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उत्तराखंड चुनाव 2017: टिकट बंटने के साथ ही टिकट के दावेदारों का विरोध शुरु

उत्तराखंड में दोनों ही पार्टियों के 100 से ज्यादा उम्मीदवारों ने मंगलवार को अपना नामांकन भरा

Namita Singh

कांग्रेस ने उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए आखिरी पांच सीटों पर अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है. लेकिन इसके साथ ही जिन उम्मीदवारों ने पार्टी से टिकट दिए जाने की आस पाल रखी थी, उनकी नाराजगी भी अब खुल कर सामने आने लगी है.


उत्तराखंड कांग्रेस में अंदरुनी कलह इस कदर मची हुई है कि पार्टी को सोमवार के दिन आठ और मंगलवार को सात सदस्यों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाना पड़ा. जिन लोगों को पार्टी से बाहर निकाला गया है, उनमें पार्टी की महिला विंग की जिला प्रमुख शाहीन बानु का भी नाम शामिल है, जिन्हें पार्टी दफ्तर में दुर्व्यवहार के कारण पार्टी से छह साल के लिए बाहर कर दिया गया है.

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उत्तराखंड में हाल के राजनीतिक माहौल के बीच जहां सूबे की दोनों प्रमुख पार्टियां कांग्रेस और बीजेपी ने अपनी पहली लिस्ट में जिन सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान नहीं किया था. अब दोनों ही पार्टियों ने सभी सीटों पर अपने-अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी है लेकिन टिकट बंटवारे को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं में उभरता असंतोष चिंताजनक है.

कार्यकर्ताओं का हंगामा

उत्तराखंड की 63 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम की घोषणा के साथ ही कांग्रेस दफ्तर में भारी हंगामा का माहौल देखा गया तो 2012 के विधानसभा चुनाव में साहसपुर विधानसभा सीट से उम्मीदवार रहे आर्येंद्र शर्मा के समर्थक गुस्से में दिखे. समर्थकों की मांग थी साहसपुर सीट से कोई स्थानीय चेहरा ही चुनावी मुकाबले में खड़ा हो, लेकिन पार्टी हाईकमान ने प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को इस सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है, जबकि किशोर उपाध्याय टिहरी सीट से अब तक चुनाव लड़ा करते थे.

राज्य में मुख्य मुकाबला कांग्रेस पार्टी और बीजेपी के बीच है

हद तो तब हो गई जब इस सीट से टिकट की उम्मीद लगाए बैठे आर्येन्द्र शर्मा के समर्थकों ने इसी बात पर पार्टी दफ्तर में जम कर बवाल मचाया. यहां तक की विरोध कर रहे एक समर्थक ने तो आत्मदाह तक करने की कोशिश की जबकि टिहरी जिले में कई कार्यकर्ता धरने पर बैठ गए. ये कार्यकर्ता मांग कर रहे थे कि पार्टी टिहरी से किशोर उपाध्याय को ही उम्मीदवार बनाए.

दूसरी तरफ बीजेपी दफ्तर में भी तस्वीर इसके उलट नहीं दिख रही है, मंगलवार को बीजेपी दफ्तर में भी महानगर बीजेपी अध्यक्ष उमेश अग्रवाल के समर्थकों ने जमकर हंगामा मचाया. 

वजह ये थी कि उमेश अग्रवाल को पार्टी ने धरमपुर विधानसभा सीट से टिकट नहीं दिया. अग्रवाल के नाराज समर्थकों ने तो पार्टी के कई बड़े नेताओं के पोस्टर तक फाड़ डाले.

एक तरफ कांग्रेस जहां एक परिवार, एक टिकट के फॉर्मूले को अमल में लाने की बात कह रही है, वहीं सूबे के मुख्यमंत्री हरीश रावत खुद दो सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं. रावत मैदानी पट्टी के हरिद्वार देहात और किच्छा विधानसभा सीट से चुनावी मुकाबले में हैं. हालांकि, राजनीतिज्ञ विशेषज्ञ इसे मुख्यमंत्री की उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र के बीच संतुलन बनाने की रणनीति बता रहे हैं.

बीजेपी का डैमेज कंट्रोल 

बीजेपी मुख्यमंत्री के दो-दो सीटों से चुनाव लड़ने को लेकर कांग्रेस पर निशाना साध रही है. बीजेपी आरोप लगा रही है कि मुख्यमंत्री ने पहाड़ी इलाके को नजरअंदाज कर दिया है. 

बीजेपी खुद भी डैमेज कंट्रोल में जुटी हुई है. खासकर, उन उम्मीदवारों को लेकर जो पार्टी से टिकट मिलने की उम्मीद लगाए बैठे थे, लेकिन उम्मीदवारों की आखिरी सूची में भी उनका नाम शामिल नहीं हो सका.

कांग्रेस इस चुनाव में अपनी धाक फिर से जमाने की कोशिश में है

 बीजेपी ने ऐसे हालात से निपटने के लिए पार्टी के प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू, पार्टी चुनाव प्रभारी और केंद्रीय मंत्री जे पी नड्डा और धर्मेन्द्र प्रधान को शामिल कर एक टीम का भी गठन किया है.

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एक तरफ पार्टी में असंतोष उभर कर सामने आ रहा है तो दूसरी तरफ पार्टी के लिए कुछ राहत की खबर भी है. मंगलवार को स्टेट काउन्सिल फॉर अदर बैकवर्ड कास्ट के अध्यक्ष संतोष कश्यप ने बीजेपी का दामन थाम लिया.

इस बीच उत्तराखंड में दोनों ही पार्टियों के 100 से ज्यादा उम्मीदवारों ने मंगलवार को अपना नामांकन भरा. इसमें कई कद्दावर नेता भी शामिल थे. सतपाल महराज ने चौबट्टाखाल से पर्चा भरा तो उत्तराखंड विधानसभा स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल ने जागेश्वर से नामांकन दाखिल किया, जबकि मंत्री इंदिरा हृदयेश ने हलद्वानी सीट से अपना पर्चा भरा.