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सोनोवाल का ममता पर तंज, NRC पर 'भड़काऊ' टिप्पणियां किसी सीएम के लिए सही नहीं

असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के बयान भड़काऊ और विभाजनकारी हैं और उनके अपने राज्य के वोट बैंक के लिए है. यह मुख्यमंत्री के लिए उचित नहीं है

Bhasha

असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने रविवार को कहा कि एनआरसी पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ‘भड़काऊ’ टिप्पणी किसी वरिष्ठ नेता के लिए उचित नहीं है और उनकी सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुरूप प्रक्रिया पूरी करने के लिए प्रतिबद्ध है.

सोनोवाल ने आरोप लगाया कि बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने एनआरसी पर ‘दुष्प्रचार’ कर और ‘गलत सूचनाएं’ दे कर संसद की कार्यवाही बाधित की है और संसद का बहुमूल्य वक्त बर्बाद किया है.


उन्होंने कहा, ‘निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से तैयार किए गए एनआरसी के मसौदे के प्रकाशन के बाद असम में कानून और व्यवस्था से जुड़ी एक भी घटना नहीं हुई.’

मुख्यमंत्री ने गुवाहाटी से एजेंसी को दिए गए साक्षात्कार में आरोप लगाया, ‘पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के बयान भड़काऊ और विभाजनकारी हैं और उनके अपने राज्य के वोट बैंक के लिए है. यह मुख्यमंत्री के लिए उचित नहीं है.’

ममता ने जताई थी गृहयुद्ध और खूनखराबे की आशंका

उल्लेखनीय है कि ममता बनर्जी ने आरोप लगाया था कि असम में एनआरसी की कवायद लोगों को विभाजित करने की ‘राजनीतिक मंशा’ के तहत की गई है. इससे देश में गृह युद्ध छिड़ सकता है और खूनखराबा भी हो सकता है.

उन्होंने कहा कि देश में और विदेश में एनआरसी पर अफवाहें फैलाई गईं लेकिन वह असम की जनता के प्रति आभारी हैं खासतौर पर बराक घाटी और बंगालियों के प्रति जो बाहरी ताकतों की बुरी योजना के शिकार नहीं बने जिन्होंने संकीर्ण राजनीतिक लाभ के लिए लोगों को उकसाने का प्रयास किया.

उन्होंने एनआरसी के मसौदे के प्रकाशन का श्रेय लेने के लिए कांग्रेस पर भी भड़ास निकाली.

सोनोवाल ने कहा, ‘राज्य की कांग्रेस सरकार 2010 में लॉन्च एनआरसी की प्रायोगिक परियोजना कानून और व्यवस्था की समस्या के कारण पूरी करने तक में विफल रही है. यह हमारी सरकार है जिसने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत पहल की और दो साल में प्रक्रिया पूरी की.’

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के तौर पर वह सुनिश्चित करेंगे कि एनआरसी के अंतिम मसौदे में एक भी भारतीय छूटने नहीं पाए.

सोनोवाल ने पश्चिम बंगाल के साथ असम के संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि सदियों से दोनों राज्यों के बीच सौहार्द्रपूर्ण संबंध हैं और आशुतोष मुखर्जी जैसे विद्वानों ने 20वीं सदी की शुरूआत में कलकत्ता विश्वविद्यालय में असमिया भाषा शामिल करने में सहायता की.

उन्होंने कहा, ‘इसलिए ऐसे राज्य, जिसकी संस्कृति और पंरपरा की जड़ें बेहद गहरी हैं, की मुख्यमंत्री होने के नाते ममता बनर्जी को इस प्रकार के निराधार बयान नहीं देने चाहिए जिनमें सांप्रदायिक रंग हैं और जिनका मकसद असम और बंगाल के बीच प्रगाढ़ संबंध को बिगाड़ना है.’

उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार एनआरसी को अपडेट करने के काम को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए भारत के रजिस्ट्रार जनरल और एनआरसी अधिकारियों का शुक्रिया अदा किया.