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क्या दुष्प्रचार ही अब चुनाव प्रचार करने का मुख्य तरीका बनता जा रहा है?

विभिन्न राजनीतिक दलों और उनके नेताओं को भी सोचना चाहिए कि वह सकारात्मक चीजों को सोशल साइट्स के जरिए या फोन कॉल्स के जरिए बता कर वोटों का ध्रुवीकरण करें न कि सांप्रदायिक मुद्दों को उछाल कर अपना हित साधें.

Ravishankar Singh

पिछले कुछ दिनों से आम आदमी पार्टी द्वारा दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों में फोन कॉल्स के जरिए लोगों का मूड भांपने के तरीके पर सवाल उठने लगे हैं. राजौरी गार्डेन से शिरोमणि अकाली दल के विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने दिल्ली के सीएम और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल के खिलाफ एक शिकायत दर्ज कराई है. दिल्ली के तिलक नगर थाने में दर्ज शिकायत में सिरसा ने अरविंद केजरीवाल पर उन्हें बदनाम करने और उनके विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं को गुमराह और लालच देने का आरोप लगाया है. सिरसा का आरोप है कि उनके मतदाताओं को कई फोन नंबरों से फोन कर कहा जा रहा है कि बीजेपी ने उनके नाम मतदाता सूची से कटवा दिए, पर अरविंद केजरीवाल के प्रयासों से ही उन्हें फिर से मतदाता सूची में शामिल किया गया है.

पूर्वी दिल्ली के एक मतदाता फ़र्स्टपोस्ट हिंदी से बातचीत में कहती हैं, ‘एक मोबाइल नंबर से 28 जनवरी को शाम 4 बजकर 17 मिनट में मेरे नंबर पर कॉल किया गया. कॉल करने वाला शख्स बोल रहा था कि आपका मतदाता सूची से नाम कटवा दिया गया था लेकिन अरविंद केजरीवाल की सक्रियता से दोबारा से मतदाता सूची में नाम जोड़ा गया है. आप का नाम मतदाता सूची में है कि नहीं इसके लिए निर्वाचन आयोग के सइट पर जा कर जांच कर लें.’


बता दें कि पिछले सप्ताह बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने भी एक प्रतिनिधिमंडल के साथ चुनाव आयोग से इस मामले में मुलाकात की थी. मनोज तिवारी ने चुनाव आयोग को एक ज्ञापन सौंप कर ‘आप’ पर दिल्ली की मतदाता सूची से 30 लाख मतदाताओं के नाम काटे जाने के दावों और आप के कार्यकर्ताओं द्वारा बीजेपी को बदनाम करने के लिए किए जा रहे फोन कॉल्स पर कार्रवाई की मांग की थी.

वहीं आप नेताओं का कहना है कि यह बताना कोई अपराध नहीं कि किसने मतदाता सूची से मतदाताओं के नाम कटवाए और आम आदमी पार्टी और उसके नेताओं के प्रयास के जरिए इन्हें वापस जुड़वाया जा सका. अगर किसी को इस मामले में कोई आपत्ति है तो वह चुनाव आयोग जा सकता है.

आम आदमी पार्टी के नेताओं का कहना है, ‘आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता और उसके विधायकों ने इन वोटरों के पंजीकरण के लिए शिविरों का आयोजन किया था. यह प्रक्रिया अभी भी कुछ जगहों पर चल रही है. हम मानते हैं कि इन वास्तविक मतदताओं को जोड़ा जाना या उन्हें यह बताना अपराध नहीं है.'

हरियाणा में चल रहे डोर-टू-डोर कैंपेन की बात हो या दिल्ली में मतदाताओं के वोटर लिस्ट में नाम कटने की मुहिम हो आम आदमी पार्टी लगातार जनता से संपर्क साध रही है. हालांकि, इसमें पार्टी को कितनी कामयाबी हासिल हो रही है यह कहना अभी जल्दबाजी होगी.

बता दें कि अरविंद केजरीवाल अपने पार्टी पदाधिकारियों से साफ कह रहे हैं कि फीडबैक सिस्टम से ये पता चल रहा है कि डोर-टू-डोर कैंपेन से दिल्ली और हरियाणा के लोगों में बहुत तेजी से आम आदमी पार्टी की तरफ रुझान बढ़ा है. इस कैंपेन से हमें ऐसे नए वालेंटियर मिल रहे हैं जो पार्टी से जुड़कर डोर-टू-डोर कैंपेन में भाग ले रहे हैं और अन्य सक्रिय भूमिकाएं भी निभा रहे हैं. इससे पार्टी का जनाधार मजबूत हो रहा है और हम जनता के साथ जुड़े भी हैं.

आम आदमी पार्टी का कहना है कि डोर-टू-डोर कैंपेन के जरिए पार्टी से जुड़ने वाले नए सक्रिय वालेंटियर्स की ट्रेनिंग करवाई जा रही है, जिससे ये लोग जमीन पर जाकर जुनून के साथ काम कर सकें. दिल्ली के अलग-अलग विधानसभाओं में फोन कॉल के जरिए मतदाताओं से जुड़ना भी एक रणनीति का हिस्सा है.

गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी लगातार कहती आ रही है कि चुनाव आयोग द्वारा जारी की गई सूची ने साबित कर दिया की बीजेपी ने एक षड्यंत्र के तहत दिल्ली से मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से कटवाए हैं. आम आदमी पार्टी लगातार मांग कर रही थी कि चुनाव आयोग इस बात पर स्पष्टीकरण दे कि जब दिल्ली में लगातार लोगों की संख्या बढ़ रही है तो मतदाता सूची में लोगों की संख्या कैसे घट रही है?

बता दें कि कुछ दिन पहले ही चुनाव आयोग ने दिल्ली के मतदाताओं की अंतिम सूची जरी की थी. इस सूची के मुताबिक पिछले साल के मुकाबले भी मतदाताओं की संख्या घटी हैं. आम आदमी पार्टी का कहना है कि यह सूची इस बात की पुष्टि करती है की आम आदमी पार्टी जो पिछले कुछ महीनों से कहती आ रही है कि बीजेपी ने एक षड्यंत्र के तहत दिल्ली से लगभग 30 लाख लोगों के नाम वोटर लिस्ट से कटवा दिए हैं, वो बात शत प्रतिशत सही है.

आम आदमी पार्टी का कहना है कि पिछले कई दशकों का डाटा उठा कर देखने पर पता चलता है कि दिल्ली में हमेशा मतदाताओं की संख्या साल दर साल बढती गई है. लेकिन, पहले बार ऐसा हो रहा है की दिल्ली में मतदाताओं की सूची घटी है.

आम आदमी पार्टी का कहना है कि एक अनुमान के मुताबिक दिल्ली में सालाना 6 लाख आबादी बढ़ती है. कुछ लोग दूसरे राज्यों से आकर यहां बस जाते हैं या वो लोग जो हर साल बालिग होते हैं, उन सभी की संख्या मिलाकर दिल्ली में लगभग 10 लाख लोग दिल्ली की मतदाता सूची में सम्मिलित होते हैं. अगर मान लिया जाए की हर साल लगभग 2 लाख लोग मृत्यु के कारण वोटर लिस्ट से हट जाते हैं और लगभग 2 लाख के आस पास दिल्ली से पलायन कर जाते हैं, तब भी लगभग 6 लाख लोग मतदाता सूची में बढ़ने चाहिए. लेकिन, यहां बढ़ने की बजाए उल्टे मतदाताओं के नाम घट रहे हैं.

आम आदमी पार्टी का आरोप लगाती रही है कि बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर षड्यंत्र के तहत दिल्ली के मतदाता सूची से 30 लाख लोगों का नाम कटवाया है, जिसमें खास तौर पर पूर्वांचलियों, मुस्लिम समाज और बनिया समाज के लोगों के नाम काटे गए हैं.

आम आदमी पार्टी का कहना है कि शालीमार बाग में 21 हजार 849 वोट कटे हैं, जिसमे 10 हजार 645 वोट पूर्वांचलियों के काट दिए गए. बुराड़ी विधानसभा में 21 हजार 104 वोट कटे हैं, जिसमें 14 हजार 129 वोट पूर्वांचलियों के काट दिए गए. पटपड़गंज विधानसभा में 47 हजार 117 वोट कटे, जिसमें 16 हजार 330 वोट पूर्वांचलियों के काट दिए गए. उत्तम नगर विधानसभा में 55 हाजर 304 वोट कटे, जिसमें 28 हाजर 327 पूर्वांचलियों के काट दिए गए.

इधर मंगलवार को पंजाब में शिरोमणी अकाली दल के प्रभूत्व वाली एक वेबसाइट और न्यूज चैनल के खिलाफ आम आदमी पार्टी ने भी एक शिकायत दर्ज कराई है. आम आदमी पार्टी ने एक पोर्टल पर फर्जी संदेश प्रसारित करने का दावा किया है. आम आदमी पार्टी के कोर टीम के व्हाट्सएप ग्रुप से यह संदेश लीक हो गए हैं. पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने पंजाब के आईजी साइबर सेल हरदयाल सिंह मान से मुलाकात की और झूठी खबर फैलाने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की.

पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि वेबसाइट ने न केवल बुरी हालत में आम आदमी पार्टी का चित्रण किया, बल्कि अत्यधिक अपमानजनक, नकली और जाली दस्तावेज पेश किया. उन्होंने कहा कि उपरोक्त वेबसाइट पर उपलब्ध पूरी सामग्री पूरी तरह से झूठी, मनगढ़ंत, जाली है और आम आदमी पार्टी की छवि को तोड़फोड़ करने के एकमात्र उद्देश्य के साथ प्रचारित की जाती है.

चीमा ने कहा कि चूंकि पार्टी आगामी लोकसभा चुनावों के लिए कमर कस रही है, इसलिए पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए इस तरह के फर्जी, जाली, भद्दी और मनगढ़ंत खबरों को चित्रित किया गया है. एक पोर्टल और एक न्यूज चैनल के कार्य और आचरण से पता चलता है कि लोकसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी के खिलाफ जनता को गुमराह करने और उकसाने का एक जानबूझकर प्रयास किया जा रहा है. इस बात की पूरी संभावना है कि समाचार पोर्टल और न्यूज चैनल विपक्षी दलों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.

कुलमिलाकर लोकसभा चुनाव की सुगबुगाहट के बाद अब इस तरह के दुष्प्रचार की शिकायतें देखने और सुनने को मिलती रहेंगी. चुनाव आयोग इन मामलों में मामूली धाराओं में मुकदमा दर्ज तो जरूर करता है लेकिन उसका प्रभाव नहीं देखने को पड़ता है. साल 2014 के लोकसभा चुनाव और हाल के कर्नाटक विधानसभा चुनाव तक सोशल साइट्स पर इस तरह के दुष्प्रचार की खूब की शिकायतें मिली थीं. ऐसे में विभिन्न राजनीतिक दलों और उनके नेताओं को भी सोचना चाहिए कि वह सकारात्मक चीजों को सोशल साइट्स के जरिए या फोन कॉल्स के जरिए बता कर वोटों का ध्रुवीकरण करें न कि सांप्रदायिक मुद्दों को उछाल कर अपना हित साधें.