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एम्स के पूर्व उपनिदेशक को लेकर जेपी नड्डा ‘आप’ के निशाने पर क्यों हैं?

पिछले 10 दिनों में दिल्ली के दो मंत्रियों पर सीबीआई के कसते शिकंजे ने आप को हमलावर बना दिया है

Ravishankar Singh

देश की विपक्षी पार्टियां खासकर आम आदमी पार्टी (आप) ने मोदी सरकार पर हमला तेज कर दिया है. पिछले 10 दिनों में दिल्ली के दो मंत्रियों पर सीबीआई के कसते शिकंजे ने आप को हमलावर बना दिया है.

आप ने सीबीआई पर एम्स के पूर्व उपनिदेशक और हिमाचल प्रदेश कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी विनीत चौधरी को घोटाले से बचाने का आरोप लगाया है.


हम आपको बता दें कि साल 2012 में एम्स की विजिलेंस रिपोर्ट में एम्स के उस समय के उपनिदेशक विनीत चौधरी और एक इंजीनियर की साठगांठ की बात सामने आई थी.

एम्स के उस समय के सीवीओ संजीव चतुर्वेदी ने जांच में आईएएस अधिकारी विनीत चौधरी की ओर इशारा किया और बाद में सीबीआई ने विनीत चौधरी और एक इंजीनियर के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया.

साल 2014 में सीबीआई ने ही विनीत चौधरी और इंजीनियर पर स्वास्थ्य मंत्रालय को गुमराह करने की बात सही पाई. जिसके बाद विनीत चौधरी पर विभागीय कार्रवाई की बात कही जाने लगी.

जेपी नड्डा

जेपी नड्डा ने विजिलेंस जांच रोकने की सिफारिश की थी

उस समय देश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन थे. जेपी नड्डा ने डॉ हर्षवर्धन को सांसद की हैसियत से एक पत्र लिखकर विनीत चौधरी के खिलाफ विजिलेंस जांच रोकने की सिफारिश की थी.

इसके कुछ दिन बाद ही जेपी नड्डा को डॉ हर्षवर्धन की जगह देश का स्वास्थ्य मंत्री बना दिया गया.

कहा ये जा रहा है कि डॉ हर्षवर्धन के स्वास्थ्य मंत्री रहते विनीत चौधरी घिर गए थे. लेकिन नड्डा के स्वास्थ्य मंत्री बनते ही एक बार फिर से समीकरण विनीत चौधरी के पक्ष में बदल गया.

जेपी नड्डा ने तकनीकी आधार पर विनीत चौधरी के खिलाफ जांच रोकने की सिफारिश कर दी. मीडिया में मामला आने के बाद जेपी नड्डा ने यह मामला कार्मिक मंत्रालय के पास भेज दिया.

जेपी नड्डा ने बतौर मंत्री भारत सरकार के कार्मिक मंत्रालय को एक पत्र लिखा कि वे इस जांच से खुद को अलग करते हैं और कार्मिक मंत्रलाय खुद विनीत चौधरी के खिलाफ जांच-पड़ताल करे.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले महीने ही हाईकोर्ट में इस मामले को लेकर हलफनामा दाखिल किया है. जिसमें आईएस अधिकारी विनीत चौधरी को क्लीनचिट दे दिया गया है. इस हलफनामे को आधार बना कर आम आदमी पार्टी ने सरकार पर हमला बोला है.

सीबीआई की जांच के मुताबिक विनीत चौधरी के एम्स के उपनिदेशक रहते 7 हजार करोड़ रुपए कंस्ट्रक्शन के काम के लिए स्वीकृत किए गए थे. जिसमें दिल्ली स्थित एम्स के कुछ निर्माण काम से लेकर हरियाणा में नया कैंसर अस्पताल बनाने का ठेका भी शामिल था.

आप ने सरकार पर आरोप लगाया है कि बीजेपी शासित केंद्र सरकार के घोटालों को तो दबाया जा रहा है. गैरबीजेपी शासित राज्यों और विपक्षी पार्टियों के नेताओं को सीबीआई का खौफ दिखाया जा रहा है. केंद्र सरकार की सभी एजेंसियां बीजेपी के राजनीतिक विरोधियों के पीछे पड़ गई है.

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चौधरी को क्लीन चिट देने में प्रधानमंत्री कार्यालय का भी योगदान

आप के नेता आशुतोष ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के 7 हजार करोड़ के घोटाले के आरोप झेल रहे एम्स के पूर्व उपनिदेशक विनीत चौधरी को बड़ी ही चालाकी से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा बचा ले गए. गजब की बात यह है कि इस घोटाले के मामले में क्लीन चिट देने में प्रधानमंत्री कार्यालय का भी योगदान रहा.

इस मामले में कठघरे में आए आईएएस अधिकारी विनीत चौधरी को ना केवल बचाया गया है बल्कि इस मामले की जांच खोलने वाले अफसर एम्स के पूर्व सीवीओ संजीव चतुर्वेदी को इस जांच से अलग कर दिया गया.

आप नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता आशुतोष ने कहा, ‘ये पूरा देश देख रहा है कि कैसे केंद्र सरकार की एजेंसियां बीजेपी की विरोधी पार्टियों के नेताओं पर छापेमारी कर रही हैं और उन्हें फर्जी केस में फंसाया जा रहा है. दूसरी तरफ बीजेपी नेताओं के घोटालों को दबाया जा रहा है.

आप का कहना है कि एम्स में 7 हजार करोड़ के घोटाले का आरोप झेल रहे उपनिदेशक विनीत चौधरी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और बीजेपी नेता जेपी नड्डा के बड़े करीबी हैं. साल 1998 से लेकर 2003 तक हिमाचल प्रदेश सरकार में जब जेपी नड्डा स्वास्थ्य मंत्री रहे तो विनीत चौधरी जेपी नड्डा के मंत्रालय में स्वास्थ्य सचिव के पद पर रहे.

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स)

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सीबीआई का सिर्फ विपक्ष पार्टियों पर दबाव

आप नेता आशुतोष ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘आम आदमी पार्टी पूछना चाहती है कि आखिर प्रधानमंत्री कार्यालय, स्वास्थ्य मंत्रालय और जेपी नड्डा की ऐसी क्या मजबूरी है कि वो 7 हजार करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप झेल रहे एम्स के उपनिदेशक रहे विनीत चौधरी को बचा रहे हैं. जबकि दूसरी तरफ पूरा देश देख रहा है कि बीजेपी के राजनीतिक विरोधियों पर आए दिन सीबीआई छापा डाल रही है और विरोधी पार्टियों के नेताओं को फर्जी मुकदमों में फंसाया जा रहा है. केंद्र में बैठी बीजेपी को इसका जवाब देना चाहिए.

यूपीए 2 की मनमोहन सिंह सरकार ने इस घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपी थी. लेकिन, पिछले 3 साल के बीजेपी शासनकाल में भी इस जांच को लेकर कोई प्रगति नहीं देखने को मिली है. सीबीआई के मुताबिक स्वास्थ्य मंत्रालय और कार्मिक मंत्रालय उन्हें जांच के लिए जरूरी कागजात मुहैया नहीं करवा रहा है.