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बीजेपी को राहुल गांधी से कोई डर नहीं है तो उन्हें नजरअंदाज क्यों नहीं कर देती ?

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मानसरोवर की यात्रा पर हैं. लेकिन, उनकी इस यात्रा पर सियासत खूब हो रही है.

Amitesh

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मानसरोवर यात्रा के बारे में कहा है, ‘इस धार्मिक यात्रा पर वही व्यक्ति जाता है जिसे बुलावा आता है. उन्होंने यह भी कहा कि वह इसका अवसर पाकर बहुत खुश हैं.’ राहुल ने ट्वीट कर कहा, ‘जब बुलावा आता है तभी कोई कैलाश जाता है. मैं इस बात से बहुत खुश हूं कि मुझे यह अवसर मिला और इस सुंदर यात्रा में जो देखूंगा, उसे आप लोगों के साथ साझा कर सकूंगा.’

अपने ट्वीट के कुछ वक्त बाद ही राहुल गांधी ने मानसरोवर की खूबसूरत तस्वीरों को शेयर भी किया और फिर आगे कहा, ‘मानसरोवर का पानी शांत है. वह सिर्फ प्रदान करते हैं फिर भी कुछ नहीं खोते हैं. कोई भी उसे पी सकता है. यहां किसी भी तरह की नफरत नहीं है. यही कारण है कि हम भारत में जल की पूजा करते हैं.’


कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मानसरोवर की यात्रा पर हैं. लेकिन, उनकी इस यात्रा पर सियासत खूब हो रही है. कांग्रेस राहुल की शिवभक्ति को प्रचारित करने में लगी रहती है, तो दूसरी तरफ, बीजेपी उनकी भक्ति की हवा निकालने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती है. मानसरोवर के पानी के शांत होने और वहां नफरत नहीं होने की बात भले ही कांग्रेस अध्यक्ष कर रहे हैं.लेकिन, उनकी यात्रा को लेकर बीजेपी और कांग्रेस दोनों एक-दूसरे पर आंखे तरेरने में ही लगे हैं.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की कैलाश मानसरोवर की यात्रा के वक्त बीजेपी लगातार उनपर हमला कर रही है. यात्रा के दौरान नेपाल के एक रेस्टोरेंट में नॉन वेज खाने को लेकर स्थानीय मीडिया के हवाले से खबर आई थी जिसको बीजेपी ने लपक लिया था. राहुल की शिवभक्ति और हिंदू धर्म को लेकर उनकी आस्था पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करते हुए बीजेपी की तरफ से यह मुद्दा इतना उछाला गया कि इस पर रेस्टोरेंट को सफाई देनी पड़ी. साफ किया गया कि कांग्रेस अध्यक्ष ने शाकाहारी खाना ही मंगाया था.

इसके पहले राहुल गांधी के दिल्ली से रवाना होने के वक्त भी बीजेपी ने राहुल के चीन कनेक्शन को जोर-शोर से उछाला था. बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने आरोप लगाया था कि राहुल गांधी चाहते थे कि चीन के राजदूत उन्हें इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से विदाई दें. पात्रा ने दावा किया कि चीन के राजदूत ने इसके लिए बाकायदा दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के लाउंज के इस्तेमाल करने की इजाजत भी मांगी थी.

कांग्रेस की तरफ से इसे सस्ती राजनीति बताया गया. लेकिन, बीजेपी की तरफ से राहुल गांधी की मानसरोवर यात्रा को लेकर चर्चा शुरू होने के वक्त से ही काफी गरमा गई है. राहुल की यात्रा पर निकलने का वक्त हो या फिर नेपाल के रेस्टोरेंट में खाना खाने का मामला. सवाल बार-बार पूछा जा रहा है. राहुल की शिवभक्ति और उनकी आस्था को सवालों के घेरे में लाया जा रहा है. बीजेपी राहुल की यात्रा और उस बहाने उनकी आस्था को शक के दायरे में लाने की लगातार कोशिश करती है.

लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही मोदी के मुकाबले अपने-आप को सामने लाने की कोशिश में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार कोशिश कर रहे हैं. यह सिलसिला पिछले साल गुजरात विधानसभा चुनाव के वक्त शुरू हुआ था. मंदिर-मंदिर घूम-घूम कर अपनी भक्ति का एहसास कराकर राहुल गांधी की कोशिश पार्टी के उपर लगे अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के उस ठप्पे को धोना था. जनेऊधारी राहुल गांधी की तरफ से की गई इन कोशिशों को सॉफ्ट हिंदुत्व कहा गया.

अब एक बार फिर राहुल गांधी कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर हैं. लेकिन, उनके हर कदम पर बीजेपी की नजर है. बीजेपी उनके हर कदम पर बयान दे रही है. उनकी भक्ति रस में डूबने की कोशिशों की हवा निकालने में लगी हुई है. बीजेपी दिखाना चाह रही है कि महज राजनीतिक संदेश के लिए ही कांग्रेस अध्यक्ष की तरफ से भोला की भक्ति दिखाई जा रही है. उनकी आस्था वैसी नहीं है, जैसी बीजेपी के नेताओं की रही है. अगर ऐसा नहीं होता तो नेपाल में नॉन वेज मामले को इस तरह तूल नहीं दिया जाता. तो सवाल उठता है क्या बीजेपी राहुल गांधी को ज्यादा तूल नहीं दे रही है.

क्या बीजेपी राहुल गांधी को चर्चा के केंद्र में नहीं ला रही है. लेकिन, बीजेपी की रणनीति दिखाती है कि बीजेपी राहुल गांधी की बार-बार चर्चा कर उनके कद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कद के सामने रखना चाह रही है. पार्टी की रणनीति बिल्कुल साफ है कि जितना राहुल गांधी पर हमला होगा और जितनी उनकी चर्चा होगी, मोदी के मुकाबले 2019 के मैदान में राहुल ही रहेंगे. मोदी बनाम राहुल की लड़ाई में बीजेपी को अपना पलड़ा हमेशा की तरह अभी भी भारी दिख रहा है.

हालांकि कहा जा रहा है कि बीजेपी ऐसा कर राहुल गांधी के ही कद को बड़ा कर रही है. बीजेपी ही राहुल को नेता बना रही है. लेकिन, राजनीति में अपने-आप को बड़ा और दूसरों से बेहतर दिखाने के लिए सामने वाले को भला बुरा कहना पड़ता है. बीजेपी इसी रणनीति पर फिलहाल आगे बढ़ रही है.