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वाघेला का झमेला : कांग्रेस के लिए ‘बापू’ तू हानिकारक है!

वाघेला ने कहा - विनाश काले विपरित बुद्धि लेकिन 'बापू' रिटायर होने वाला नहीं है.

Kinshuk Praval

गुजरात में विपरीत परिस्थितियों में कांग्रेस का झंडा बुलंद करने वाले वरिष्ठ नेता शंकर सिंह वाघेला ने कांग्रेस छोड़ दी है. अपने जन्मदिन के मौके पर उन्होंने कांग्रेस को रिटर्न गिफ्ट में अपना इस्तीफा दे दिया. कांग्रेस के लिए ये झटके पर झटका है और दोनों ही झटके उसे शंकर सिंह वाघेला से मिले हैं.

दरअसल राष्ट्रपति चुनाव में गुजरात में हुई क्रॉस वोटिंग के लिए कांग्रेस आलाकमान की नजर में वाघेला ही मुजरिम हैं. पार्टी से काफी समय से नाराज चल रहे वाघेला के ही इशारे पर कांग्रेस और एनसीपी के 11 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी. तकरीबन एक दर्जन कांग्रेस विधायकों में वाघेला के बेटे महेंद्र सिंह का भी नाम है.


अब वाघेला ने गुजरात कांग्रेस के भीतर के घमासान को सतह पर ला दिया. क्रॉस वोटिंग की बात सामने आने पर उन्होंने अपने जन्मदिन के मौके पर कांग्रेस से किनारा कर लिया. वाघेला का आरोप है कि कांग्रेस ने उन्हें 24 घंटे पहले ही पार्टी से निकाल दिया है.

वाघेला ने कहा - विनाश काले विपरित बुद्धि लेकिन 'बापू' रिटायर होने वाला नहीं है. सवाल ये है कि आखिर वाघेला ने कांग्रेस को विनाश काले विपरीत बुद्धि क्यों कहा?

जाहिर तौर पर गुजरात में कांग्रेस 15 साल से सत्ता का वनवास झेल रही है. कांग्रेस के पास वाघेला के रूप में ही एकमात्र चेहरा ऐसा था जो कि बीजेपी को टक्कर देने का दम रखता है. वाघेला गुजरात के कद्दावर नेताओं में से एक माने जाते हैं. उनकी शख्सियत के कई रंग हैं. वो न सिर्फ पीएम मोदी के अच्छे मित्र रहे हैं बल्कि दोनों के बीच सियासी प्रतिद्वंद्विता भी बराबरी की रही है.

हालांकि पीएम मोदी उनका बड़ा सम्मान करते हैं. सियासी तौर पर वाघेला का गुजरात में अपना जनाधार है. गुजरात विधानसभा में वो नेता प्रतिपक्ष हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में जहां कांग्रेस के कई दिग्गज चुनाव में चित्त हो गए तो वहीं वाघेला अपने दम पर जीत कर आए.

वाघेला की कांग्रेस में मौजूदगी भर ही बीजेपी के लिए मुश्किल का काम करती आई है. इसके बावजूद अगर कांग्रेस वाघेला को पार्टी से बाहर करने का फैसला करती है तो उसके लिए गुजरात चुनाव में बड़ी मुश्किल पैदा होने वाली है.

जहां कांग्रेस के कई विधायक वाघेला के साथ खड़े हैं वहीं अगले साल राज्यसभा की कांग्रेस की एकमात्र सीट जो अहमद पटेल के नाम है वो भी फंस सकती है. इसके बावजूद कांग्रेस वाघेला को लेकर अपनी दूसरी राय पर कायम रही.

कांग्रेस को लगता है कि राष्ट्रपति चुनाव की क्रॉस वोटिंग के पीछे शंकर सिंह वाघेला का हाथ है. जबकि वाघेला क्रॉस वोटिंग में खुद की भूमिका से साफ इनकार कर रहे हैं.

दरअसल वाघेला की नाराजगी के पीछे की कहानी सीएम पद की उम्मीदवारी से जुड़ी हुई है. वाघेला चाहते थे कि गुजरात चुनाव से पहले कांग्रेस सीएम पद के उम्मीदवार के तौर पर उनका नाम पेश करे.

दो महीने पहले ही पार्टी के 57 विधायकों में से 36 विधायकों ने मांग की थी कि शंकर सिंह वाघेला को सीएम के चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट किया जाए. लेकिन गुजरात कांग्रेस प्रभारी अशोक गहलोत ने इस पार्टी के नियमों के खिलाफ बताते हुए इनकार कर दिया था.

इसके बाद नाराज वाघेला ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और दूसरे दिग्गज कांग्रेसी नेताओं को अपने ट्वीटर अकाउंट से अनफॉलो कर दिया. लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस ने वाघेला के दबाव और दर्द को समझने की कोशिश नहीं की. कुछ लोगों को ये लगा कि वाघेला की रणनीति कांग्रेस आलाकमान को दबाव में लेने की थी.

अब जब नाराजगी धैर्य की तमाम सीमाओं को पार कर गई तो उन्होंने अपने जन्मदिन के उत्सव को कांग्रेस छोड़ने का नाम कर दिया.

77 साल के पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला की कांग्रेस को अब जरूरत नहीं है. राष्ट्रपति चुनाव के बाद जब कांग्रेस को लगा कि वाघेला कांग्रेस के लिए हानिकारक बनते जा रहे हैं तो अंतरात्मा की आवाज सुनकर वाघेला ने तकरीबन 20 साल पुराने रिश्ते को अलविदा कह दिया.

अब एक बार फिर वाघेला इतिहास दोहराने के मूड में दिख रहे हैं. इस बार वो कांग्रेस को छोड़कर घर वापसी कर सकते हैं. हालांकि उन्होंने ऐलान किया है कि वो बीजेपी नहीं जाएंगे.

वैसे भी बीजेपी में 75 साल से ऊपर की उम्र के नेताओं के लिए राजनीतिक पद नहीं है. लेकिन संघ से जुड़ाव और पीएम मोदी से पुराने भावुक रिश्तों की वजह से वाघेला बीजेपी में कोई नई पारी शुरू कर सकते हैं. ये वक्त और फैसलों पर निर्भर होगा.