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बिहार में लालू की खोलेंगे पोल: नित्यानंद

नित्यानंद राय को लालू-नीतीश के पिछड़ा गठबंधन की काट के तौर पर देखा जा रहा है.

Amitesh

बिहार बीजेपी अध्यक्ष के रूप में उजियारपुर से सांसद नित्यानंद राय की नियुक्ति को लालू-नीतीश के पिछड़ा गठबंधन की काट के तौर पर देखा जा रहा है. पार्टी के भीतर विधानसभा चुनाव में हार के बाद से ही इस बात को लेकर आवाज उठ रही थी कि पिछड़े तबके ने पार्टी का साथ नहीं दिया. इसके बाद पिछड़े समुदाय से आने वाले एक प्रभावशाली नेता की तलाश थी. नित्यानंद राय को बिहार बीजेपी की कमान सौंपने के पीछे बीजेपी की यह भी रणनीति रही है कि युवा वोटरों को साथ लाया जाए.

यादव जाति से आने वाले नित्यानंद राय ने अध्यक्ष पद पर अपनी नियुक्ति के बाद फ़र्स्टपोस्ट हिंदी से खुलकर अपनी बात की. नित्यानंद राय ने लालू पर हमला बोलते हुए कहा कि लालू यादव ने अबतक बिहार के लोगों के लिए कुछ नहीं किया है. यहां तक की यादव समाज के लिए भी कुछ नहीं किया.


फ़र्स्टपोस्ट- बिहार बीजेपी के अध्यक्ष के रूप में आपकी नियुक्ति हुई है. आपके लिए यह कितनी बड़ी जिम्मेदारी और चुनौती है?

नित्यानंद राय- मैं मानता हूं कि यह बड़ी चुनौती है. इस समय बिहार की कानून व्यवस्था काफी खराब है. बिहार में कानून का राज नहीं रह गया है. विधि-व्यवस्था चरमरा गई है. बिहार के लोगों को हर तरह से परेशानी हो रही है. इससे निपटना सबसे बड़ी चुनौती है. बिहार 10 साल पहले वाली स्थिति में पहुंच गया है.

फ़र्स्टपोस्ट- लोकसभा चुनाव के वक्त बीजेपी का प्रदर्शन बेहतर रहा था. लेकिन, विधानसभा चुनाव में लालू-नीतीश ने जिस तरीके से सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला अपनाया उससे बीजेपी का विधानसभा चुनाव में सफाया हो गया. आप कैसे निपटेंगे लालू-नीतीश के इस सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले से?

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

नित्यानंद राय- हमलोग सबका साथ, सबका विकास के नाम पर चलने वाले लोग हैं. यह महज एक संयोग है कि बिहार में महागठबंधन की सरकार बन गई. अब बिहार के लोग समझ गए हैं कि बिहार किस दिशा में जा रहा है. इसके लिए जिम्मेदार लालू जी और नीतीश जी हैं. आज के दिन हम दावे के साथ कह सकते हैं कि बिहार में एनडीए की सरकार बनेगी. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रधानमंत्री जी जो काम गरीबों के लिए कर रहे हैं, बिहार सरकार केन्द्र की उन योजनाओं का पालन नहीं कर रही है. केन्द्र की योजनाओं को लेकर हम जनता के बीच जाएंगे. सबको बताएंगे. एक-एक योजना बिहार के अधिकारियों से लागू करवा कर रहेंगे.

हमारे पास अगड़ा, पिछड़ा, दलित, महादलित सभी प्रकार का नेतृत्व है. पार्टी में हर समाज और हर वर्ग के लोग हैं.

फ़र्स्टपोस्ट- विधानसभा चुनाव में हार के बाद आपकी पार्टी के कई नेताओं ने सवाल भी खड़ा किया था कि पिछड़ी जाति का नेता नहीं होने के कारण बीजेपी की हार हुई. आप खुद पिछड़ी जाति से हैं, क्या लगता है कि आपके बनने के बाद यह कमी पूरी हो पाएगी?

नित्यानंद राय- हमारे पास अगड़ा, पिछड़ा, दलित, महादलित सभी प्रकार का नेतृत्व है. पार्टी में हर समाज और हर वर्ग के लोग हैं. बिहार विधानसभा चुनाव का हारना महज एक संयोग कहिए या दुर्भाग्य कहिए. लेकिन, आज बिहार समझ गया है. अगर फिर से चुनाव हो तो बिहार में एनडीए की सरकार बनेगी.

बिहार विधानसभा पर प्रदर्शन करते बीजेपी विधायक

बीजेपी जाति की राजनीति में विश्वास नहीं करती है. मुझे किसी के विकल्प के रूप में नहीं, बल्कि एक कार्यकर्ता के रूप में लाया गया है. मुझ पर पार्टी का विश्वास है, इसलिए यह जिम्मेदारी दी गई है.

फ़र्स्टपोस्ट- आप भी लालू यादव की जाति से आते हैं. कहा जा रहा है कि आपके हाथों में प्रदेश की कमान सौंप कर बीजेपी लालू यादव के विकल्प के रूप में आपको खड़ा करना चाहती है. खास तौर से लोकसभा चुनाव के वक्त बीजेपी के साथ खड़ा युवा यादव वोटरों ने विधानसभा चुनाव में आपका साथ छोड़ दिया था. क्या उन्हें वापस लाने की तैयारी आपके माध्यम से हो रही है?

नित्यानंद राय- बीजेपी जाति की राजनीति में विश्वास नहीं करती है. मुझे किसी के विकल्प के रूप में नहीं, बल्कि एक कार्यकर्ता के रूप में लाया गया है. मुझ पर पार्टी का विश्वास है, इसलिए यह जिम्मेदारी दी गई है. लालू जी ने ना ही बिहार के लिए कुछ किया है, ना ही पिछड़ों के लिए. ना दलितों के लिए और ना यादवों के लिए. लालू यादव का पोल हम खोलेंगे. जहां तक बीजेपी का सवाल है, बीजेपी के साथ हर जाति के लोग हैं, चाहे यादव हों या दूसरी पिछड़ी जातियों के लोग या किसी भी धर्म को मानने वाले हों. हम पार्टी अध्यक्ष के रूप में सबको साथ लेकर चलेंगे, सबके लिए काम करेंगे.

फ़र्स्टपोस्ट- पार्टी में सबको साथ लेकर कैसे चलेंगे? पार्टी में इतने गुट हैं कि किसी की आपस में पटती नहीं है. क्या पार्टी में गुटबाजी नहीं है?

नित्यानंद राय- विपक्ष के लोगों को कोई मुद्दा नहीं मिलता है तो कहते हैं कि पार्टी में गुटबाजी है. मैं केन्द्र से लेकर प्रदेश के स्तर तक बीजेपी के कार्यकर्ताओं और नेताओं को साथ लेकर पार्टी को आगे मजबूत करूंगा.

फ़र्स्टपोस्ट- नीतीश कुमार नोटबंदी पर मोदी के साथ हैं. इसे कैसे देखते हैं, क्या भविष्य में कोई संभावना बन सकती है?

नित्यानंद राय- यह केन्द्रीय नेतृत्व के अधिकार क्षेत्र में है. हमारे अधिकार क्षेत्र में यह नहीं है. लालू-नीतीश का गठबंधन मजबूरी का गठबंधन है. विचार और मन का गठबंधन नहीं है. आज नीतीश जी और लालू जी दोनों इस बात को समझ रहे हैं. साथ ही, बिहार के लोग भी इस बात को समझते हैं. नोटबंदी पर नीतीश जी का समर्थन चाहे बिहार के लोगों की मनोभावना को देख कर हुआ हो या जो भी वजह रही हो, उनके नोटबंदी पर रूख का हम समर्थन करते हैं.

फ़र्स्टपोस्ट-संकेतों का सियासत में काफी महत्व होता है, ऐसे में अगर बिहार में गठबंधन टूटता है, तो क्या नीतीश जी एक बार फिर से बीजेपी के साथ आ सकते हैं. क्या आप ऐसा चाहेंगे?

नित्यानंद राय- संभावनाओं पर कुछ नहीं बोलेंगे. यह सारे विषय पार्टी आलाकमान के अधिकार क्षेत्र में आता है.