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उपराष्ट्रपति चुनाव 2017 : क्या फिर कोई चौंकाने वाला नाम सामने आएगा ?

क्या राष्ट्रपति प्रत्याशी की तरह बीजेपी फिर कोई चौंकाने वाला नाम लेकर सामने आएगी?

Amitesh

उपराष्ट्रपति चुनाव 2017 का बिगुल बज गया है. मौजूदा उपराष्ट्रपति का कार्यकाल 10 अगस्त को खत्म हो रहा है. उसके पहले 5 अगस्त को उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव करा लिया जाएगा. मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने चुनाव तारीख का ऐलान करते हुए कहा कि अधिसूचना 4 जुलाई को हो जाएगी जबकि 18 जुलाई तक नामांकन दाखिल किया जा सकेगा.

उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी पिछले दस साल से लगातार दो बार उपराष्ट्रपति बने हैं. लेकिन, अब उनकी जगह कौन उपराष्ट्रपति बनेगा इसको लेकर सरगर्मी शुरू हो गई है. आंकड़ों के हिसाब से देखें तो एनडीए का उपराष्ट्रपति बनना तय माना जा रहा है. उपराष्ट्रपति के चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सांसद ही वोट डालते हैं लिहाजा एनडीए का आंकडा विपक्ष पर भारी पड़ने वाला है.


दरअसल, उपराष्ट्रपति राज्यसभा का सभापति होता है. उसके ऊपर सदन की कार्यवाही चलाने की भी जिम्मेदारी होती है. लिहाजा रणनीति उसी हिसाब से बनाई जा रही है.

राज्यसभा के भीतर अभी भी बीजेपी और उसके सहयोगी दलों की ताकत ज्यादा नहीं है. राज्यसभा के भीतर सरकार अभी भी विपक्ष की तुलना में संख्या बल में काफी पीछे है.

फिलहाल बीजेपी के अपने 56 राज्यसभा सांसद हैं और सहयोगी दलों के साथ ये आंकड़ा 77 होता है. जबकि, कांग्रेस के पास 59 सांसद हैं और सहयोगी दलों के साथ ये आंकड़ा 84 तक पहुंचता है. एसपी और बीएसपी समेत कई क्षेत्रीय दलों के पास फिलहाल 82 राज्यसभा सांसद हैं.

बीजेपी को लग रहा है कि किसी भी कीमत पर 2022 के पहले राज्यसभा में एनडीए के पास बहुमत संभव नहीं है.

सरकार के सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी और एनडीए की तरफ से इसी रणनीति पर विचार किया जा रहा है कि एक ऐसे व्यक्ति को उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर सामने लाया जाए जो ऊपरी सदन की कार्यवाही को ठीक ढंग से संचालित कर सके. साथ ही विपक्षी दलों को साध भी सके.

मौजूदा हालात में उपराष्ट्रपति पद के दावेदार के तौर पर भी कई नामों पर चर्चा शुरू हो गई है. चर्चा इस बात पर हो रही है कि अब दलित समुदाय से राष्ट्रपति बनाने के बाद सत्ता पक्ष उपराष्ट्रपति पद के लिए किसी गैर दलित समुदाय के नेता का चुनाव करेगा.

आनंदी बेन का भी चल रहा है नाम

उपराष्ट्रपति पद पर जिन नामों पर फिलहाल चर्चा हो रही है उनमें गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल का नाम लिया जा रहा है. आनंदी बेन पटेल के जरिए बीजेपी गुजरात के पटेल समुदाय को साध सकती है जो हार्दिक पटेल के आंदोलन के बाद उनसे कुछ हद तक दूर हो गया है. गुजरात विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उनके नाम पर बीजेपी दांव लगा सकती है.

इसके अलावा मणिपुर की गवर्नर नजमा हेप्तुल्लाह के नाम की भी चर्चा हो रही है. नजमा हेप्तुल्लाह पहले भी राज्यसभा की उपसभापति रह चुकी हैं. ऐसे में उन्हें सदन की कर्यवाही चलाने का अनुभव भी है. बीजेपी पहले से ही ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर मुस्लिम महिलाओं को अपने पाले में लाने में लगी हुई है.

दावा किया जा रहा था कि यूपी विधानसभा चुनाव में मुस्लिम महिलाओं ने इस मुद्दे पर बीजेपी का साथ भी दिया था. ऐसे में नजमा हेप्तुल्लाह को उपराष्ट्रपति पद पर बैठाकर बीजेपी सियासी दांव चल सकती है.

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी उपराष्ट्रपति की दौड़ में बताई जा रही हैं. बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, सुषमा स्वराज की साफ-सुथरी छवि और विपक्षी दलों को भी साथ लेकर चल सकने की क्षमता उनके पक्ष में जाती है.

खासतौर से प्रधानमंत्री मोदी की तरफ से अमेरिका में भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित करते हुए जमकर तारीफ करने के बाद से ही ऐसे कयास लगने शुरू हो गए हैं. प्रधानमंत्री ने विदेश मंत्री के तौर पर उनके काम की खूब सराहना की थी.

आनंदी बेन पटेल, नजमा हेप्तुल्लाह या फिर सुषमा स्वराज में से किसी एक को उपराष्ट्रपति बनाकर बीजेपी महिला कार्ड खेल सकती है.

वैंकैया के नाम पर भी चल रही है चर्चा

हालांकि, इसके अलावा केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू से लेकर बीजेपी के बिहार से सांसद हुकुमदेव नारायण यादव और करिया मुंडा का भी नाम चर्चा में है.

वेंकैया नायडू फिलहाल केंद्र सरकार में सूचना-प्रसारण मंत्री और शहरी विकास मंत्री के तौर पर काम कर रहे हैं. दक्षिण भारत से आने वाले वेंकैया नायडू उप राष्ट्रपति के उम्मीदवार हो सकते हैं.

बात अगर हुकुमदेव नारायण यादव की करें तो वो बीजेपी के बिहार के मधुबनी से सांसद हैं. लेकिन, वो समाजवादी पृष्ठभूमि से आते हैं. पहले वो लोकदल, जनता पार्टी और जनता दल में भी रह चुके हैं. फिलहाल बीजेपी के साथ रहे हुकुमदेव नारायण यादव को उपराष्ट्रपति बनाकर बीजेपी पिछड़ा कार्ड खेल सकती है जिसका बिहार से लेकर यूपी तक आने वाले दिनों में फायदा हो सकता है.

बीजेपी ने दलित समुदाय से आने वाले रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर आगे बढ़ाया है. ऐसे में अब संभावना इस बात की जताई जा रही है कि बीजेपी अब दलित राष्ट्रपति के बाद आदिवासी उपराष्ट्रपति का दांव खेल सकती है.

बीजेपी अगर इस रणनीति पर काम करती है तो फिर झारखंड के खूंटी से लोकसभा सांसद करिया मुंडा का नाम सामने आ सकता है. करिया मुंडा इस सीट से आठ बार से सांसद हैं. इसके पहले यूपीए-2 के वक्त पिछले लोकसभा में करिया मुंडा लोकसभा उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं.

हालाकि, इस कड़ी में पहले केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत का भी नाम लिया जा रहा था. लेकिन, अब रामनाथ कोविंद के राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने के बाद दलित समुदाय से आने वाले थावरचंद गहलोत का नाम फिलहाल ठंढे बस्ते में चला गया है.