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बीजेपी का पश्चिम बंगाल बंद: लोकसभा चुनाव से पहले और गर्माएगा बंगाल !

पश्चिम बंगाल में बीजेपी की तरफ से बुलाए गए बंद के दौरान कुछ जगहों पर हिंसा की भी खबरें आई हैं.

Amitesh

पश्चिम बंगाल में बीजेपी की तरफ से बुलाए गए बंद के दौरान कुछ जगहों पर हिंसा की भी खबरें आई हैं. बीजेपी कार्यकर्ताओं ने कुछ जगह पर सरकारी बसों में तोड़-फोड़ भी की हैं, तो कुछ जगहों पर ट्रेनें भी रोकी गई हैं. बीजेपी कार्यकर्ता काफी नाराज हैं. उनकी नाराजगी सड़कों पर उतर रही है.

दरअसल, 20 सितंबर को शिक्षकों की बहाली के मुद्दे को लेकर प्रदर्शन के दौरान पुलिस के साथ झड़प में दो छात्रों की मौत हौ गई थी. यह मामला पश्चिम बंगाल के उत्तरी दिनाजपुर जिले के इस्लामपुर इलाके का है, जहां दारीभीत गांव में आईटीआई के छात्र राजेश सरकार और तृतीय वर्ष के कॉलेज छात्र तपस बर्मन की पुलिस फायरिंग में मौत हो गई थी. इसी के विरोध में बीजेपी ने पश्चिम बंगाल बंद का आह्वान किया है.


उर्दू शिक्षकों की बहाली पर नाराजगी

प्रदर्शन कर रहे छात्रों की मांग थी कि उर्दू शिक्षकों की जरूरत के बजाए उन्हें विज्ञान और बांग्ला समेत दूसरे विषय के शिक्षकों की जरूरत है. लेकिन, सरकार की तरफ से दो उर्दू शिक्षकों की बहाली कर दी गई थी, जिस पर बवाल मच गया है. बीजेपी की तरफ से पश्चिम बंगाल में मुस्लिम तुष्टीकरण का आरोप पहले से ही लगाया जा रहा है. अब इस मुद्दे पर बीजेपी काफी आक्रामक हो गई है.

बीजेपी महासचिव और पश्चिम बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने ममता बनर्जी सरकार और उनकी पार्टी के लोगों पर गुंडागर्दी करने का आरोप लगाया है. फ़र्स्टपोस्ट के साथ बातचीत में उन्होंने दावा किया, ‘टीएमसी और पश्चिम बंगाल की ममता सरकार की तरफ से की गई ज्यादती के बावजूद बंद सफल है. कैलाश विजयवर्गीय ने पुलिस और टीएमसी कार्यकर्ताओं पर बंद के दौरान गुंडागर्दी करने का आरोप लगाया है. उनका कहना है, इन सबके बावजूद पश्चिम बंगाल की जनता बीजेपी के साथ है, जिसके चलते बंद काफी सफल हुआ है.’

टीएमसी ने बीजेपी के बंद का किया विरोध

दूसरी तरफ टीएमसी के कार्यकर्ता भी पश्चिम बंगाल में सड़कों पर उतरकर बंद को असफल करने की कोशिश कर रहे हैं. सरकारी विभाग में छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं और निजी शिक्षण संस्थानों से भी काम करते रहने का आग्रह किया गया है. टीएमसी नहीं चाहती कि बंद सफल हो. हालांकि कांग्रेस और लेफ्ट ने भी दो छात्रों की मौत पर अपनी नाखुशी का इजहार किया है, लेकिन, उनकी तरफ से बीजेपी के बंगाल बंद का साथ नहीं दिया गया है.

पश्चिम बंगाल बंद के दौरान सभी पार्टियों के रूख से ही राज्य के राजनीतिक समीकरण का पता चल रहा है. इस वक्त लड़ाई सीधे टीएमसी बनाम बीजेपी की हो गई है. पंचायत चुनाव में भी बीजेपी ने जिस तरह सफलता पाई उसके बाद अब टीएमसी के खिलाफ बीजेपी मुख्य विपक्षी दल के तौर पर उभरकर सामने आई है.

ममता बनर्जी की नीतियों के खिलाफ बीजेपी ने मोर्चा खोला है. पिछले लोकसभा चुनाव के बाद से ही बीजेपी की तरफ से पश्चिम बंगाल में अपनी जड़ें जमाने की कोशिश चल रही हैं. पार्टी सरकार पर काफी आक्रामक अंदाज में हमला बोल रही है.

बीजेपी का तुष्टीकरण का आरोप

बीजेपी की लोकप्रियता और जनाधार में बढ़ोतरी के चलते जमीनी स्तर पर टीएमसी और बीजेपी कार्यकर्ताओं में टकराव की नौबत आ रही है. बीजेपी की तरफ से मुस्लिम तुष्टीकरण करने का आरोप ममता बनर्जी सरकार पर लगाया जाता है. अब विज्ञान की जगह उर्दू शिक्षकों की बहाली ने बीजेपी को ममता सरकार पर तुष्टीकरण की राजनीति का आरोप लगाने का एक और मौका दे दिया है.

पश्चिम बंगाल में कई जगहों पर हो रही टीएमसी और बीजेपी के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प से साफ है कि राज्य में बीजेपी के बढ़ते जनाधार से टीएमसी के भीतर खलबली है. यही वजह है कि कभी संघ नेताओं के कार्यक्रम तो कभी बीजेपी नेताओं के कार्यक्रम की अनुमति देने में भी प्रशासन की तरफ से आनाकानी कर दी जाती है.

इसके बावजूद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह लगातार पश्चिम बंगाल की यात्रा पर जाते रहे हैं. बूथ लेवेल कार्यकर्ताओं से लेकर सोशल मीडिया तक के कार्यकर्ताओं को भी ट्रेनिंग दी जा रही है. खुद बीजेपी अध्यक्ष इस तरह के सम्मेलन को संबोधित करते हैं. पश्चिम बंगाल में पुरुलिया और कोलकाता की रैली भी बेहद सफल रही थी, जिसके बाद उत्साहित होकर बीजेपी ने पश्चिम बंगाल पर अपना ध्यान और केंद्रित कर दिया है.

संघ-बीजेपी का बंगाल ‘प्लान’

उधर, संघ की तरफ से भी पश्चिम बंगाल में एनआरसी लागू करने को लेकर मुहिम की शुरुआत की जा रही है. कोशिश यही है कि संघ की तरफ से शुरू की गई इस मुहिम का फायदा बीजेपी को मिले. बीजेपी ने भी असम के बाद देश भर में एनआरसी को लेकर मुहिम चलाने की बात कही है. संघ और बीजेपी को लगता है कि इस मुद्दे पर टीएमसी जितना विरोध करेगी उसका सियासी ध्रुवीकरण और फायदा उसे ही होगा.

दरअसल, बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में अपने लिए मिशन 22 + का लक्ष्य तय किया है. ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी किसी भी मुद्दे पर ममता बनर्जी सरकार को छोड़ने के मूड में नहीं दिख रही. उत्तरी दिनाजपुर की घटना में छात्रों की मौत पर राज्यव्यापी बंद का आह्वान कर बीजेपी ने टीएमसी को परेशानी में डाल दिया है. लेकिन, तिलमिलाई टीएमसी के तेवर से साफ है कि लोकसभा चुनाव तक दोनों दलों के बीच लड़ाई और तल्ख होने वाली है.