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लालू की तरह तेजस्वी क्यों नहीं साहस दिखा पा रहे और रेप के दोषी MLA को पार्टी से निकाल रहे

तेजस्वी यादव को भी अपने पिता की तरह रेपिस्ट राज बल्लभ यादव के खिलाफ कार्रवाई की पहल शुरुआती दौर से ही करनी चाहिए थी. इससे उनका राजनीतिक कद बढ़ता

Kanhaiya Bhelari

यह संयोग की बात है कि जिस प्रकार मुख्यमंत्री बनने के कुछ वर्षों बाद लालू प्रसाद यादव को रेप के एक आरोपी विधायक को लेकर महीनों विपक्ष के तीखे वाणों से जूझना पड़ा था, उसी प्रकार उप-मुख्यमंत्री बनने के कुछ महीने बाद उनके बेटे और विरासत के उत्तराधिकारी तेजस्वी यादव का वैसे ही एक कांड से सामना हुआ. लालू यादव अपने विरोधियों को पस्त करने में कामयाब रहे थे, मगर तेजस्वी यादव आरोपी को बचाने के आरोप से खुद को बाहर निकाल पाने में असफल हैं.

लालू यादव 10 मार्च, 1990 को बिहार के सीएम बने थे. अगस्त 1994 में हुई एक रेप की घटना को टैकल (सुलझाने) करने के लिए उन्होंने ऐसे कदम उठाए कि उनके सरकार के खिलाफ उठ रही विपक्ष की आवाज और जनता की नाराजगी बिलकुल शांत हो गई. वास्तव में, राज्य की जनता रेप के मामले में लालू यादव के उठाए कदम की तारीफ करने लगी थी.


तेजस्वी यादव खुद को इस आरोप से निकालने का कसरत नहीं कर रहे हैं

दूसरी तरफ उनके बेटे और विरोधी दल के नेता तेजस्वी यादव जब 20 नवंबर, 2015 को डिप्टी सीएम बने तो उनपर विपक्ष की तरफ से आरोप लगाया गया कि वो 6 फरवरी, 2016 को नाबालिग लड़की के साथ हुए रेप के आरोपी राज बल्लभ यादव को बचाने का काम कर रहे हैं. विधानसभा में विपक्ष के नेता के अवतार में भी तेजस्वी यादव खुद को इस आरोप से निकालने का कसरत नहीं कर रहे हैं. हालांकि नीतीश कुमार की सरकार ने आरोपी को सजा और पीड़िता को न्याय दिलाने में कोई कोताही नहीं बरती.

कोर्ट ने नवादा से आरजेडी के विधायक राज बल्लभ यादव को नाबालिग लड़की से रेप का दोषी ठहराते हुए उम्रकैद और 50 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है

15 दिसंबर को दोषी करार दिए जाने के बाद एमपी-एमएलए कोर्ट के जज परशुराम सिंह यादव ने राज बल्लभ यादव को उम्रकैद की सजा सुनाई. माना जा रहा था कि राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) नेतृत्व दोषी राज बल्लभ को पार्टी से बेदखल कर देगी. लेकिन उसने अभी तक उसे दल से निष्काषित नहीं किया है. जिससे अब पार्टी के भीतर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ऐसी कौन सी मजबूरी है जो तेजस्वी यादव नवादा के एमएलए के प्रमााणित हो चुके गुनाह पर खामोश हैं?

1994 की तरफ मुड़ते हैं. तब के मुख्यमंत्री रहे लालू यादव को एक पुलिस अधिकारी से पता चला कि जनता दल के विधायक योगेंद्र नारायण सरदार के प्राइवेट पार्ट को एक नाबालिग लड़की ने ब्लेड से काट कर अलग कर दिया है.

योगेंद्र नारायण सरदार सुपौल जिला में छातापुर विधानसभा के विधायक थे. लालू ने तत्काल एक पुलिस अधिकारी को भेजकर उस बहादुर लड़की को सीएम आवास बुलाया, उसे पुलिस में नौकरी दी और कहा, ‘तुमने बहुत ही बहादुरी का काम किया है ऐसे महापापियों की यही उचित दवाई और सजा है.’ लालू यादव की पहल पर पीड़ित लड़की को ‘वीरता’ के लिए नवंबर 1996 में एशिया के मशहूर सोनपुर मेला में सरकार की तरफ से सम्मानित भी किया गया था.

जनता दल के विधायक योगेंद्र नारायण सरदार को शराबखोरी की लत थी. सदन में भी वो कई बार नशे में धुत पाए गए थे. तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष गुलाम सरवर ने दर्जनों बार सरदार को पी कर सदन में नहीं आने की चेतावनी दी थी. लेकिन उन पर उसका कोई असर नहीं पड़ता था.

लालू यादव जब बिहार के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने नाबालिग लड़की से रेप के आरोपी विधायक योगेंद्र नारायण सरदार को पार्टी से निकाल बाहर किया था

विवेचना में पुलिस ने लिखा है कि शराब के बाद सरदार शबाब खोजता था 

सीएम लालू यादव ने तब अपने स्टाइल में इस आलेख के लेखक को बातचीत में बताया था कि- ‘जानते हो विवेचना में पुलिस ने लिखा है कि शराब के बाद सरदार शबाब खोजता था. उस रात उसके गुर्गे (साथियों) एक दलित लड़की को जबरन उठा लाए और उसे उसके सामने परोस दिया. सरदार ने जब उससे अश्लील हरकत करने का प्रयास किया तो लड़की उसके प्राइवेट पार्ट को ब्लेड से काट कर अपने गांव भाग गई. सरदार रोते-चिल्लाते नेपाल जाकर एक डॉक्टर के यहां छिपकर अपनी दवा-दारू कराने लगा.’

लालू यादव ने इसके आगे बताते हुए कहा, ‘हमने पुलिस को नेपाल भेजकर सरदार को अरेस्ट कराया, उसे जेल भिजवाया और हमेशा के लिए जनता दल से निकलवा दिया.’ लालू यादव की बात सही है क्योंकि लालू यादव की मुस्तैदी और केस के प्रति सीरियसनेस के कारण योगेंद्र नारायण सरदार की 3 साल तक जेल में दुर्गति होती रही. केस अभी भी सुपौल कोर्ट में चल रहा है. 5 बच्चों का पिता 56 वर्षीय योगेंद्र सरदार राजनीति को हमेशा के लिए अलविदा कहकर अपने पुश्तैनी गांव में जिंदगी के बाकी दिन गिन रहा है. एक पत्रकार से बातचीत में सरदार ने कहा था कि- ‘जवानी में कुछ गलती मुझसे हो गई थी. जिसकी सजा मैं भुगत रहा हूं. उस घटना के बाद शर्म से मैं आज तक पटना नहीं जा सका हूं.’

राजनीतिक पंडितों की राय है कि आरजेडी के राजकुमार और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को भी अपने पिता की तरह दुष्कर्मी राज बल्लभ यादव के खिलाफ कार्रवाई की पहल शुरुआती दौर से ही करनी चाहिए थी. इससे उनका राजनीतिक कद बढ़ता. तेजस्वी यादव को भी पता है कि नवादा और नालंदा जिले का वातावरण चीख-चीख कर गवाही देता है कि आरजेडी का विधायक राज बल्लभ यादव हैबिचुवल (आदतन) रेपिस्ट है. पुलिस के पास इसके पुख्ता प्रमाण हैं कि राज बल्लभ यादव 15 वर्ष की बच्चियों को टारगेट करता रहा है. अब तो अदालत ने उसे दोषी करार करते हुए सजा का एलान कर दिया है. जिसके चलते उसकी विधानसभा की सदस्यता भी दांव पर है.

विरोधी दलों के नेता तेजस्वी यादव पर सजायाफ्ता विधायक राज बल्लभ यादव को बचाने का आरोप लगा रही हैं

तत्काल प्रभाव से राज बल्लभ यादव को पार्टी से निष्काषित कर देना चाहिए

आरजेडी में ऐसे बहुत से नेता हैं जो ऑफ द रिकॉर्ड बातचीत में कहते हैं कि- ‘तेजस्वी यादव को तत्काल प्रभाव से राज बल्लभ यादव को पार्टी से निष्काषित कर देना चाहिए. अब समय आ गया है कि हम जनता को बताएं कि आरजेडी में ऐसे लोगों के लिए कोई जगह नहीं है जो महिलाओं के प्रति सम्मान का भाव नहीं रखते.’ यह नेता आगे कहते हैं, ‘हमारे नेता लालू यादव राजनीतिक मजबूरी के कारण मोहम्मद शहाबुद्दीन जैसे घोषित क्रिमिनल के खिलाफ कार्रवाई करने में कोताही बरत सकते हैं. लेकिन राज बल्लभ जैसों को सरदार की तरह कब का पार्टी से निकाल बाहर किया होता. तेजस्वी यादव को कार्रवाई करने में देर नहीं करनी चाहिए और पीड़ित लड़की से मिलकर उसके प्रति सहानुभूति जतानी चाहिए.’