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...अगर हुई हार तो क्या होगा अखिलेश यादव का?

यूपी जीतने पर अखिलेश यादव आने वाले दिनों में मोदी विरोधी ध्रुव के केंद्र में आ सकते हैं

Amitesh

यूपी चुनाव के ठीक पहले समाजवादी पार्टी के भीतर मची कलह की चर्चा सबसे ज्यादा रही. लेकिन, इस कलह के बाद सबसे बड़े लड़ैया बनकर उभरे अखिलेश यादव की असली परीक्षा होनी अभी बाकी है. अपने पिता मुलायम सिंह यादव, चाचा शिवपाल यादव और 'बाहरी' अंकल अमर सिंह को ठिकाने लगाने के बाद युवा अखिलेश ने समाजवादी पार्टी पर कब्जा कर लिया.

पार्टी की कमान अपने हाथों में लेकर अखिलेश खुद चुनाव मैदान में कूद गए. लेकिन, अब चुनाव नतीजों पर सबकी नजरें टिक गई हैं. एक जीत और अखिलेश मौजूदा वक्त में यूपी में सबसे बड़े चेहरे के तौर पर स्थापित हो जाएंगे. अखिलेश अगर यूपी में कांग्रेस के साथ मिलकर बहुमत हासिल कर लेते हैं तो भी ये जीत उनकी ही मानी जाएगी, न कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की.


कद को और बड़ा कर देगी

यूपी जैसे बड़े प्रदेश में दोबारा अखिलेश की पार्टी का जीतना इस बात का संदेश होगा कि उनके विकास के दावे और नारे पर यूपी की जनता ने मुहर लगा दी है. अखिलेश की जीत यूपी के बाहर भी उनके कद को और बड़ा कर देगी.

संभव है कि नतीजे अगर अखिलेश के मनमुताबिक आए तो वो देश में एक बड़े नेता के तौर पर खुद को स्थापित कर देंगे. यूपी जीतने पर अखिलेश यादव आने वाले दिनों में मोदी विरोधी ध्रुव के केंद्र में आ सकते हैं.

अखिलेश यादव ने मुलायम सिंह को दरकिनार कर अपने मनमुताबिक यूपी का चुनाव लड़ा (फोटो: पीटीआई)

लेकिन, नतीजों में अगर समाजवादी पार्टी की हार होती है तो उस सूरत में अखिलेश यादव के उपर सवाल खड़े होने लगेंगे. ये सवाल पार्टी के भीतर से भी होंगे और पार्टी से बाहर से भी.

हार के बाद पार्टी के भीतर एक बार फिर से पुराना घमासान शुरु हो सकता है. अखिलेश यादव के नेतृत्व को लेकर चाचा शिवपाल सिंह यादव एक बार फिर से नया मोर्चा खोल सकते हैं. इसको संकेत मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता ने इंटरव्यू देकर कर दिया है.

अंतिम दौर के चुनाव के एक दिन पहले साधना गुप्ता ने मीडिया में अपनी चुप्पी तोड़कर आने वाले तूफान का संकेत दे दिया है.

हार की सूरत में अखिलेश को पार्टी पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ सकता है.