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अरविंद केजरीवाल की ‘मौन साधना’ का अर्धसत्य क्या है?

केजरीवाल की मौन साधना के पीछे का सच एक रहस्य से कम नहीं है.

Kinshuk Praval

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कई दिनों से शांत नजर आ रहे हैं. उनकी चुप्पी के पीछे कई सवालों के शोर गूंज रहे हैं. वजह ये है कि आखिर दिल्ली सरकार अचानक इतनी खामोशी से कहां बिजी हो गई. केजरी सरकार कभी धरना-प्रदर्शन तो कभी एलजी से टकराव तो कभी केंद्र सरकार से तनातनी को लेकर सुर्खियों में रहती आई. लेकिन अचानक ही केजरीवाल सरकार की चुप्पी सियासत की सुर्खियों में खालीपन सा भर रही है.

सूत्रों के मुताबिक कभी किसी मंत्री की बगावत तो कभी किसी विधायक की हरकत से परेशान आम आदमी पार्टी इन दिनों एक गहरे मंथन में जुटी हुई है. ये मंथन है दिल्ली सरकार के मंत्रियों के विभागों में फेरबदल को लेकर. माना जा रहा है कि केजरी सरकार अब पूरा ध्यान दिल्ली पर केंद्रित कर रही है. दुनिया-जहान की राजनीति से दूर वो दिल्ली को टूरिज्म सेंटर की तरह पेश करना चाहती है.


क्या अब काम पर रहेगा फोकस?

बहुत उम्मीद है कि डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को टूरिज्म डिपार्टमेंट की जिम्मेदारी मिल सकती है. दरअसल सिसोदिया के पास पहले से ही वित्त मंत्रालय है. ऐसे में टूरिज्म डिपार्टमेंट को वित्त मंत्रालय से किसी भी हरी झंडी के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा. टूरिज्म से जुड़ी योजनाओं को केजरीवाल सरकार जल्द से जल्द अमलीजामा भी पहना सकेगी.

सिग्नेचर ब्रिज का मामला अभी भी हवा में ही लटका हुआ प्रोजेक्ट है. सिग्नेचर ब्रिज बनने से भी दिल्ली के टूरिज्म पर काफी असर पड़ सकता है. अगर मनीष सिसोदिया को टूरिज्म विभाग मिला तो वो कई प्रोजेक्ट्स की खुद ही निगरानी भी कर सकेंगे.

लेकिन बड़ा सवाल ये भी है कि डिप्टी सीएम खुद भी कई मंत्रालयों के बोझ से दबे हैं. ऐसे में नए मंत्रालय की जिम्मेदारी के साथ वो न्याय कैसे कर सकेंगे?

रेवेन्यू और रजिस्ट्रार ऑफ को-ऑपरेटिव डिपार्टमेंट भी सिसोदिया के पास हैं. माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल में फेरबदल कर केजरीवाल मनीष सिसोदिया का भार कम कर सकते हैं.

हालांकि राजनीतिज्ञों की नजर में ये पर कतरने जैसा हो सकता है. लेकिन जिस तरह से इस वक्त आम आदमी पार्टी किसी साइलेंट मिशन में जुटी हुई है उससे नहीं लगता है कि फिलहाल भीतर कुछ गड़बड़ जारी है.

फोटो: पीटीआई

मंत्रिमंडल में हो सकते हैं बड़े बदलाव

दूसरी तरफ कुछ नए लोगों की भी जिम्मेदारी बढ़ सकती है. मंत्रिमंडल में फेरबदल को लेकर विधायक से मंत्री बने लोगों की चांदी हो सकती है. इनमें दो नाम सबसे ऊपर हैं. कैलाश गहलोत और राजेंद्र पाल गौतम. सीएम केजरीवाल ने जल मंत्री कपिल मिश्रा को हटाते हुए आप विधायक कैलाश गहलोत और राजेन्द्र पाल गौतम को मंत्री बनाया था. गहलोत को रेवेन्यू डिपार्टमेंट दिया जा सकता है. गहलोत के पास पहले से ही कानून मंत्रालय है. रेवन्यू और कानून मंत्रालय के बीच बेहतर तालमेल के लिए एक ही मंत्री को दोनों विभागों की जिम्मेदारी दी जा रही है.

जबकि रजिस्ट्रार ऑफ को-ऑपरेटिव सोसायटीज (आरसीएस) की जिम्मेदारी मंत्री राजेंद्र पाल गौतम को दी जा सकती है. राजेंद्र पाल के पास पहले से ही जलबोर्ड, ऑर्ट एंड कल्चर समेत कई महत्वपूर्ण मंत्रालय हैं. लेकिन सिसोदिया से विभाग लेकर इन दो लोगों में बांटे जाने की संभावना ज्यादा प्रबल दिखाई दे रही है.

केजरीवाल कैबिनेट में सत्येंद्र जैन के पास 6 विभाग हैं. स्वास्थ्य, घर, बिजली, शहरी विकास, उद्योग और लोकनिर्माण विभाग देख रहे सत्येंद्र जैन के विभागों में कटौती की गुंजाइश नहीं दिख रही. सत्येंद्र जैन वैसे भी केजरीवाल के बेहद करीबियों में शुमार हैं. कपिल मिश्रा के आरोपों ने इस नजदीकी को और बढ़ाने का काम किया है. कपिल मिश्रा ने सत्येंद्र जैन पर करप्शन के गंभीर आरोप लगाए थे. लेकिन उनकी ढाल बनकर केजरीवाल खड़े रहे. हालांकि केजरीवाल पर भी कपिल मिश्रा ने करप्शन के आरोप लगाए. दिलचस्प ये रहा कि दूसरों पर करप्शन का आरोप लगा कर अपनी राजनीति की धार तेज करने वाले केजरीवाल खुद पर लगे आरोपों पर लगातार मौन रहे. उनकी तरफ से मोर्चा उनकी पत्नी ने ट्विटर पर संभाला.

केजरीवाल की पहचान हमेशा दूसरों से इस्तीफा मांगने की रही है. लेकिन अपने ही मंत्री और पुराने साथी के आरोपों को केजरीवाल ने अपने मौन से मात दे दी. तबसे ओढ़ा हुआ मौन आज उनकी नई पहचान बनता जा रहा है. ट्विटर पर भी वह विवादास्पद बयानों की कैटिगरी में अनुपस्थित नजर आ रहे हैं. केजरीवाल की मौन साधना के पीछे का सच एक रहस्य से कम नहीं है. लेकिन अगर दिल्ली सरकार वाकई गंभीरता से दिल्ली के विकास में तल्लीन है तो ये एक सकारात्मक संकेत है.