा है खनन

नर्मदा के कछार क्षेत्र में 21 जिले आते हैं. नर्मदा में रेत खनन की हर जिले में वही कहानी है, जो होशंगाबाद और सीहोर जिले में है.

बड़वानी नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेघा पाटकर का गढ़ माना जाता है. इस जिले में रेत निकालने को लेकर कई बार आंदोलन से जुड़े नेताओं और उत्खनन करने वालों के बीच टकराव हो चुका है.

अवैध रेत उत्खनन के सबसे ज्यादा तेरह हजार मामले वर्ष 2015-2016 में दर्ज किए गए हैं. हरदा जिले में तो रेत उत्खनन के लिए नर्मदा के बीचों बीच 28 अस्थाई सड़कें बना दी हैं.

शिवराज सिंह चौहान की सरकार में ही मंत्री रह चुके कमल पटेल का आरोप है कि नर्मदा से अवैध उत्खनन अफसरों की मिली भगत से हो रहा है. वे ग्रीन ट्रिब्यूनल में भी शिकायत करने जा रहे हैं.

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नरसिंहपुर जिले के विधायक जलाम सिंह पटेल पर रेत उत्खनन के आरोप लग रहे हैं. उनके भाई प्रह्लाद पटेल दमोह से सांसद हैं. सांसद पटेल कहते हैं कि नर्मदा बीमार हो चुकी है.

खरगोन जिले में तो आए दिन गैंगवार की स्थिति बन रही है. गैंगवार में अब तक एक ही परिवार के दो लोग मारे जा चुके हैं. खनन माफिया अधिकारियों पर भी हमला करने से भी नहीं डरता.

सनावद के समाजसेवी राहुल सोनी बताते हैं कि रेत उत्खनन में उपयोग की जा रही मशीनों के कारण ओंकारेश्वर परियोजना नहर के लिए बनाए गए पुल की नींव भी कमजोर हो गई है.

शिवराज सिंह चौहान के फेसबुक वाल से

चौहान के परिजनों पर लग रहे हैं आरोप

सीहोर जिले की माईिनंग इंस्पेक्टर रश्मि पांडे ने जनवरी माह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के भतीजे प्रद्युमन सिंह चौहान के मालिकाना हक वाले डंपरों को क्षमता से अधिक रेत का परिवहन करते हुए पकड़ लिया था.

माइनिंग इंस्पेक्टर की इस कार्यवाही का रूख भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने पक्ष में यह कह कर कर लिया कि रेत खनन करने वाला कोई भी हो सरकार छोड़ती नहीं है.

दूसरी और मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा सवाल करते हैं कि सरकार यदि सख्त है तो नर्मदा से खनन रूकता क्यों नहीं है? मिश्रा कहते हैं कि मुख्यमंत्री को बताना चाहिए कि चौहान ब्रदर्स लिखे हुए डंपरों का मालिक कौन है?

'नमामि देवि नर्मदे सेवा यात्रा' के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा था कि रेत का खनन नर्मदा में नहीं होगा. उन्होंने यह भी कहा कि अमरकंटक के पहाड़ों में अगर सोना भी निकलता है तो खनन की स्वीकृति नहीं दी जाएगी. इसकी पतली होती धार को बचाते हुए इसके प्रवाह को बढ़ाने के हर संभव प्रयास किए जाएंगे. तट के किनारों पर पौधरोपण भी होगा.

मर रही है पौराणिक नदी 

किसी नदी की पहली पहचान है उसका 'प्रवाह'. सदियों से सदानीरा रहने के कारण नर्मदा को 'न मृता तेन नर्मदा' कहा गया है. स्कन्द पुराण में इसे 'सप्त कल्पक्षयेक्षीणे न मृता तेन नर्मदा' अर्थात सात कल्प क्षय होने पर भी नष्ट न होने वाली नर्मदा कहा गया है.

वर्ल्ड रिर्सोसेज इंस्टीटयूट, वाशिंगटन के अनेक नदी बेसिन में कराए गए अध्ययन 'पायलट एनालिसिस ऑफ ग्लोबल इको सिस्टम' में नर्मदा को विश्व के सबसे ज्यादा संकटग्रस्त बेसिनों में से एक माना गया है जिनमें साल के सबसे शुष्क 4 माह में वार्षिक प्रवाह का 2 प्रतिशत से भी कम रह जाता है.

यदि अभी से उपाय नहीं किए गए तो नदी बेसिन में रहने वालों को 2025 आते-आते जरूरी पानी की मात्रा भी कठिनाई से मिलेगी. भारत के जनगणना निदेशक द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार नर्मदा अंचल के जिलों की कुल आबादी, जो वर्ष 1901 में 65.69 लाख और 2001 में 3.31 करोड़ थी, वह वर्ष 2026 में बढ़कर 4.81 करोड़ हो जाने का अनुमान है.

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नर्मदा को जीवित नदी का दर्जा देने का सुझाव केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने यात्रा में भागीदारी के दौरान दिया था. इस यात्रा में संघ प्रमुख मोहन भागवत से लेकर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह तक शिरकत कर चुके हैं.

मध्यप्रदेश में यह अपने तरह की पहली यात्रा है. इस यात्रा में सरकार ने देश-दुनिया के तमाम सेलिब्रिटी को आमंत्रित कर इसे एक जन आंदोलन का रूप देने की कोशिश की है.

नर्मदा के संरक्षण की बातों के बीच रेत के अवैध उत्खनन का मामला भी उतना गर्म है, जितनी की मुख्यमंत्री चौहान की नर्मदा यात्रा. इस नर्मदा यात्रा के कारण राज्य में प्रशासनिक कामकाज लगभग ठप है.

एक राजनीतिक नदी

राजनीतिक तौर पर भी नर्मदा पट्टी की भूमिका सरकार बनाने-बिगाड़ने में काफी महत्वपूर्ण रहती है. राज्य में अगले साल विधानसभा के आम चुनाव होना है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ विपक्ष नर्मदा से रेत खनन के मुद्दे को हवा दे रहा है.

मुख्यमंत्री अच्छी तरह जानते हैं कि यदि नर्मदा पट्टी के लोगों ने रेत खनन के आरोप को स्वीकार कर लिया तो राज्य में चौथी बार बीजेपी की सरकार बनाना मुश्किल भरा होगा. यही कारण है कि पूरी सरकार का फोकस  नर्मदा के संरक्षण, तटों की सुंदरता और पर्यावरण है.

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने अपनी नर्मदा यात्रा में सार्वजनिक मंच से ही मुख्यमंत्री से साफ तौर पर कहा कि आप नर्मदा के संरक्षण की जो बातें कर रहे हैं, उन्हीं पर यदि गंभीरता से अमल कर देगें तो ही नर्मदा बची रह सकती है.