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राहुल कौन होते हैं भारत की धार्मिक व्यवस्था तय करने वाले: इंद्रेश कुमार

Debobrat Ghose

राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ प्रचारक और पदाधिकारी इंद्रेश कुमार ने कांग्रेस और कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी पर जबरदस्त हमला बोला है. इंद्रेश ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की भी कड़ी आलोचना की है. दरअसल इंद्रेश की नाराजगी कर्नाटक में लिंगायत समुदाय को अलग धर्म के रुप में मान्यता देने के राज्य सरकार के फैसले से है.

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने लिंगायत समुदाय को अलग धर्म के रूप में मान्यता देने की लिंगायतों की मांग को स्वीकार कर लिया है. इसके बाद लिंगायत समुदाय के धर्मगुरुओं के एक समुह ने 7 अप्रैल को अपने समुदाय के लोगों से आनेवाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को समर्थन देने की अपील कर दी. गौरतलब है कि अगले महीने ही कर्नाटक में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं.


कांग्रेस के इस निर्णय से आरएसएस खुश नहीं है. आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार सवाल उठाते हैं कि राहुल गांधी या फिर कांग्रेस ही भारत की धर्म व्यवस्था पर फैसला करने वाले कौन होते हैं? 1970 के देश में मैकेनिकल इंडीनियर की डिग्री प्राप्त करने के बाद भाखड़ा नंगल हाईडल प्रोजेक्ट पर काम करने के बजाए संघ परिवार के साथ जुड़ने का फैसला करने वाले इंद्रेश कुमार कांग्रेस के इस फैसले को विभाजन करने वाली राजनीति करार देते हैं. आरएसएस से जुड़े संगठन मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मार्गदर्शक इंद्रेश कुमार ने इस मुद्दे के अलावा कई अन्य मुद्दों पर भी फ़र्स्टपोस्ट से खुलकर बात की.

इंद्रेश कुमार की फ़र्स्टपोस्ट के साथ बातचीत के संपादित अंश

कर्नाटक में ठीक विधानसभा चुनावों के पूर्व वहां पर शासन कर रही कांग्रेस सरकार के द्वारा लिंगायत समुदाय को एक अलग धर्म के रुप में मान्यता देने के निर्णय को आप किस तरह से देखते हैं?

ये कांग्रेस की विभाजनकारी राजनीति के अलावा कुछ और नहीं है. राजनीति में धर्म को मिला कर हमारे समाज का बंटवारा करने से बड़ा कोई अपराध नहीं है. एक बार लिंगायतों को अलग धर्म का दर्जा मिल गया तो फिर लिंगायतों के अंदर ही अन्य पक्षों के लोग भी ऐसी ही मांग रख देंगे. इसी तरह से हिंदूओं में मुसलमानों में ईसाइयों में और बौद्ध धर्म के अंदर उप संप्रदाय के लोग भी अलग अलग धर्म की मांग लेकर खड़े हो जाएंगे. लिंगायत केवल कर्नाटक में ही नहीं हैं बल्कि काशी विश्वनाथ मंदिर,पशुपतिनाथ मंदिर और अन्य जगहों पर भी पुजारी लिंगायत समुदाय से हैं.

सरकार के इस निर्णय से परेशानियों का पिटारा खुल सकता है. हो सकता है कि कांग्रेस के इस फैसले के बाद कल को कोई और राजनीतिक दल भी किसी धर्म के अंदर आने वाले उप संप्रदायों को अलग धर्म के रुप में मान्यता देने की मांग मान ले, वो भी केवल वोट बैंक की राजनीति करने के लिए. लेकिन सबसे बड़ी बात तो ये है कि राहुल गांधी या फिर सिद्धारमैया ही हमारे देश के धार्मिक व्यवस्था को तय करने वाले होते कौन हैं? ये पहली बार है जब कांग्रेस पार्टी ने इतना नीचे गिर कर वोटरों को बांटने के लिए एक नए धर्म का ही निर्माण कर दिया वो भी केवल चुनाव जीतने के लिए. ये करके कांग्रेस पार्टी ने बड़ा अपराध किया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2022 तक न्यू इंडिया का निर्माण करना चाहते हैं और इसके लिए वो कई जगहों पर अपने विचार भी रख चुके हैं. पीएम मोदी के इस नारे की तरह ही आपने भी कई जगहों पर नए भारत के संबंध में अपने विचार रखे हैं. न्यू इंडिया को लेकर आप क्या सोचते हैं?

हर व्यक्ति का संकल्प और सपना है न्यू इंडिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि नए भारत में हर व्यक्ति को यहां तक कि समाजाकि पायदान में आखिरी पंक्ति में खड़े व्यक्ति को भी न्याय, सुरक्षा, रोटी, रोजगार, शिक्षाऔर स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाएं मिल सके.

उसी तरह से हम भी चाहते हैं कि एक नए भारत का निर्माण हो जहां किसी तरह का भेदभाव किसी के साथ न हो. हमारे देश में 20 करोड़ लोग छोटे रोजगारों से जुड़े हैं. इन छोटे रोजगारों से जुड़े लोगों को कई लोग अच्छी नजरों से नहीं देखते हैं. ऐसा क्यों है कि हम उन्हें और उनके काम को सम्मान क्यों नहीं दे सकते? ये लोग हमारी अर्थव्यवस्था से गहरे रूप से जुड़े हुए हैं और हमारी अर्थव्यवस्था इस पर निर्भर है. हमें अपनी मानसिकता बदलनी होगी.

हमें मजदूर वर्ग के प्रति अपनी सोच को भी बदलना होगा. इसके लिए जरूरी है कि हम समस्याओं पर बात करने के बजाए उसके समाधान खोजने पर जोर दें. 126 करोड़ भारतीयों का सपना है कि भारत विश्व का नेतृत्व करे लेकिन इस उपलब्धि को प्राप्त करने के लिए इसके लिए हमें काम करना होगा. लेकिन इसके लिए जरुरी है कि हम अपने अंदर उच्च नैतिक मूल्यों को समाहित कर आगे की ओर बढ़ें.

आप भारतीय मुसलमानों के बीच प्रचलित तीन तलाक की प्रथा के विरोध में उठने वाली आवाज का पुरजोर समर्थन करते रहे हैं. लेकिन हाल ही में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) की महिला विंग के नेतृत्व में बड़ी संख्या में मुस्लिम औरतों ने ट्रिपल तलाक को प्रतिबंधित किए जाने के विरोध में प्रदर्शन किया. इस पर आप क्या कहना चाहेंगे?

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) एक इस्लाम विरोधी,असंवैधानिक और गैरकानूनी संस्था है. इस बोर्ड को कुरान शरीफ की मान्यता नहीं मिली हुई है. इसका उदय 1975 में भारत में हुआ था और इसका मकसद भारतीय मुसलमानों के बीच कट्टरता फैलाना और उन्हें गुमराह करना था. कुरान शरीफ के मुताबिक तलाक एक पाप के समान है और ऐसा खुद खुदा ने कहा है. कुरान शरीफ में कहीं भी तीन तलाक का जिक्र नहीं किया गया है.

यहां तक कि कुरान शरीफ में जो तलाक के लिए 90 दिन की पूरी प्रक्रिया बताई गई है उसके हिसाब से तलाक लेना तो अपने आप में एक मुश्किल काम है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस मुद्दे पर भारतीय मुसलमानों को गुमराह करने का काम कर रहा है. मुस्लिम लॉ बोर्ड नहीं चाहता है कि मुस्लिम महिलाओं को उनके घरों में सम्मान मिल सके और उनकी बेटियां शादी के बाद अपनी ससुराल में शांति के साथ रह सके. यही वजह है कि ट्रिपल तलाक मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कई सुनवाईयों के बाद केंद्र सरकार को इस संबंध में कानून बनाने को कहा जिससे कि तीन तलाक की प्रथा पर प्रतिबंध लगाया जा सके.

तीन तलाक कुरान शरीफ और खुदा के दूत ‘रसूल’ के खिलाफ है. तीन तलाक एक धर्म से जुड़ी धार्मिक समस्या नहीं है बल्कि ये एक सामाजिक बुराई है. पहले भी सामाजिक बुराईयों के खिलाफ आवाजें उठती रही हैं और उस समय ये जाति या धर्म से जुड़ा हुआ मामला नहीं माना गया.

मैंने खुद मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के माध्यम से हजारों मुस्लिम महिलाओं से बात की है और उन्हें ट्रिपल तलाक के बुराईयों के बारे में जागरूक किया है. मैंने उन्हें समझाने कि कोशिश की है कि क्यों ट्रिपल तलाक खराब है और क्यों उसे देश में प्रतिबंधित किया जाना चाहिए. इसके साथ ही हमने ट्रिपल तलाक से पीड़ित महिलाओं के लिए तीन योजनाएं बनाई हैं.

पहला, उन महिलाओं को गैर सरकारी पेंशन योजना जो कि इस साल से मिलनी शुरू हो जाएगी. ट्रिपल तलाक पीड़ित सौ मुस्लिम महिलाओं को अगले दस सालों तक पेंशन दिया जाएगा. दूसरी मदद के रुप में एक साल में सौ पीड़ित महिलाओं की बेटियों की शादी करने में सहायता की जाएगी और तीसरी मदद योजना के अंतर्गत ट्रिपल तलाक पीड़ित महिलाओं के एक हजार बच्चों को शिक्षा दिलाने में सहायता की जाएगी.

क्या आपको लगता है कि राम मंदिर अंत में राम जन्मभूमि के स्थान पर ही बन सकेगा?

जिस तरह से एक वेटिकन है और कई चर्च हैं. एक मक्का मदीना है और लाखों मस्जिद हैं. ठीक उसी तरह से एक राम जन्मभूमि है और बड़ी संख्या में राम के मंदिर. एक बात तो यह स्पष्ट हो जाना चाहिए कि जिस जगह को विवादास्पद भूमि कहा जा रहा है उस जगह पर कोई मस्जिद नहीं था.

1528 में मुगल शासक बाबर के सेनापति मीर बाकी ने उस स्थान पर मौजूद मंदिर को ध्वस्त करके एक ढांचे का निर्माण किया जिसे इस्लाम में बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता है. किसी भी मस्जिद को किसी के नाम पर नहीं बनाया जाता जैसा कि इस मस्जिद को बनाया गया है. इस मस्जिद को बाबर के नाम पर बनाया गया है क्योंकि उसने अपनी तुलना खुदा से करनी शुरू कर दी थी. इस्लाम में इसे गलत माना जाता है. बाबर ने वही करने की कोशिश की थी जो कि हिंदू महापुराणों में रावण और हिरण्यकश्यप ने की थी.

पिछले एक साल में हजारों मुसलमानों ने राम मंदिर बनाने के पक्ष में बातें करनी शुरु कर दी हैं क्योंकि वो भी भगवार राम को इमाम-ए-हिंद या अवतार के रुप में देखते हैं जो कि उनके 1.24 लाख पैगंबरों में से एक हैं. उनके पूर्वज राम को नबी के रूप में देखते थे. ऐसे में हिंदू और मुसलमानों दोनों को राम जन्मभूमि स्थल पर राम मंदिर के निर्माण के लिए हाथ मिलाना चाहिए. हालांकि इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आखिरी होगा और उसका सम्मान किया जाना चाहिए.

कांग्रेस और विपक्षी दलों की तरफ से हमेशा आरएसएस पर ये आरोप लगाया जाता है कि संघ समाज में वैमनस्यता फैलाता है धर्म के आधार पर सांप्रदायिकता फैलाने की कोशिश करता है.

ये अफवाह और गलतफहमी फैलाने का काम वो लॉबी करती है जो हमारे देश में काम रही है और उसका इसमें कोई निजी स्वार्थ जुड़ा हुआ है. ये सब विदेशी ताकतों के इशारे पर हो रहा है. ऐसा करनेवाले लोग विकृत मानसिकता के हैं और इन्होंने हमारे समाज को केवल बांटने का काम किया है. इन लोगों ने यहां के आम लोगों से विकास को दूर रखा और विदेशी ताकतों से सहानुभूति जता कर यहां के समाज को तोड़ने का काम किया.

संघ एक विचार है, एक आंदोलन है, विचारधारा है. दशकों से संघ पर कीचड़ उछालने और अनर्गल आरोप लगाने के बाद भी आज भी संघ की छवि निष्कलंक और बेदाग बनी हुई है. संघ सूर्य के समान है जो कभी हो सकता है कि बादलों में छिप जाए लेकिन इसकी रोशनी ही इसकी सच्चाई है. उसी तरह से राष्ट्रवाद और राष्ट्रवादी चिंतन संघ का सनातन सत्य है और किसी भी तरह की आलोचना और अपशब्द संघ की छवि को दागदार नहीं बना सकती.