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क्या नीतीश कुमार अपनी छवि के मुताबिक इस बार भी सख्ती दिखाएंगे...?

गिरफ्तार आरोपी सुधीर कुमार की गिरफ्तारी को लेकर आईएएस असोसिएशन नीतीश कुमार का विरोध कर रही है

Amitesh

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की छवि साफ-सुथरे नेता की रही है. एक ऐसे नेता की जिसने 15 साल के बिहार के लालू-राबड़ी राज के बाद एक बेहतर शासन देने की कोशिश की.

ये बेहतर छवि और बेहतर शासन की ही देन थी कि नीतीश कुमार की चर्चा सुशासन बाबू के तौर पर होने लगी.


नीतीश कुमार की छवि बेहतर होने के साथ-साथ एक सख्त प्रशासक की भी रही है. अपनी छवि और काम करने के अंदाज से नीतीश कभी समझौता नहीं करते.

छवि से समझौता नहीं करते

अब लालू यादव की राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के साथ मिलकर सरकार चलाने के बावजूद भी वो किसी कीमत पर अपनी छवि से समझौता करते नहीं दिखते. कई बार मतभेद भी होता है लेकिन, नीतीश अपनी बनाई अलग छवि कायम रखने में सफल रहे हैं.

बिहार में बीएसएससी पेपर लीक मामले के सामने आने के बाद एक बार फिर से उनके सामने अपनी साफ छवि बरकरार रखने की चुनौती है.

वर्तमान बिहार सरकार में नीतीश कुमार और लालू यादव की पार्टी गठबंधन में है

अब बिहार विधानसभा के भीतर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक लाइन खींचने की कवायद की है. बिहार कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष सुधीर कुमार की गिरफ्तारी और घोटाले की जांच को लेकर जब विपक्ष ने सवाल खड़ा किया तो नीतीश कुमार ने भरोसा दिलाने की कोशिश की.

नीतीश ने दावा किया कि हम पूरी कोशिश करेंगे कि ये मामला ‘गवर्नेंस में माइलस्टोन’ बन जाए.

नीतीश ने भले ही ये बयान विधानसभा के भीतर दिया हो लेकिन, उनके निशाने पर वो नौकरशाही है जिसने बीएसएससी पेपर लीक मामले में अध्यक्ष सुधीर कुमार की गिरफ्तारी के बाद अपने मुख्यमंत्री के खिलाफ ही मोर्चा खोल रखा है.

बिहार पुलिस के बदले सीबीआई करे जांच

आईएएस अफसरों के एसोसिएशन ने इस मामले में बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद से मिलकर अपना विरोध जताया है. अफसरों की मांग है कि इस पूरे मामले की जांच सीबीआई करे ना कि बिहार पुलिस. इनकी तरफ से सुधीर कुमार की रिहाई की मांग भी हो रही है.

आईएएस एसोसिएशन की तरफ से मौखिक आदेश का पालन नहीं करने की बात कही गई है, भले ही आदेश खुद मुख्यमंत्री का ही क्यों न हो.

अपनी सख्ती के लिए जाने जाने वाले नीतीश कुमार इस मामले में भी कड़ी कार्रवाई की बात कर रहे हैं.

नीतीश बिहार विधानसभा में बोले कि, 'इस देश का जो कानून है, वह सब पर लागू होता है. केवल राष्ट्रपति को छोड़कर सब पर अनुसंधान का कानून लागू होता है.'

मुख्यमंत्री ने आगे कहा ‘अनुसंधान करने का दायित्व तो पुलिस का ही है, एजेंसी तो वही है. सरकार जांच कराने का आदेश दे सकती है लेकिन जांच तो इन्क्वारी अफसर को ही करना पड़ेगा. इसके लिए जब एसआईटी की टीम गठित कर दी है, तब वह जांच कर रही है, सबूतों के आधार पर पुलिस कार्रवाई करेगी. जो कुछ भी होगा वह मामला अदालत में जाएगा.’

नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा में भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ाई से प्रहार जारी रखने का भरोसा दिया है (फोटो: पीटीआई)

एसआईटी बेहतर काम कर रही है

लेकिन, पेपर लीक घोटाले से पहले टॉपर घोटाले की भी जांच चल रही है. मुख्यमंत्री का दावा है कि इन सबमें एसआईटी बेहतर काम कर रही है. नीतीश कुमार ने विरोधी दलों को इस बात के लिए चुनौती दी है कि किसी भी विधायक या मंत्री का मामला हो तो वो बताएं, कार्रवाई की जाएगी.

हालांकि, इसके पहले भी नीतीश कुमार बेनामी संपत्ति के मुद्दे को लेकर अपनी सख्त तेवर दिखा चुके हैं. सितंबर 2011 में नीतीश सरकार ने एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के अवैध तरीके से कमाए कर पटना में बनाए गए बंगले को जब्त कर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने की अपनी इच्छाशक्ति दिखाई थी.

दिलचस्प बात ये है कि उस वक्त बीजेपी नीतीश कुमार के साथ मिलकर सरकार चला रही थी.

लेकिन, अब बीजेपी विपक्ष में है और नीतीश को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रही. विरोधियों से ज्यादा विरोध इस वक्त उन्हें अपने अधिकारियों की तरफ से झेलना पड़ रहा है.

लेकिन, नीतीश ने इस जांच को 'गवर्नेंस में माइलस्टोन' साबित करने की बात कर अपने इरादे साफ कर दिए हैं.