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इन कारणों से यूपी की सियासत में दूसरी पार्टियों को मात दे सकती हैं प्रियंका गांधी

प्रियंका का व्यक्तित्व इंदिरा गांधी से मिलता है और उम्मीद है कि इससे महिला वोटर्स आकर्षित भी होंगी क्योंकि महिलाएं उनसे बहुत आराम से कनेक्ट होती हैं

Amitabh Tiwari

कांग्रेस ने प्रियंका गांधी वाड्रा को उत्तर प्रदेश (पूर्व) का महासचिव नियुक्त किया है. वह फरवरी 2019 के पहले हफ्ते से जिम्मेदारी संभालेंगी और गांधी परिवार की पारंपरिक सीट से रायबरेली सीट से चुनाव लड़ सकती हैं. फिलहाल रायबरेली से सोनिया गांधी सांसद हैं. कांग्रेस नेता मोतीलाल वोहरा इस फैसले पर कहा ‘प्रियंका जी को जो जिम्मेदारी दी गई है वह बेहद जरूरी है. इस फैसले से सिर्फ यूपी के पूर्वी हिस्से में ही नहीं बल्कि अन्य हिस्सों पर भी प्रभाव पड़ेगा.’

प्रियंका के प्रचार के फायदे


बुआ और भतीजा के महागठबंधन की घोषणा के बाद इस फैसले से कांग्रेस का कैडर उत्साहित होगा. कांग्रेस को 2014 लोकसभा चुनाव में 7.5 वोट शेयर था जबकि सिर्फ 2 पारिवारिक सीटों पर ही जीत मिली थी. वहीं विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर घटकर 6.3 प्रतिशत रह गया था.

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प्रियंका का व्यक्तित्व इंदिरा गांधी से मिलता है और उम्मीद है कि इससे महिला वोटर्स आकर्षित भी होंगी क्योंकि महिलाएं उनसे बहुत आराम से कनेक्ट होती हैं. पिछले कुछ सालों में महिला वोटर्स की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है. साक्षरता और जागरूकता में बढ़ने के चलते महिलाएं अपना वोट देने का स्वतंत्र फैसला करती हैं. लोकसभा में वैसे भी पुरुषों के मुकाबले कांग्रेस को महिलाएं ज्यादा वोट देती हैं.

अमेठी और रायबरेली में प्रियंका ने पार्टी के लिए प्रचार किया है. पार्टी के लिए अगर प्रियंका प्रचार करती हैं तो पार्टी के भविष्य को एक नया उत्साह मिलेगा और पार्टी अपने पारंपरिक वोट सवर्ण, दलित और मुस्लिमों को जुटा पाएगी. राम मंदिर मुद्दे के चलते सवर्णों का वोट बीजेपी के साथ चला गया था और ऐसा नहीं कहा जा सकता कि आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण को टारगेट किया जाएगा.

पार्टी को सीटों के लिए बेहतर उम्मीदवारों को आकर्षित करने की कोशिश करेगी क्योंकि अब उन्हें भी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतने की ज्यादा संभावना है. यहां तक कि एसपी-बीएसपी गठबंधन के चलते जिन उम्मीदवारों को टिकट नहीं मिली है, उन्हें साथ लाने की भी कोशिश कांग्रेस कर सकती है.

महागठबंधन को झटका

कांग्रेस का यह कदम महागठबंधन के लिए बड़ा झटका है. महागठबंधन कांग्रेस से अलग होकर बीजेपी को हराने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस ने प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया को यूपी में महासचिव का पद सौंपा है. इससे साफ है है कि कांग्रेस यूपी जीतने में अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है. ऐसे में लोकसभा चुनाव सही मायने में त्रिशंकु हो सकता है.

कांग्रेस ने मायावती की आलोचनाओं को हल्के में नहीं लिया है. जिस दिन महागठबंधन की सीटों पर फैसला होना था उसी दिन बीएसपी चीफ मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस की कड़ी आलोचना की. मुमकिन है कि इससे राज्य में एंटी बीजेपी वोट बंट सकता है. कांग्रेस और महागठबंधन का वोट बैंक लगभग एक है.

बीजेपी की रणनीति को झटका

राजनीति में प्रियंका गांधी की एंट्री से बीजेपी की रणनीति को झटका लगा है जो ब्राह्मणों को लुभाने की कोशिश कर रही थी. अब ब्राह्मणों को लुभाने के लिए पार्टी को अलग रणनीति लेकर आनी होगी. पार्टी ने प्रियंका को पूर्वांचल की कमान सौंपी है जहां 30 सीटें हैं. 2014 के चुनाव में बीजेपी को इस इलाके में 30 में से 29 सीटें मिल गई थीं.

(लेखक एक राजनीतिक विश्लेषक, रणनीतिज्ञ और सलाहकार हैं जो नेता और राजनीतिक पार्टियों को सलाह देते हैं)