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मोदी ने काशी को अपनी साख का सवाल क्यों बना लिया है?

अपनी लोकसभा सीट होने के नाते पीएम मोदी ने यहां के चुनाव काे प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है

Amitesh

लोगों का अभिवादन स्वीकार करते जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का काफिला बनारस की तंग गलियों से होकर गुजरा तो एक बार फिर से लोकसभा चुनाव 2014 की याद ताजा हो गई.

किसी ने कहा पहले से बेहतर रोड शो था तो किसी ने कहा लोकसभा वाली बात नहीं थी. लेकिन, इन चर्चाओं से बेपरवाह मोदी अपने मिशन में लगे हैं.


मोदी-मोदी के नारों के सहारे पूरे माहौल को मोदीमय बनाने की कोशिश होती रही. पिछले तीन दिनों से ऐसा लगने लगा कि काशी मोदीमय हो गई है और मोदी काशीमय हो गए हैं.

बनारस के लोग अपने सांसद प्रधानमंत्री की एक झलक पाने को लेकर बेताब दिखे. बनारस में उमड़ी भीड़ को देखकर लगने लगा कि भले ही मोदी के कामकाज को लेकर लोगों के मन में कोई नाराजगी रही हो. शायद उम्मीद के मुताबिक काम नहीं होने से बनारस के लोगों के मन में थोड़ी कसक जरूर रही हो, लेकिन, मोदी की लोकप्रियता में अभी कमी नहीं आई है.

यूपी चुनाव के आखिरी दौर में मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में चुनाव होना है. इस चुनाव को हर बार की तरह मोदी ने भी हल्के तौर पर लेने की गलती नहीं की है. शायद हर जमीनी नेता यही करता है जो इस वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करते नजर आ रहे हैं.

लेकिन, उनके तीन दिन तक बनारस में रहने और रोड शो करने पर सवाल खड़े होने लगे हैं. सवाल तो अब बीजेपी के सहयोगी दलों की तरफ से भी उठ रहे हैं.

बीजेपी की सहयोगी राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी ने विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री के रोड शो पर सवाल खड़े किए हैं. आरएलएसपी के अध्यक्ष और मोदी सरकार में मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि मैं भाजपा के मित्रों से यह कहना चाहूंगा कि प्रधानमंत्री को रोड शो जैसे कार्यक्रम में उतरना सही नहीं है. पीएम का रैली करना तो वाजिब है लेकिन, रोड शो करना ठीक नहीं है.

बीजेपी के सहयोगियों द्वारा प्रधानमंत्री के रोड शो पर सवाल उठाने के बाद चर्चा अब इस बात को लेकर तेज हो गई है कि आखिर क्यों मोदी को इस हद तक बनारस में जमे रहना पड़ रहा है? क्या मोदी का बनारस के लोगों को लेकर ये लगाव है या फिर बनारस के लोगों के घटते लगाव का डर है.

बनारस शुरू से ही बीजेपी का गढ़ रहा है. पिछले विधानसभा चुनाव के वक्त यूपी में बीजेपी की खराब हालत के बावजूद बनारस में तीन सीटों पर जीत हासिल हुई थी. लेकिन, इस बार बीजेपी ने बनारस में कुछ ऐसी गलतियां कर दी हैं जिससे नाराजगी ज्यादा हो गई है.

श्यामदेव का टिकट काटने पर रोष

पुलिस अधिकारियों से बात करते श्यामदेव राय चौधरी

बनारस साउथ से लगातार 1989 से जीतते रहे दादा के नाम से मशहूर श्यामदेव राय चौधरी को बीजेपी ने इस बार टिकट नहीं दिया. पार्टी की तरफ से दादा का टिकट काटकर नीलकंठ तिवारी को अपना उम्मीदवार बना दिया गया. जिसके बाद श्यामदेव राय चौधरी के साथ-साथ उनके समर्थक काफी नाराज हो गए. रूठे दादा को मनाने की पूरी कोशिश की गई. काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन के वक्त दादा प्रधानमंत्री मोदी के साथ खड़े नजर आए.

यही हाल बनारस के बाकी इलाकों का भी रहा जहां बीजेपी के टिकट बंटवारे से पार्टी कैडर्स में भारी रोष दिखा और इनकी नाराजगी का डर बीजेपी को सताने लगा. बीजेपी ने रणनीति बदली और पार्टी के तमाम दिग्गज बनारस में डेरा डाल दिए. बनारस में गृह मंत्री राजनाथ सिंह से लकर वित्त मंत्री अरुण जेटली तक पहुंचे. कोशिश रूठे कार्यकर्ताओं को मनाने की थी.

इनके बाद पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से लेकर जेपी नड्डा, धर्मेन्द्र प्रधान, रविशंकर प्रसाद, संतोष गंगवार और स्मृति ईरानी जैसे नेता और मंत्री बनारस की संकरी गलियों में घूमते और लोगों को मनाते समझाते दिखे.

लेकिन, आखिरकार मोदी ने अपनों के पास आने में ही भलाई समझी. लगातार तीन दिन तक डेरा डाल दिया. अपनी आलोचनाओं से बेपरवाह, बेफिक्र अपनी धुन में मग्न मोदी ने बनारस में अपनी साख दांव पर लगा दी है.

उनको भी एहसास है कि बनारस की जीत और हार को सीधे उनके काम-काज से जोड़कर देखा जा सकता है. उनके निशाने पर अखिलेश हैं. बनारस में विकास कम होने का ठीकरा मोदी अखिलेश के सिर फोड़ रहे हैं.

लेकिन, बनारस में हार का ठीकड़ा शायद दूसरे किसी के सिर वो नहीं फोड़ पाएं, लिहाजा तमाम आलोचनाओं के बावजूद बनारसी अंदाज में अपने अक्खड़पन और अल्हड़पन के साथ जनता के दरबार में सिर झुकाते फिर रहे हैं.