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लालू पर पलटवार के बाद क्या होगा नीतीश का अगला कदम

नीतीश ने पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक 9 जुलाई को बुलाई है...इसे लेकर कयास अभी से लगने शुरू हो गए हैं

Amitesh

दिल्ली से लेकर पटना तक लालू यादव की तरफ से नीतीश को नसीहत दी गई. ऐतिहासिक भूल ना करने को लेकर चेताया भी गया. अब बारी नीतीश की थी. आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव के घर इफ्तार पार्टी में पहुंचे नीतीश ने लालू की हर बात का जवाब दिया. नीतीश का जवाब सख्त था, लेकिन, उनका अंदाज बस वही पुराना.

धीमे-धीमे पत्रकारों के एक-एक सवाल का जवाब दिया और नसीहत लालू को भी मिली और कांग्रेस समेत बाकी विपक्षी दलों को भी.


दरअसल, मीरा कुमार को आगे कर लालू और बाकी विपक्षी दल बिहार की बेटी के नाम पर नीतीश से समर्थन मांग रहे हैं. इस पर नीतीश कुमार का जवाब था कि बेटी का चयन जीतने के लिए करना चाहिए, हारने के लिए नहीं. नीतीश ने याद दिलाई की जब इसके पहले दो बार कांग्रेस सत्ता में थी तो उस वक्त बिहार की बेटी की याद क्यों नहीं आई.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्षी दलों पर ताना मारते हुए कहा कि वो तो हार की रणनीति बना रहे हैं. उन्हें तो जीत की रणनीति बनानी चाहिए. उन्होंने विपक्षी दलों को नसीहत देते हुए कहा कि 2019 की जीत की रणनीति पहले बनाएं, फिर 2022 में अगले राष्ट्रपति चुनाव के वक्त बिहार की बेटी के नाम को आगे करें.

जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार के ऊपर विपक्ष की बैठक से एक दिन पहले ही अलग से बैठक कर रामनाथ कोविंद को समर्थन करने के फैसले से विपक्षी कुनबे में खलबली है. खासतौर से कांग्रेस की तरफ से कहा गया कि उन्होंने ही सबसे पहले विपक्षी एकता की बात की थी. इस पर नीतीश ने कांग्रेस को भी जवाब दिया.

उन्होंने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने जब पटना में उनसे मुलाकात की थी तो उस वक्त भी उन्होंने एनडीए उम्मीदवार के नाम पर चर्चा की बात की थी. लेकिन, उन्होंने साफ-साफ शब्दों में इस पर गौर करने से इनकार कर दिया. तो फिर विपक्ष की बैठक में जाने का क्या मतलब?

सभी विपक्षी दलों को दिया जवाब

तस्वीर: न्यूज़ 18 हिंदी

नीतीश कुमार की एक साथ सभी विपक्षी दलों को जवाब दिया लेकिन, उनके निशाने पर मुख्य रूप से बिहार में सरकार में साझीदार महागठबंधन के दो सहयोगी आरजेडी और कांग्रेस ही थे.

लालू यादव ने दिल्ली से लेकर पटना तक नीतीश कुमार को बिहार की बेटी मीरा कुमार के  नाम पर घेरने की कोशिश की. लालू ने नीतीश के संघमुक्त  भारत के एजेंडे को भी याद दिलाया. इस ऐतिहासिक भूल ना करने की याद दिलाई थी. लेकिन नीतीश पर लगता है लालू की बातों का असर बिल्कुल नहीं हो रहा है.

नीतीश कुमार ने साफ लब्जों में कहा कि अगर हम ऐतिहासिक भूल कर रहे हैं तो करने दीजिए. इस बयान के बाद साफ है कि विपक्षी दलों की तरफ से नीतीश कुमार को बिहार की बेटी और दलित की बेटी के नाम पर घेरने की कोशिश फिलहाल परवान चढ़ती नजर नहीं आ रही है.

नीतीश उल्टे और अपने स्वभाव के मुताबिक अपनी जिद पर और ज्यादा डट गए हैं. उन्हें ना किसी ऐतिहासिक भूल की चिंता और ना ही लालू की नाराजगी का डर सता रहा है. वो भी समझते हैं कि मौजूदा वक्त में तमाम गीदड़भभकी के बावजूद लालू इस हालात में नहीं हैं कि वो किसी तरह से सरकार से अलग होने के बारे में सोच भी सकें.

लिहाजा तमाम बातों को सुनने के बाद लालू के घर से इफ्तार के बाद निकलते ही वहीं पर खूब  खरी-खोटी सुना दी.

लेकिन, मौजूदा हालात के बाद सियासी गलियारों में चर्चा जोरों पर है. नीतीश कुमार ने जेडीयू के प्रदेश के अधिकारियों की दो जुलाई को बैठक बुलाई है, फिर, 9 जुलाई को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति बुलाने का ऐलान भी कर दिया है. ऐसे में इन बैठकों को लेकर अभी से ही कयास लगने शुरू हो गए हैं.

लेकिन, उससे कहीं ज्यादा चर्चा इस बात की हो रही है कि लालू के घर इफ्तार पार्टी में नीतीश और लालू की महज आने-जाने के वक्त की मुलाकात के अलावा कोई बातचीत नहीं हुई.