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नोटबंदी पर कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट 'लीक' कर सियासी फायदा उठा रही है कांंग्रेस?

स्थायी समिति के अंदर की बात बाहर कर वीरप्पा मोइली ने जो बवाल मचाया है उसका असर संसद के भीतर और बाहर भी दिखेगा

Amitesh

वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली वित्त मंत्रालय की संसद की स्थायी समिति की बैठक से दो दिन पहले जो खबर आई, उसने कृषि और किसानों के हालात को लेकर सियासी हलचल मचा दी है. मौका चुनाव का है, लिहाजा नोटबंदी की मार से किसानों की बदहाली के मुद्दे को उजागर करने से बीजेपी को झटका लग सकता है. कांग्रेस तो पहले से ही नोटबंदी के चलते किसानों को हुई परेशानी का मुद्दा उठाती रही है.

वित्त मंत्रालय की संसद की स्थायी समिति की बैठक में कृषि मंत्रालय ने इस बात को स्वीकार किया है कि कैश की कमी के चलते किसानों की रबी फसलों की बुआई के वक्त खाद और बीज खरीदने में परेशानी का सामना करना पड़ा. मंत्रालय ने माना है कि नोटबंदी का लाखों किसानों पर बुरा असर हुआ. कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, नवंबर 2016 में नोटबंदी के बाद राष्ट्रीय बीज निगम से भी एक लाख 38 हजार क्विंटल गेहूं के बीज नहीं बिक पाए थे.


वीरप्पा मोइली संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष हैं. उनकी तरफ से ट्वीट के जरिए भी इन बातों को सामने लाया गया.

हालांकि, इस मुद्दे पर कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने सफाई देते हुए इसका खंडन भी किया है.

कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने ट्वीट कर वीरप्पा मोइली की बातों का जवाब दिया है. राधामोहन सिंह ने कहा है कि जब नोटबंदी हुई थी उस वक्त तक अधिकतर बीजों का वितरण हो चुका था. इसके बाद भी सरकार की तरफ से 500 और 1000 के पुराने नोटों से भी बीज को खरीदने की इजाजत दी जा चुकी थी. इससे किसानों को काफी राहत मिली थी.

राधामोहन सिंह का दावा है कि 2015-16 के मुकाबले 2016-17 में यानी नोटबंदी के वक्त रबी फसलों की बुआई के लिए बीज का पहले से कहीं ज्यादा वितरण रहा. कृषि मंत्री का कहना है कि 348.58 लाख टन रहा जो कि 2015-16 में 304.04 लाख टन से ज्यादा था. ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि नोटबंदी का रबी की फसल पर कोई बुरा असर पड़ा.

संसद की वित्त मामलों की स्थायी समति के सदस्य पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी हैं. लेकिन, कांग्रेस सांसद वीरप्पा मोइली इस समिति के अध्यक्ष हैं. दरअसल, संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट को संसद के पटल पर रखा जाता है. उस रिपोर्ट की गोपनीयता बरकरार रखी जाती है. लेकिन, समिति के अध्यक्ष की तरफ से ही वक्त से पहले कृषि मंत्रालय की तरफ से कही गई बातों को सामने रख देना कई सवाल खड़ा करता है.

इस वक्त मध्यप्रदेश और राजस्थान समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. मध्यप्रदेश, राजस्थान में बीजेपी का सीधा मुकाबला कांग्रेस से हो रहा है. कांग्रेस की तरफ से नोटबंदी के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया जा रहा है. यहां तक कि मोदी सरकार और प्रदेश की बीजेपी की सरकारों पर विपक्षी दल कांग्रेस ने किसानों के लिए कुछ खास नहीं करने का आरोप लगाया है.

मध्यप्रदेश में किसान आंदोलन काफी उग्र भी हुआ था, जिसमें पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा था. किसानों की उस वक्त की नाराजगी का फायदा उठाने के लिए कांग्रेस की कोशिश जारी है. ऐसे में संसद की स्थायी समिति के सामने कृषि मंत्रालय की तरफ से नोटबंदी के चलते किसानों को हुई परेशानी को स्वीकार करने और इस खबर के सार्वजनिक हो जाने के बाद बीजेपी के लिए जवाब देना मुश्किल हो सकता है.

कांग्रेस सांसद और स्थायी समिति के अध्यक्ष वीरप्पा मोइली का ट्वीट कर इसको सार्वजनिक करना कांग्रेस की चुनावी लाभ लेने की रणनीति को ही दिखाता है.

बीजेपी की तरफ से इस मुद्दे पर अब वीरप्पा मोइली को घेरने की तैयारी हो रही है. वित्त मंत्रालय की संसद की स्थायी समिति के सदस्य और बीजेपी सांसद निशिकांत दूबे ने इस मुद्दे पर लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन को पत्र लिखकर वीरप्पा मोइली के खिलाफ प्रिविलेज नोटिस दिया है.

निशिकांत दूबे की चिट्ठी.

निशिकांत दूबे की चिट्ठी.

नोटबंदी के मुद्दे को कांग्रेस लोकसभा चुनाव तक जिंदा रखना चाहती है. मोइली का ट्वीट इसी रणनीति को दिखाता है. लेकिन, स्थायी समिति के अंदर की बात बाहर कर वीरप्पा मोइली ने जो बवाल मचाया है उसका असर संसद के भीतर और बाहर भी दिखेगा.