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क्या ‘जनता की विशेष मांग’ पर काम करने को तैयार है बीएसएफ?

बीएसएफ द्वारा पाकिस्तानी बंकरों पर कार्रवाई का वीडियो जारी करना सामान्य घटना नहीं है.

Arun Tiwari

बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स के डीजी डीके उपाध्याय ने प्रेस कांफ्रेंस करके पाकिस्तानी बंकरों पर कार्रवाई के वीडियो जारी किए हैं.

डीजी ने कार्यक्रम में बताया कि पाकिस्तान आम लोगों को निशाना बना रहा है लेकिन हम लोग सिर्फ उनके बंकरों को ही निशाना बनाते हैं.


उन्होंने यह भी बताया कि पाकिस्तानी बंकरों में हुए नुकसान का भी अंदाजा नहीं लग पा रहा है, लेकिन यह उम्मीद से ज्यादा है.

बीएसएफ द्वारा ये वीडियो जारी किया जाना पहले पहल तो बहुत सामान्य सा कदम लगता है कि हमारी सेना ने कार्रवाई की और उसका वीडियो जारी कर दिया.

लेकिन ज्यादा दिन नहीं बीते जब विपक्षी नेता सर्जिकल स्ट्राइक का सुबूत मांग रहे थे तो सरकार की तरफ से यह दलील दी गई कि यह सुरक्षा का मसला है. अब एक महीने के भीतर ही ऐसा क्या हो गया कि बीएसएफ ने कार्रवाई का वीडियो जारी कर दिया.

हालांकि बीएसएफ द्वारा जारी किए गए वीडियो में कोई सैनिक नहीं दिखाई दे रहा है. वीडियो में पाकिस्तानी बंकर पर कार्रवाई होती दिखाई जा रही है.

लेकिन वीडियो जारी किए जाने पर एक सवाल किसी भी आम आदमी के दिमाग में आसानी से उठ सकता है कि ऐसा क्यों किया गया.

दरअसल सर्जिकल स्ट्राइक के समय में विपक्षी पार्टियों नें सुबूत मांगकर सरकार को रक्षात्मक कर दिया. कई उच्च स्तरीय बैठकों के बाद यह फैसला किया गया कि सेना की सुरक्षा का ख्याल रखते हुए सुबूत जारी नहीं किए जाएंगे.

पूरे मामले में सरकार को थोड़ा संबल तब मिला जब अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट कर गांव वालों के हवाले से सर्जिकल स्ट्राइक को सही ठहराया.

इसके बाद सीएनएन-न्यूज 18 ने भी एक रिपोर्ट के जरिये इसे सही ठहराया. लेकिन सरकार ने साक्ष्य जारी न करने में ही भलाई समझी. तो अब ऐसा क्या हो गया कि बीएसएफ ने वीडियो जारी किया?

संभव है कि सीमा पर बढ़ते तनाव और सर्जिकल स्ट्राइक के बाद हुए विवाद के मद्देनजर यह कदम बीएसएफ ने उठाया हो.

इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि केंद्र सरकार की तरफ से इस कदम के लिए हरी झंडी दिखाई गई हो.

यह अपने तरह का पहला मामला है जब बीएसएफ ने प्रेस कांफ्रेंस कर वीडियो जारी किया है.

यह कदम समझ से परे इसलिए भी है कि बीएसएफ ने खुद को सच्चा साबित करने की कोशिश कर रही है.

देश में शायद ही कोई हो जिसे अपनी देश की सेनाओं पर भरोसा न हो. तो फिर ऐसा कदम उठाकर लोगों के बीच खुद को सही साबित करना हास्यास्पद भी लगता है.

ये काम सरकार के इशारे पर होने का शक इस वजह से भी होता है क्योंकि सर्जिकल स्ट्राइक से समय फजीहत सरकार की ही हुई थी.

सेना के समर्थन में तो लगभग पूरा देश था. सीमा पर तनाव की बातों पर कोई सवाल खड़े करे उससे पहले ही वीडियो जारी कर सुबूत दे दिया गया.