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बिहार: नीतीश पर हत्या के आरोप का मामला आखिर है क्या?

लालू जिस केस की बात कर रहे हैं वह दरअसल 1991 का मामला है

FP Staff

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कल शाम अचानक अपना इस्तीफा देकर सियासी भूचाल ला दिया. नीतीश ने लालू यादव के पुत्र और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के भ्रष्टाचार के आरोपों का हवाला देकर यह कदम उठाया.

नीतीश के गठबंधन तोड़ने के फैसले से तिलमिलाए लालू यादव ने बुधवार की रात और गुरुवार को प्रेस कांफ्रेंस कर के नीतीश पर जवाबी हमले में उनपर हत्या का केस होने की बात कही. उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार से बड़ा है अत्याचार. लालू ने बताया कि नीतीश कुमार पर दफा 302 के तहत मुकदमा है.


क्या है पूरा मामला

दरअसल यह मामला है 1991 का. नवंबर में लोकसभा चुनाव के दौरान सीताराम सिंह की हत्या हो गई थी. इस हत्याकांड में नीतीश कुमार बतौर अभियुक्त नामजद हैं. यह आरोप ढीबर गांव निवासी अशोक सिंह ने नीतीश कुमार सहित कुछ अन्य लोगों पर लगाया था.

1 सितंबर, 2009 को बाढ़ कोर्ट के तत्कालीन एसीजेएम रंजन कुमार ने इस मामले में नीतीश कुमार पर इस मामले में ट्रायल शुरू करने का आदेश दिया था.

बाद में इस मामले को हाईकोर्ट में स्‍थानांतरित करा दिया गया. इसके बाद जस्टिस सीमा अली खान ने इस मामले में नीतीश पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. लेकिन बाद में मामले पर नए सिरे से सुनवाई शुरू हुई जो अभी भी चल रही है.

'नीतीश ने चलाई गोली'

सीताराम सिंह हत्या मामले के एक गवाह अशोक सिंह ने कहा था कि बाढ़ संसदीय उपचुनाव के दौरान वो सीताराम सिंह सहित अन्य लोगों के साथ मतदान करने गए थे तभी वहां नीतीश कुमार दुलारचंद यादव के साथ पहुंचे और उन्हें वोट देने से मना किया.

अशोक सिंह ने कहा था कि नीतीश कुमार के साथ हथियारों से लैस होकर तत्कालीन मोकामा विधायक दिलीप सिंह और दुलारचंद यादव मौजूद थे. जब सीताराम ने बात नहीं मानी तो नीतीश ने राइफल से गोली चला दी, जिससे उनकी घटनास्थल पर ही मौत हो गई.