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कौन है दिल्ली का असली बॉस, केजरीवाल या एलजी?, SC का फैसला बुधवार को

दिल्ली की निर्वाचित केजरीवाल सरकार ने हाईकोर्ट के 4 अगस्त 2016 के उस आदेश को चुनौती है, जिसमें उपराज्यपाल को प्रशासनिक प्रमुख बताया गया था

FP Staff

केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में निर्वाचित सरकार या उपराज्यपाल में से शीर्ष पर कौन होगा, इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला बुधवार को आने वाला है. कोर्ट का फैसला सुबह 10.30 बजे आएगा.

दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल के बीच चलने वाली रस्साकशी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 11 याचिकाएं दाखिल हुई थीं. इन याचिकाओं पर सुनवाई पूरी कर शीर्ष अदालत की पंच जजों की संवैधानिक बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.


दिल्ली की निर्वाचित केजरीवाल सरकार ने हाईकोर्ट के 4 अगस्त 2016 के उस आदेश को चुनौती है, जिसमें उपराज्यपाल को प्रशासनिक प्रमुख बताया गया था. इस आदेश में कोर्ट ने कहा था कि वह मंत्रिमंडल की सलाह और मदद के लिए बाध्य नहीं हैं. केजरीवाल सरकार ने अपनी याचिका में दिल्ली की चुनी हुई सरकार और उपराज्यपाल के अधिकार स्पष्ट करने का आग्रह किया है.

कोर्ट ने सुनवाई में कहा था कि दिल्ली की संवैधानिक व्यवस्था प्रथम दृष्टया उप राज्यपाल के पक्ष में झुकी हुई दिखती है. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली के संबंध में संविधान का आक्टिकल 239एए कुछ अलग है. ऐसा लगता है कि अन्य केंद्र शासित प्रदेशों के उलट यहां उप राज्यपाल को ज्यादा शक्तियां प्राप्त हैं.

कोर्ट की टिप्पणियां पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने की थी. इस बेंच में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं.

दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम, पी. चिदंबरम, राजीव धवन, इंदिरा जयसिंह और शेखर नाफड़े ने बहस की थी, जबकि केंद्र सरकार का पक्ष एडिशनल सालिसिटर जनरल मनिंदर सिंह ने रखा था.