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जम्मू-कश्मीर: बीजेपी के मंत्रियों ने क्यों दिया इस्तीफा, क्या चल पाएगा पीडीपी के साथ गठबंधन?

जम्मू-कश्मीर में पिछले छह महीने से सरकार में बीजेपी कोटे से चेहरे में बदलाव की कवायद हो रही थी. पार्टी के भीतर इस मुद्दे पर सुगबुगाहट भी थी, क्योंकि पार्टी आलाकमान को लगता है कि बीजेपी कोटे के कई मंत्रियों की छवि खराब है

Amitesh

जम्मू-कश्मीर में बीजेपी कोटे के सभी मंत्रियों के इस्तीफे के बाद जम्मू-कश्मीर में सियासी हलचल तेज हो गई है. बीजेपी के सभी मंत्रियों के इस्तीफे के कारण इस पर बीजेपी नेता कुछ भी खुलकर बोलने से कतरा रहे हैं. लेकिन, इस पूरी कवायद को इमेज मेकओवर से जोड़कर देखा जा रहा है.

जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ दिनों से बदल रहा सियासी समीकरण बीजेपी-पीडीपी गठबंधन के बीच तनातनी लेकर आया है. अब उस तनाव को दूर करने की कवायद भी हो रही है और साथ में सरकार की छवि सुधारने की भी कोशिश हो रही है.


मामला और गंभीर हो गया

बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में पिछले छह महीने से सरकार में बीजेपी कोटे से चेहरे में बदलाव की कवायद हो रही थी. पार्टी के भीतर इस मुद्दे पर सुगबुगाहट भी थी, क्योंकि पार्टी आलाकमान को लगता है कि बीजेपी कोटे के कई मंत्रियों की छवि खराब है. कई मंत्रियों के काम-काज से भी पार्टी के भीतर असंतोष का माहौल भी था. लेकिन, इस दौरान कठुआ में हुई वारदात ने आग में घी का काम कर दिया.

कठुआ में हुई वारदात के बाद आरोपियों के समर्थन में निकाली गई रैली में बीजेपी कोटे के दो मंत्रियों पर वहां जाने के आरोप लगे. इसके बाद मामला और गंभीर हो गया. सूत्रों के मुताबिक, इन दो मंत्रियों को लेकर पीडीपी और मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को घोर आपत्ति थी. जम्मू-कश्मीर में सरकार पर मंडराते खतरे और देश भर में बन रहे माहौल के बाद बीजेपी आलाकमान के हस्तक्षेप के बाद रैली में शामिल दोनों मंत्रियों को अपना इस्तीफा देना पड़ा था.

बीजेपी कोटे के वन मंत्री लाल सिंह और उद्योग मंत्री चंद्र प्रकाश को इस्तीफा देना पड़ा था. लेकिन, उसके कुछ ही दिन बाद अब बाकी 9 मंत्रियों ने भी इस्तीफा सौंप दिया है.

इस्तीफा देने वाले मंत्रियों में उपमुख्यमंत्री निर्मल सिंह, बाली भगत, चेरिंग दोर्जे, श्याम लाल चौधरी, अब्दुल गनी कोहली, सुनील कुमार शर्मा, प्रिया सेठी और अजय नंदा शामिल हैं. जबकि बीजेपी कोटे के मंत्री सज्जाद गनी लोन ने भी अपना इस्तीफा सौंप दिया है. ये सभी इस्तीफे बीजेपी के जम्मू-कश्मीर अध्यक्ष सत शर्मा को सौंपे गए हैं. उनकी तरफ से मुख्यमंत्री को इस्तीफा सौंपे जाने के बाद औपचारिक तौर से इन सभी मंत्रियों की कैबिनेट से विदाई हो जाएगी.

दरअसल जम्मू-कश्मीर में गठबंधन के भीतर पहले से ही बवाल जारी रहा है. दो विपरीत विचारधाराओं के साथ आकर सरकार बनाने के बाद उसे चलाना काफी मुश्किल रहा है. 2015 के विधानसभा चुनाव में जम्मू-कश्मीर में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था. लेकिन, 89 में से 28 सीटें जीतकर पीडीपी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी थी. जबकि बीजेपी को 25 सीटों पर जीत मिली थी.

सरकार बनाने की मजबूरी में दोनों ही दलों ने अलग-अलग विचारधारा के बावजूद एक साथ मिलकर सरकार चलाने का समझौता किया था. उस वक्त मुफ्ती मोहम्मद सईद के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर में पीडीपी-बीजेपी गठबंधन की सरकार बनी जिसमे बीजेपी कोटे से निर्मल सिंह को उपमुख्यमंत्री का पद मिला था.

लेकिन, मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद 2016 में जब महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व में सरकार बनी तो उस वक्त इसके लिए इंतजार करना पड़ा था. महबूबा मुफ्ती की कुछ मुद्दों पर बीजेपी के साथ मतभेद थे जिसके चलते सरकार बनाने में देरी हुई थी. आखिरकार अप्रैल 2016 में महबूबा मुफ्ती ने बीजेपी के साथ सरकार बनाने का फैसला किया और फिर से निर्मल सिंह उपमुख्यमंत्री के तौर पर जम्मू-कश्मीर सरकार में शामिल हुए.

कई मंत्रियों को बदलकर नए मंत्रियों को शपथ दिलाई जा सकती है

इस दौरान जम्मू-कश्मीर में लगातार हो रही पत्थरबाजी की घटना और दूसरे कई मुद्दों को लेकर बीजेपी के साथ पीडीपी के रिश्तों में टकराव होता रहा, फिर भी सरकार चलती रही है.

लेकिन, अब कठुआ की घटना ने दोनों ही दलों के बीच खाई बढ़ा दी है. हालांकि बीजेपी कोटे के दोनों मंत्रियों के इस्तीफे के बाद डैमेज कंट्रोल की कोशिश की गई है, लेकिन, रिश्तों की कड़वाहट अभी भी बरकरार है. तीन साल की सरकार के बाद ऐसा लग रहा है कि जम्मू-कश्मीर में अपने लोगों को खुश करने में असफल रही है. उसकी छवि पर बुरा असर पड़ा है. लिहाजा अब इमेज मेकओवर की कवायद हो रही है.

बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, कई मंत्रियों को बदलकर नए मंत्रियों को शपथ दिलाई जा सकती है. नए चेहरों के दम पर बीजेपी नए जोश के साथ अपनी छवि सुधारना चाहती है. कुछ इसी तरह की कवायद पीडीपी की तरफ से भी हो सकती है. पीडीपी भी अपने कुछ मंत्रियों को बदल सकती है.

फिलहाल इसको लेकर कोई तारीख तय नहीं है लेकिन, माना जा रहा है कि गर्मी के मौसम में हर साल की तरह जम्मू से श्रीनगर ‘दरबार’ (राज्य सचिवालय)शिफ्ट करने में अभी दस दिन का वक्त बचा है, जिसके पहले यह कवायद पूरी कर ली जाएगी. अब नई कवायद से जम्मू-कश्मीर में गठबंधन पर मंडराता खतरा फिलहाल टलता नजर आ रहा है.